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थ् वरुण गांधी पर सत्ता का दुरुपयोग कर रासुका लगाने और झूठे मुकदमों में फंसाने को आप किस रूप में देख रही हैं?द यह वरुण के साथ घोर अन्याय है और देश के साथ भी। रासुका जैसे कठोर कानून को अंतिम अस्त्र या ब्राह्मास्त्र की तरह प्रयोग करना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) उन्हीं लोगों पर लगाया जाता है जिनका कोई आपराधिक इतिहास रहा हो अथवा जिसके बारे में यह प्रमाण हो कि वह देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त है अथवा जिसके स्वतंत्र घूमने से कानून व्यवस्था खराब होती है। वरुण इन तीनों में से किसी अपराध में शामिल नहीं है।कहा जा रहा है कि वरुण गांधी को फंसाया जा रहा है। उस सीडी की सत्यता भी तो अभी तक सामने नहीं आई है?निश्चित रूप से। आरोप है कि वरुण गांधी ने 5 मार्च को एक भाषण दिया जिसमें कथित रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के बारे में कठोर टिप्प्णियां की गई थीं। इस मामले में प्रशासन ने स्वयं संज्ञान लेते हुए 17 मार्च को जब मामला दायर किया तब न कोई वादी था और न ही कोई गवाह। 28 मार्च को यानी मामला लिखे जाने के 11 दिन बाद पुलिस ने किसी परवेज हनीफ नाम के आदमी को सामने किया है कि उक्त सीडी उसने बनाई थी। बावजूद इसके कि कहीं कोई तनाव नहीं फैला, वरुण पर अनेक धाराएं थोप दी गर्इं।इस मामले में चुनाव आयोग के निर्देशों को आप किस रूप में देख रही हैं? चुनाव आयोग, जो आज तक बड़े-बड़े अपराधियों, देशद्रोहियों, हिस्ट्रीशीटरों के बारे में कभी कुछ नहीं बोला, उसका वरुण मामले में एक पार्टी को सलाह देना आश्चर्यचकित करता है। और तो और नेपाली मूल के एम.एस.सुब्बा, जिन्हें लाटरी किंग कहा जाता है और जिन पर दस-दस हत्याओं का मामला चल रहा है, के बारे में कभी चुनाव आयोग ने किसी पार्टी को निर्देशित नहीं किया। और वह कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। और तो और सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर, जिन पर 1984 में सिखों के नरसंहार का गंभीरतम आरोप है, के बारे में भी चुनाव आयोग ने कभी यह सिफारिश नहीं की कि कोई पार्टी उनको अपना उम्मीदवार न बनाए। बिना जांच के मामला लिखे जाने और चुनाव आयोग द्वारा उसमें असंवैधानिक हस्तक्षेप के कारण ही वरुण ने यह तय किया कि वे झुकेंगे नहीं, आत्मसमर्पण करेंगे और सच्चाई का सामना करेंगे।तो यह सारा कुछ केवल एक वर्ग विशेष के वोटों के लिए किया जा रहा है? केवल और केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए यह सब किया जा रहा है। कांग्रेस और मायावती के बीच में एक होड़ है। दोनों एक वर्ग विशेष के वोटों के पीछे व्याकुल हो गए हैं। इसीलिए वरुण को एक अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में फंसा रहे हैं। बड़े आश्चर्य की बात है कि वरुण ने न्यायालय के समक्ष दिन में एक बजे आत्मसमर्पण किया और वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। दिन में 3 बजे उनके ऊपर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर लिया। जो व्यक्ति पहले से ही जेल में है वह किसी अन्य व्यक्ति की हत्या का प्रयास आखिर कैसे कर सकता है?थ् वरुण ने तो ऐसा कुछ नहीं कहा जैसा आजम खान या कई अन्य कट्टरपंथी मुस्लिम नेताओं ने कई-कई बार कहा। उनके विरुद्ध तो कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई। द आजम खान ने भारत मां को डायन कहा तो उसे और भी कई लोगों ने दोहराया। कोई कहता है मैं दाऊद का भाई हूं। जामा मस्जिद के उस समय के इमाम ने खुलेआम घोषणा की थी कि मैं आई.एस.आई.का एजेंट हूं। भारतीय टीम के पाकिस्तान से हारने पर पटाखे बजाने वालों के विरुद्ध कभी कोई मामला दर्ज नहीं हुआ। और तो और संसद भवन पर हमला करने वाले को भी कांग्रेस ने “हीरो” बना दिया है।थ् क्या राहुल गांधी के मुकाबले वरुण गांधी को नीचा दिखाने के लिए दुष्प्रचार हो रहा है? क्या पारिवारिक द्वेष भी कारण है?इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता है। बस, इतना मालूम है कि कांग्रेस सारी हदें पार करके, सारे कानून तोड़कर वरुण के पीछे पड़ी है। इसके लिए कांग्रेस ने अंग्रेजी मीडिया और खरीदे हुए चैनलों के माध्यम से वरुण के खिलाफ माहौल तैयार किया। कुछ चैनलों ने तो सारी हदें पार कर, असभ्य भाषा में, एक राजनीतिक कार्यकत्र्ता की तरह बर्ताव किया।वरुण ने जिस प्रकार जनता को आंदोलित किया उस बारे में क्या कहेंगी? मुझे गर्व है वरुण पर और देश की जनता पर भी गर्व है कि उसने टेलीविजन पर किए गए लगातार दुष्प्रचार के बावजूद वरुण को अपना प्यार और समर्थन दिया। द6
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