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अल कायदा ने मांगी थी खान से परमाणु तकनीकखूंखार जिहादी ओसामा बिन लादेन के आतंकवादी गुट अल कायदा ने पाकिस्तान के कुख्यात परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान से परमाणु हथियारों की सामग्री और जानकारी हासिल करने के लिए उससे संपर्क किया था। यह खुलासा किया है अमरीका की संसदीय अनुसंधान सेवा की ताजातरीन रपट ने। हाल ही में जारी इस रपट का यह भी कहना था कि, सीआईए के पूर्व निदेशक जार्ज टेनेट के अनुसार, अमरीका को किसी गुप्तचर सेवा से यह जानकारी टुकड़ों में मिली थी कि 1998 में बिन लादेन ने खान के नेटवर्क से सम्पर्क स्थापित करने के लिए अपने सूत्र भेजे थे। 30 जुलाई, 2009 को “पाकिस्तान के परमाणु हथियार: प्रसार और सुरक्षा चिंताएं” विषय पर जारी इस रपट में इस बारे में और भी कई बातें उजागर की गई हैं। यह अनुसंधान खास तौर पर इन सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखकर किया गया था कि कहीं आतंकवादी पाकिस्तान से परमाणु हथियार तो हासिल नहीं कर लेंगे। अनुसंधान सेवा के अनुसार, कई विशेषज्ञ इस बात को लेकर खासे चिंतित हैं कि दूसरे देश और आतंकवादी गुट पाकिस्तान से परमाणु सामग्री और तकनीक हासिल कर सकते हैं। पाकिस्तान ने 1970 के दशक से ही अपने परमाणु कार्यक्रमों के लिए संदिग्ध “नेटवकों” का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था।2005 में भी अमरीका के एक आयोग की रपट ने कहा था कि अल कायदा ने परमाणु हथियारों के लिए पाकिस्तानी वैज्ञानिकों से संपर्क साधा था।आश्चर्य की बात है कि ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आने के बावजूद 20 जुलाई 2009 को अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी Ïक्लटन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि इस बात के “कोई सबूत नहीं” हैं कि पाकिस्तान उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार या तकनीक दे रहा है।खान की चिट्ठी से….अब्दुल कादिर खान ने अपनी चिट्ठी में जिन तीन देशों-उत्तर कोरिया, ईरान और चीन-के साथ पाकिस्तान के परमाणु रिश्तों की जानकारी दी है, वह अपने आप में पाकिस्तानी हुक्मरानों और फौजियों के चरित्र के बारे में बहुत कुछ कह देती है।ईरान-ईरान के संबंध में चिट्ठी में लिखा है, “शायद बीबी (बेनजीर भुट्टो, जो 1988 में प्रधानमंत्री बन गई थीं) की इजाजत लेकर ही जनरल इम्तियाज (बेनजीर के मरहूम रक्षा सलाहकार) ने मुझे कुछ ड्राइंग और कुछ यंत्रों को ईरानियों के सुपुर्द करने को कहा। ईरानियों को आपूर्ति करने वालों के नाम और पते भी दिए गए थे।”उत्तर कोरिया-उत्तर कोरिया के बारे में चिट्ठी में उल्लेख है, “एक जनरल (अब सेवानिवृत्त) ने उत्तर कोरिया वालों से मेरे जरिए तीन मिलियन डालर लिए और मुझसे (उन्हें) कुछ ड्राइंग और मशीनें देने को कहा।”चीन-चीन के बारे में खान की चिट्ठी कहती है,”हमने हांझोंग (ज्यांग के दक्षिण पश्चिम में 250 किलोमीटर दूर) में एक सेंट्रीफ्यूज प्लांट लगाया। चीनियों ने हमें परमाणु हथियार की ड्राइंग दी, 50 किलो एनरिच्ड यूरेनियम दिया, 10 टन यू.एफ.6 (प्राकृतिक) और 5 टन यू.एफ.6 (3 प्रतिशत) दिया।”4
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