|
ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करे हिन्दी-डा. प्रभाकर श्रोत्रिय, प्रख्यात साहित्यकार तथा संपादक, नया ज्ञानोदय”हिन्दी भाषा अनुवाद की भाषा बनती जा रही है। हिन्दी का विकास केवल साहित्य से नहीं होगा- नई तकनीक, विधि और विज्ञान से जुड़े विषयों पर भी हिन्दी में कृतियां आएंगी तभी भाषा की बहुमुखी प्रगति होगी। ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में भी हिन्दी को वर्चस्व स्थापित करने की जरुरत है।” यह कहना था प्रख्यात साहित्यकार तथा नया ज्ञानोदय के सम्पादक डा. प्रभाकर श्रोत्रिय का। डा. श्रोत्रिय गत 20 मई को कोलकाता में श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वावधान में आयोजित आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री स्मृति व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। व्याख्यान का विषय था- राष्ट्रभाषा हिन्दी और हमारा समय।डा. श्रोत्रिय ने आगे कहा कि हिन्दी को अपदस्थ कर अंग्रेजी को प्रतिष्ठित करने की कुचेष्टा लगातार चल रही है, ऐसे में भारतीय भाषाओं का एकजुट होना जरुरी है। आचार्य शास्त्री को श्रद्धाञ्जलि देते हुए उन्होंने कहा कि विष्णुकान्त जी ने शब्द और कर्म को समवेत किया था। असाधारण व्यक्तित्व वाले शास्त्री जी ने साहित्य की सारी सर्जना को अपने आंचल में समेट लिया था।कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता न्यायमूर्ति प्रेमशंकर गुप्त ने कहा कि आचार्य शास्त्री का मानवीय पक्ष अत्यंत सबल था। वे हिन्दी भाषा के ऐसे सेनानी थे जो राष्ट्रभाषा के सम्मान एवं स्वाभिमान के प्रति सतर्क थे।कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि पं. छविनाथ मिश्र ने आचार्य शास्त्री के साथ अपने आत्मीय सम्पर्क की चर्चा करते हुए उनके विराट व्यक्तित्व का स्मरण किया। पुस्तकालय के अध्यक्ष डा. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने आचार्य शास्त्री के व्यक्तित्व-कृतित्व की गरिमा पर प्रकाश डालते हुए स्वागत भाषण किया।समारोह का शुभारंभ हिन्दी वंदन से हुआ जिसे प्रस्तुत किया डा. उषा द्विवेदी ने। संचालन किया श्रीमती तारा दूगड़ ने तथा धन्यवाद ज्ञापन किया श्री जुगल किशोर जैथलिया ने। सभाकक्ष में डा. कृष्णबिहारी मिश्र, डा. प्रतिभा अग्रवाल, कवि नवल, श्री जयकिशन दास सादानी, डा. वसुमति डागा, श्रीमती दुर्गा व्यास, श्री महावीर बजाज, डा. ऋषिकेश राय, डा. राजेन्द्रनाथ त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में कवि, साहित्यकार, अध्यापक, समाजसेवी उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में सर्वश्री गोविंद नारायण काकड़ा, अरुण प्रकाश मल्लावत, नंदकुमार लड्ढा, अरुण सोनी आदि ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया। – प्रतिनिधि13
टिप्पणियाँ