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धर्म स्वातंत्र्य विधेयक के संदर्भ में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पाञ्चजन्य से भेंट में कहा-

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Nov 2, 2007, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 02 Nov 2007 00:00:00

हां, मुझे अपने हिन्दुत्व पर गर्व हैहिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह का कहना है कि वे स्वयं को देश की पांच हजार साल पुरानी सभ्यता और संस्कृति के प्राण-तत्व “हिन्दुत्व” के साथ ह्मदय से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। उन्हें अपने हिन्दू होने पर गर्व हैं। शिमला में मुख्यमंत्री कार्यालय में पाञ्चजन्य से उन्होंने विशेष भेंट में कहा, “मैं धर्म स्वातंत्र्य विधेयक अपने दिल की आवाज सुनकर लाया हूं। यह सर्वविदित है कि हिमाचल प्रदेश में लोभ-लालच और दबाव बनाकर ईसाई बनाने की गतिविधियां जोर पकड़ रही थीं। सभी संप्रदायों में सद्भाव, शांति और भाईचारा बनाए रखने के लिए यह कानून जरूरी हो गया था।” प्रस्तुत हैं उनसे वार्ता के प्रमुख अंश–अजय श्रीवास्तवआपको “धर्म स्वातंत्र्य विधेयक-2006” विधानसभा में लाने का विचार कैसे आया?हमारे संविधान में कुछ बातें बिल्कुल स्पष्ट रही हैं, पर उनको गलत ढंग से समझा गया। मत प्रचार में गलत साधनों का इस्तेमाल करने की बात संविधान में नहीं है। यदि संविधान में सभी को इच्छानुसार मत का पालन करने या उसका प्रचार करने की छूट दी गई है तो इसका अर्थ यह नहीं निकालना चाहिए कि किसी को लोभ देकर, गरीबी की फायदा उठाकर या दबाव बनाकर भी अपने मत में लाया जा सकता है। गलत धारणा को ठीक करने के लिए ही यह कानून बनाने की जरूरत पड़ी। यह सभी जानते हैं कि प्रदेश में भोले-भाले गरीब लोगों को लालच या दबाव से मतांतरित करने का काम तेजी से बढ़ रहा था। मुझे सभी धर्म-पंथ प्रिय हैं। पर कोई किसी की गरीबी या मासूमियत का फायदा उठाकर उसका धर्म बदल दे, यह मुझे या किसी भी ऐसे इनसान को बर्दाश्त नहीं होगा जो भारत के संविधान और देश की पांच हजार पुरानी सर्वधर्म समभाव एवं सहिष्णुता की परम्परा में विश्वास रखता है।पर लगता तो ऐसा है कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा विधानसभा और उसके बाहर सरकार पर दबाव बनाए जाने और अखबारों में मतांतरण की घटनाएं सुर्खियों में आने पर आपने कानून बनाने का फैसला किया?यह गलत और भ्रामक प्रचार है। यदि भाजपा को इतनी ही चिंता थी तो वह पांच साल सत्ता में रहने के दौरान ऐसा कानून क्यों नहीं बना पाई? आप विश्वास नहीं करेंगे कि 1998-2003 में भाजपा शासन के दौरान प्रदेश में जितना मतांतरण हुआ इतना 1947 से अभी तक के 60 वर्षों में नहीं हुआ था (पर ये आप छापेंगे नहीं शायद)। मैंने समाज के विभिन्न वर्गों से उठ रही मांग और अपने दिल की आवाज सुनकर यह कानून बनाने की फैसला किया। भाजपा का कोई दबाव नहीं था।