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शक्ति, भक्ति और नवचैतन्यसम्मेलन को स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि, कुप्.सी. सुदर्शन और शिवराज सिंह ने सम्बोधित कियासन्त किशोर व्यास और वनवासी सन्तों के प्रेरक उद्बोधन हुएमंचासीन हैं (बाएं से) पूज्य बच्चू जी महाराज, सन्त अखिलेश्वरानन्द गिरि जी, सन्त किशोर व्यास, स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी, श्री कुप्.सी. सुदर्शन एवं श्री शंकर प्रसाद ताम्रकर”महामण्डलेश्वर शिवराज”!!शिवराज सिंह के व्याख्यान से मुदित हो स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि कह उठे, “अरे आपको राजनेता नहीं, संत होना चाहिए था, महामण्डलेश्वर शिवराज जी!!-चौधुरी शिवव्रत महान्तिश्री शिवराज सिंहमाधवेश्वर बड़ादेव की अनुकृतिसम्मेलन में उपस्थित वनवासी।झलकियांप्रकृति की मनोरम छटा के बीच स्थित वनवासी कल्याण आश्रम, छात्रावास एवं गोशाला अपनी अद्भुत आभा बिखेर रहे थे।विशाल माधवेश्वर बड़ादेव की प्रतिमा दूर से ही दिखाई देती थी।मुख्यमंत्री के हेलीपैड से बड़ादेव स्थापना स्थल तक बैगा व वनवासी लोग मुख्यमंत्री की अगुवाई में लोकनृत्य करते हुए उनके आगे-आगे चल रहे थे।पूज्य स्वामी सत्यमित्रानन्द जी घास-फूस की झोपड़ी में एक दिन पूर्व से वनवासियों के बीच उपस्थित हो चुके थे।वनवासियों द्वारा बनाये गये भोजन को उन्हीं के बीच बैठकर स्वामी जी का सहभोज समरसता का एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहा था।मंच पर समस्त सम्प्रदायों के संत एक साथ बैठ कर सामाजिक समरसता दर्शा रहे थे।वनवासी बहुल डिण्डौरी जिले के प्रत्येक गांव में सामाजिक समरसता महाकुम्भ की धूम दिखाई दी।श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोहों की श्रृंखला में म.प्र. के डिण्डौरी जिले के बरगांव में आयोजित समरसता महाकुम्भ में उमड़े वनवासियों के अपार जनसमूह ने एक बार फिर डांग के शबरी कुम्भ की याद ताजा कर दी। महाकुंभ में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक लाने एवं गोहत्या निरोधक कानून और सख्त बनाने की घोषणा की। उन्होंने लगातार मतान्तरण व गो-तस्करी में जुटे पादरियों एवं गोवंश तस्कारों को खुली चुनौती भी दी है। समरसता महाकुम्भ में लगभग 2 लाख वनवासी बंधु उपस्थित हुए। अपने बीच सहज भाव से समरस हुए स्वामी सत्यमित्रानंद जी को पाकर वनवासियों में जहां अतीव उत्साह था, वहीं वनवासी समाज के कुल देवता के रूप में सदियों से पूजे जाने वाले माधवेश्वर बड़ादेव की 13 फीट ऊंची, 8 फीट चौड़ी तथा लगभग 1 टन स्टील से निर्मित प्रतिमा मन मोह रही थी। चारों तरफ से 20-25 किलोमीटर तक के वनवासियों के गांव के गांव सपरिवार पैदल चलकर आने से समरसता महाकुम्भ के प्रति उनका उत्साह सहज प्रतीत हो रहा था। मण्डला, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, छतरपुर, टीकमगढ़ एवं जबलपुर जिले से भी बड़ी संख्या में उमड़ा जनसमुदाय समरसता का भाव प्रकट कर रहा था।समरसता महाकुम्भ को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन ने कहा कि सृष्टि के प्रारम्भ से चली आ रही हिन्दू संस्कृति आध्यात्मिक, सांस्कृतिक व उत्तराधिकारी संस्कृति है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने अंग्रेजों के आग्रह पर उनके सूट-बूट, कोट, टाई पहनकर सर पर “हैट” के स्थान पर पगड़ी पहनी थी। अंग्रेजों द्वारा “हैट” न पहनने के प्रश्न पर उनका जवाब था- “आपकी संस्कृति रूपी जूती मेरे पैरों में तो हो सकती है लेकिर सर पर तो विश्व का मार्गदर्शन करने वाली भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिक पगड़ी ही होगी।” उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति “बप्तिस्मा” होने के बाद ईसाई और “खतना” होने के बाद मुसलमान बनता है जबकि हिन्दू स्वाभाविक रूप से जन्म लेने के साथ ही हिन्दू होता है। अत: जन्म से सभी हिन्दू हैं। श्री सुदर्शन ने कहा- “वह दिन दूर नहीं जब हिन्दुत्व का सूर्य अपनी पूर्ण आभा के साथ उगेगा और समूचे विश्व पर भारतीय संस्कृति की पताका लहराएगी, भारत उसका सिरमौर होगा।”