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झांसी की रानी लक्ष्मी बाईनाना धोन्दुपंत उपाख्य नाना साहबजीनत महलबहादुर शाह जफरबेगम हजरत महलरामचंद्र पांडुरंग टोपे उपाख्य तात्या टोपे का यह पेंसिल से बना चित्र 18 अप्रैल 1858 को उन्हें फांसी दिए जाने से ठीक पहले का है।मंगल पाण्डेटीका सिंहअजीम उल्ला खांबाबू कुंवर सिंहग्वालियर स्थित रानी लक्ष्मी बाई की छतरी- 20 जून 1858 को रानी लक्ष्मीबाई का अंतिम संस्कार इसी स्थान पर हुआ था।10 मई 1857 को मेरठ में हुई क्रांति का रेखांकन। मेरठ की छावनी में भारतीय सिपाहियों ने अपने साथियों को छुड़ाने के लिए जेल तोड़ दी थी।नई एन्फील्ड बंदूक का प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए अंग्रेज सेना के भारतीय सिपाही। यह 1857 के आरम्भ का दौर था।झांसी पर आक्रमण करने वाली ब्रिटिश सेना से रणक्षेत्र में संघर्षरत रानी लक्ष्मीबाईअपने सैनिकों के साथ हाथी पर सवार होकर लखनऊ‚ से कूच करते हुए नाना साहबतात्या टोपे की सेना, जो पूरी तरह शस्त्रों से सज्ज न होते हुए भी लगातार गतिमान रही और कई महीनों तक ब्रिटिश कमाण्डरों को परेशान करती रहीलखनऊ ब्रिटिश रेसीडेंसी 1857 की क्रांति से पूर्व…और क्रांति के बाद यूं खण्डहर बन गई रेसीडेंसीकानपुर के पास फतेहपुर में 12 जुलाई 1857 को नाना साहब की सेना ने जनरल हैवलोक की सेना का इस तरह मुकाबला किया।13
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