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इंद्रेश कुमार के विरुद्ध झूठी बयानबाजी से बाज आएंरा.स्व.संघ के वरिष्ठ प्रचारक और अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल के सदस्य श्री इंद्रेश कुमार को पिछले दिनों सेकुलर मीडिया ने अजमेर बम कांड में सम्मिलित” बताते हुए उनके और व्यापक रूप में रा.स्व.संघ के विरुद्ध जिस प्रकार की बेबुनियाद और झूठी रपटें छापी हैं उससे देश का हिन्दू समाज आक्रोशित हुआ है। सेकुलर मीडिया के अलावा सोनिया पार्टी के सेकुलर नेताओं और दरबारियों ने न जाने किन-किन कांडों से बेवजह संघ को जोड़ने का घृणित अभियान छेड़ा। हालांकि संघ के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से अनेक कार्यक्रमों में और आधिकारिक विज्ञप्ति के माध्यम से यह कहा जा चुका है कि संघ कभी हिंसा का समर्थन नहीं करता और आतंकवाद का पुरजोर विरोधी है, संघ ने हमेशा देश के संविधान और कानून के प्रति अपनी आस्था दर्शायी है। लेकिन इसके बावजूद राजस्थान के कांग्रेसी गृहमंत्री शांति कुमार धारीवाल जब चाहे श्री इंद्रेश कुमार के विरुद्ध मीडिया में बयानबाजी करते रहे। आखिरकार गत सप्ताह श्री इंद्रेश कुमार की ओर से उनके अधिवक्ताओं, श्री अरुण भारद्वाज और सुश्री मीनाक्षी लेखी ने शांति कुमार धारीवाल को कानूनी नोटिस भेजा। इस नोटिस के जरिए श्री धारीवाल को यह जताया गया है कि अब वे बेबुनियाद तथ्यों के आधार पर श्री इंद्रेश कुमार और रा.स्व.संघ के विरुद्ध समाज में मनगढ़ंत आरोप उछालने से बाज आएं। उनसे कहा गया है कि उनके इस गैर जिम्मेदार कृत्य के द्वारा श्री इंद्रेश कुमार को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपायी की जाए अन्यथा उनके खिलाफ उपयुक्त कानूनी कार्यवाही करने का अधिकार होगा। श्री इन्द्रेश कुमार के अधिवक्ताओं की ओर से श्री शांति कुमार धारीवाल को भेजे गए कानूनी नोटिस के प्रमुख बिन्दु इस प्रकार हैं-थ् टाइम्स आफ इंडिया के 28 अक्तूबर, 2010 के अंक में प्रकाशित रपट में आपने निम्नलिखित बयान दिया है- “उन्होंने (इंद्रेश कुमार ने) बम धमाका करने के लिए दिशा निर्देश दिये। उन्होंने निर्णय किया कि कौन बम बनाएगा, कौन इसका विस्फोट करेगा, कौन धन और मोबाइल उपलब्ध कराएगा और कौन मीडिया को संभालेगा।”थ् दुर्भावनावश आपने मेरे मुवक्किल के प्रति अपने कर्तव्य का उल्लंघन किया है, यह जानते हुए कि आपको ऐसा करने का अधिकार नहीं है।थ् तथ्यों को तोड़-मरोड़कर आप मेरे मुवक्किल के खिलाफ आरोप गढ़ रहे हैं और इन्हें कानूनी प्रक्रिया बता रहे हैं, जो महज आपके राजनीतिक एजेंडा का बहाना है। और वह एजेंडा है अजमेर बम धमाके जैसे अपराध की जांच को प्रभावित करना और उसे उस दिशा में ले जाने को बाध्य करना, जो आपकी राजनीतिक जरूरत के अनुसार हो।थ् अजमेर बम धमाका मामले में दर्ज किए गए आरोप पत्र की बात को जानबूझकर गलत तरीके से और तोड़- मरोड़कर बोलकर आप न केवल उसमें कही गयी बात की जगह अपनी कल्पना को पेश कर रहे हैं, बल्कि जांच एजेंसी पर दबाव डालने के अपने इरादे जता रहे हैं ताकि वह आपके मत पर आगे बढ़े और हमारे मुवक्किल पर आरोप मढ़े और किसी भी तरह उन्हें अपराधी बनाकर पेश करे, जबकि यह अवैध है।