समारोह को सम्बोधित करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह धरती राणा, शिवा, रानी दुर्गावती, रघुनाथ शाह, शंकर शाह जैसे शूरवीरों की है। यहां प्रलोभन व दबाव में मतांतरण का कोई स्थान नहीं। गोमाता का एक बूंद रक्त यहां नहीं बहने दिया जाएगा। इस हेतु धर्म स्वातंत्र्य विधेयक के साथ गोहत्या निरोधक कानून को और भी कठोर बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि, हिन्दू दर्शन विश्व का सर्वश्रेष्ठ दर्शन है, यहां कोई अगड़ा -पिछड़ा, ऊंचा-नीचा नहीं है। सभी भगवान राम की सन्तान हैं। श्रीगुरुजी ने नर सेवा के माध्यम से नारायण सेवा को चरितार्थ कर दिखाया था। अत: ज्ञान, भक्ति व कर्म में कर्म मार्ग ही सर्वश्रेष्ठ है। यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों का सही पालन करे तो समझो उसने मुक्ति पा ली है। इसके साथ ही श्री चौहान ने रानी दुर्गावती के नाम से नई पुलिस बटालियन के गठन, 46 गांवों को लाभान्वित करने वाली 61 करोड़ 58 लाख रु. की “बिलगांव” जलाशय योजना की स्वीकृति एवं इस 50 कि.मी. क्षेत्र को पूर्णत: सड़क युक्त करने की घोषणा की।श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति के अ.भा. अध्यक्ष स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी ने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का भाषण सुनकर कहा कि मुख्यमंत्री जी का उद्बोधन सुनकर ऐसा लग रहा था कि जैसे प्रयाग के महाकुम्भ में कोई महामण्डलेश्वर का प्रवचन हो रहा है। शिवराज की एक दहाड़ से तो औरंगजेब की सेना कांपती थी। एक बार फिर यवनीय शक्ति को पराजित करने के लिए शिवराज के नेतृत्व में राष्ट्र एकत्र होगा। स्वामी सत्यमित्रानंद जी ने कहा कि इस वनवासी कुम्भ में छलकने वाला समरसता का अमृत- वनवासी समाज को उसके वैभवशाली अतीत के गौरव का स्मरण कराकर इस राष्ट्र व समाज के नेतृत्व योग्य खड़ा करेगा। उन्होंने कहा कि श्रीगुरुजी में सप्त ऋषियों की आभा समायी थी। अत: इस शताब्दी में सप्त ऋषियों के सम्पूर्ण विग्रह का यदि किसी मानव में अवतरण हुआ है तो वह थे पूज्य श्रीगुरुजी।कार्यक्रम को पूज्य गोविन्ददेव गिरि जी एवं पूज्य बच्चू जी महाराज ने भी सम्बोधित किया। आभार व्यक्त किया श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति (महाकौशल प्रांत) के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानन्द गिरि जी ने। कार्यक्रम का संचालन श्री प्रकाश नारायण ने किया। इस अवसर पर सामाजिक समरसता महाकुम्भ स्मारिका का विमोचन हुआ एवं बैगा बालिका छात्रावास, डिण्डौरी व वनवासी छात्रावास, बरगांव की छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। इस अवसर पर आयोजित दो दिवसीय बाल शिविर में 300 जनजातीय बच्चों ने भाग लिया। धर्म जागरण मंच द्वारा क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के पुरस्कार वितरित किये गये तथा धर्म जागरण विभाग द्वारा संचालित “राम नाम लेखन” पुस्तिकाओं का संग्रह किया गया।19
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