अक्सर कांग्रेस के कुछ नेता और कम्युनिस्ट कहते हैं कि भारत सेकुलर देश है और यहां ऐसा कानून लागू नहीं होना चाहिए, जो मतांतरण को रोके।यह सबके समझने की बात है कि भारत पंथ निरपेक्ष देश है, धर्महीन नहीं। महात्मा गांधी स्वयं को एक सच्चा हिन्दू मानते थे और लोभ-लालच या बलपूर्वक मतांतरण का विरोध करते थे। मैं तो महात्मा गांधी के मूल्यों और देश के संविधान में पूरा विश्वास करता हूं। यह देश स्वयं को धर्म से अलग नहीं कर सकता। गलत आचरण से मतांतरण भारत की सहिष्णुता की परम्परा को समाप्त कर देगा, यह बात तो बापू ने ही हमें सिखाई है। हिमाचल में हिन्दू बहुसंख्यक हैं और वे यहां बसे मुसलमानों, ईसाइयों और सिखों के साथ परम्परा से मिल-जुल कर रहते हैं। लोभ-लालच या बलपूर्वक मतांतरण से प्रदेश की शांति और सद्भाव को खतरा पैदा हो सकता था। हम स्वैच्छिक मतांतरण के खिलाफ नहीं हैं। उसकी इजाजत तो संविधान में दी गई है।क्या आपको अपने हिन्दू होने पर गर्व है?हां, मुझे अपने हिन्दुत्व पर गर्व है। हिन्दुत्व इस देश की पांच हजार साल पुरानी सभ्यता और संस्कृति का प्राण-तत्व है। मैं इस विरासत के साथ ह्मदय से जुड़ा हूं और उस पर गर्व करता हूं। “हिन्दुत्व” मेरे लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं है, जैसा कि भाजपा के लिए है। भाजपा हिन्दू धर्म की ठेकेदार बनकर दरअसल हिन्दुत्व को नुकसान पहुंचा रही है। धर्म को राजनीति से जोड़ना हमारे देश की परम्परा नहीं है। कुछ लोग धर्म का इस्तेमाल समाज और देश को बांटने के लिए करना चाहते हैं। मैं इसके सख्त खिलाफ हूं।क्या पांच हजार वर्ष पुरानी सभ्यता और संस्कृति का वाहक “हिन्दुत्व” हमारी राष्ट्रीयता का समानार्थी नहीं है?मेरे विचार से “भारतीय” शब्द हमारी राष्ट्रीयता के लिए उपयुक्त है। हिन्दुत्व को राष्ट्रीयता कहने से गलतफहमियां पैदा होंगी और दूसरे मजहब भी खुद को “राष्ट्रीयता” घोषित कर देंगे। देश में गैर-हिन्दू भी बड़ी संख्या में रहते हैं। यह एक ही राष्ट्र है जो सभी मत-पंथों, जातियों के लोगों से मिलकर बना है। धर्म के आधार पर राष्ट्र नहीं बनता।धर्म स्वातंत्र्य विधेयक लाने और हिन्दुत्व पर गर्व करने के लिए आपको आलोचना का शिकार होने का डर नहीं है?डर की क्या बात है? यह कानून सभी मत-पंथों पर लागू है। किसी एक धर्म को तो निशाना नहीं बनाया गया है। रही बात हिन्दुत्व पर गर्व की तो मैं बापू के बताए हिन्दुत्व पर चलता हूं और इस पर गर्व करता हूं। हिन्दुत्व मेरी निजी आस्था का प्रश्न है।क्या आप सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए भी कुछ कर रहे हैं?प्रदेश के मठ-मन्दिरों, धर्म स्थानों के संरक्षण के लिए सरकार अनेक योजनाएं चला रही है। मैदानी प्रदेशों के ज्यादातर मंदिर विदेशी हमलावरों ने बीते काल में ध्वस्त कर दिए थे। हिमाचल उन हमलों से काफी हद तक बचा रहा। इसलिए यहां प्राचीन मंदिर सुरिक्षत हैं। उनमें निरंतर पूजा-अर्चना चल रही है। हम उनके संरक्षण पर पूरा ध्यान दे रहे हैं।14

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