थ् इसमें मुख्यमंत्री के एक बयान का भी उल्लेख है, जिसमें कहा गया है कि मेरे मुवक्किल को जल्दी ही जांच के लिए बुलाया जाएगा। आपके इरादे जाहिर हो जाने के बाद तथाकथित जांच आपके दिशानिर्देश के तहत महज रस्मी कार्रवाई बन जाएगी, जिसमें पहले ही मेरे मुवक्किल को आरोपी बना दिया जाएगा, जैसाकि मामले के तथ्यों से लगता है।थ् ऐसा लगता है कि आप और मुख्यमंत्री भुलक्कड़ हैं और इस तथ्य से बेखबर हैं कि जांच पूरी हो गयी है और आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है, जिसमें उन आरोपियों का नाम दिया गया है जिनके खिलाफ मुकदमा चलेगा और जिनके खिलाफ अभी जांच चल रही है। मेरे मुवक्किल का नाम उपरोक्त दोनों प्रकार के अपराधियों में शामिल नहीं है।थ् जांच अधिकारी ने यह बात स्वीकार करते हुए कहा है कि मेरे मुवक्किल का किसी भी साजिश में कोई हाथ नहीं है और मेरे मुवक्किल की इसमें कोई भूमिका नहीं है। आरोप पत्र में भी षड्यंत्र के उद्देश्य और उसे प्राप्त करने के इरादे से मेरे मुवक्किल को उससे जोड़ने के बारे में कोई बात नहीं कही गयी है। आपका बयान स्पष्ट तौर पर गलत याद्दाश्त का उदाहरण है। और आप चाहते हैं कि यह आपकी इच्छा के अनुसार इससे अलग मामले की जगह ले जिसमें मेरे मुवक्किल की कोई भूमिका नहीं है।थ् आरोप पत्र में गुजरात समाज गेस्ट हाउस में हुई एक बैठक का उल्लेख है जिसमें मेरे मुवक्किल के कथित तौर पर हिस्सा लेने की बात कही गयी है। आरोप पत्र में उक्त बैठक के समर्थन में कोई तथ्य नहीं है। इसके सबूत में कोई दस्तावेज या बयान (एक हजार पृष्ठों वाले इस आरोप पत्र में) पेश नहीं किया गया है। आपका प्रेस को दिया गया बयान जाहिर करता है कि तथाकथित बैठक में मेरे मुवक्किल की कथित उपस्थिति का उल्लेख आपके कहने पर किया गया है, जबकि जांच में कुछ साबित नहीं हो पाया।थ् संविधान द्वारा जीवन के अधिकार के तहत सम्मान का अधिकार भी प्राप्त है। अन्य कानूनी कार्यवाही के अलावा आप इस अधिकार से हमारे मुवक्किल को वंचित करने के भी दोषी हैं। इस उल्लंघन की जिम्मेदारी का मामला “पब्लिक लॉ” से संबंधित है जो संविधान द्वारा प्रदत्त है।थ् आपके द्वारा समझौता एक्सप्रेस का हवाला दिये जाने से यह जाहिर होता है कि जांच में राजनीतिक हस्तक्षेप किया जा रहा है। ऐसा जाहिर होता है कि आप अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए आरोप पत्र को दुष्प्रचार का आधार बना रहे हैं। तथ्यों के अलावा अजमेर बम विस्फोट से संबंधित आरोप पत्र में यह हवाला गैर जरूरी है। यह टिप्पणी भारत सरकार के कथित दृष्टिकोण और संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद द्वारा निकाले गये निष्कर्ष से भी बिल्कुल भिन्न है, जिसमें कहा गया है कि समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट में लश्करे तोएबा लिप्त है।थ् आपके द्वारा मेरे मुवक्किल की बेगुनाही की पूर्ण रूप से उपेक्षा करते हुए उनके खिलाफ मुकदमा चलाने का काम किया जा रहा है। भविष्य में कानूनी प्रक्रिया में कोई भी हस्तक्षेप, जांच को प्रभावित करने का प्रयास, तथ्यों को तोड़ना-मरोड़ना, झूठे गवाह खड़े करना, उनके खिलाफ बेबुनियाद दोषारोपण करना, आपके और किसी भी अन्य के खिलाफ एक साथ उपयुक्त कानूनी कार्यवाही का आधार बनेगा। आपकी जिम्मेदारी बनती है कि मेरे मुवक्किल को जो नुकसान पहुंचा है उसकी भरपाई करें, जिसमें असफल होने पर मेरे मुवक्किल को अधिकार होगा कि वह आपके खिलाफ हर्जाने की और अन्य उपयुक्त कानूनी कार्यवाही करे। द5
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