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चलो रामेश्वरम्दीप प्रज्ज्वलित कर धर्म संसद का शुभारंभ करते हुए गंगोत्री के पूज्य संत स्वामी वियोगानंद जी।साथ में हैं स्वामी गंगा दास जी एवं डा. प्रवीण भाई तोगड़ियारामसेतु रक्षा मंच की बैठक को संबोधित करते हुए श्री अशोक सिंहलमार्गदर्शक जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामीवासुदेवानंद सरस्वतीदिशा-निर्देश देते हुए मध्वाचार्य स्वामी विश्वेशतीर्थ जी”रामेश्वरम् चलें” का उद्घोष करते हुए स्वामी मारुदाचला अडिगलारसंतों का आह्वान करते हुए आचार्य धर्मेन्द्रकार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए स्वामी हंसदास जीसंकल्प दिलाती हुईं दीदी मां साध्वी ऋतम्भराधर्म संसद में असम से आए वे राजा, जिनके पूर्वज माता सीता की खोज में पूरब दिशा में गए थे और वहां न मिलने पर श्रीराम को मुख नहीं दिखाया, वहीं के होकर रह गए।अब न रुकेंगे, अब न सहेंगे- संत समाज का संकल्परामेश्वरम् से आयी पवित्र ज्योति को ग्रहण करते हुए श्री आर.आर. गोपालजी (बाएं)। मंच पर दिख रहे हैं (बाएं से) श्री कुमारन सेतुपति, डा. प्रवीण भाई तोगड़िया, स्वामी अडिगलार और श्री रामगोपालनरैली को संबोधित करते हुए भारतीय मजदूर संघ के महामंत्री श्री उदयराव पटवर्धनसंतों के साथ रैली में उपस्थित विशिष्ट जन। बाएं से दूसरे हैं श्री सूर्यनारायण रावमंच पर हैं तमिलनाडु प्रांत संघचालक श्री मारिमुथु तथा रामसेतु रक्षा आन्दोलन के कोषाध्यक्ष श्री सुकुमारन नांबियारसमारोह में उपस्थित श्री मधुभाई कुलकर्णी (सबसे बाएं)। उनके दाएं हैं क्षेत्र प्रचारक श्री सेतुमाधवनरैली में बड़ी संख्या में उपस्थित माताएं-बहनेंरामसेतु रक्षार्थ देशव्यापी कार्यक्रमों की घोषणाधर्म संसद ने रामसेतु रक्षार्थ देशव्यापी जनांदोलनों की रूपरेखा निर्धारित कर दी है। संत समाज द्वारा निर्धारित कार्यक्रम इस प्रकार हैं-गुरुपूर्णिमा (30 जुलाई) को साधै-संत अपने भक्तों को रामसेतु रक्षा का मंत्र दें।संत समाज सम्पूर्ण हिन्दू समाज से आह्वान करता है कि आने वाली आषाढ़ अमावस्या (12 अगस्त) के दिन रामसेतु रक्षार्थ एक दिन का उपवास रखे। यह भगवान राम के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को प्रकट करेगा और रामसेतु की रक्षा के संकल्प को दृढ़ करेगा।इस वर्ष रक्षाबंधन (28 अगस्त) रामसेतु रक्षा दिवस के रूप में मनाएं।धर्म संसद सभी साधु-संतों से यह अपेक्षा करती है कि वह मंदिर अथवा अन्य किसी भी धर्मस्थान पर आने वाले अपने भक्तों, श्रद्धालुओं और धर्मप्रेमी स्वजनों को आर्शीवचन देते समय कहें- रामसेतु की रक्षा करना।धर्म संसद की अपेक्षा है कि चातुर्मास पूर्ण होने अर्थात 26 सितम्बर के बाद से शारदीय नवरात्र के प्रारंभ होने (12 अक्तूबर) तक सभी साधु-संत अपना सम्पूर्ण समय लगाकर जन-जागरण का कार्य करें। गांव-गांव, नगर-नगर, डगर-डगर जाएं, अलख जगाएं।धर्म संसद ने विश्व हिन्दू परिषद को निर्देशित किया है कि वह देवात्थान एकादशी (20 नवम्बर) से गीता जयन्ती (20 दिसम्बर) तक देशभर में यात्राएं आयोजित कर प्रचण्ड जनजागरण की योजना बनाए। इन यात्राओं में ठीक वैसे ही तैरने वाले पत्थरों को जन-जन के बीच ले जाया जाएगा जिनसे लाखों वर्ष पूर्व श्रीराम सेतु का निर्माण हुआ था। यात्राओं में प्रयुक्त किए जाने वाले ये विशेष प्रकार के पत्थर श्रीराम सेतु को तोड़कर नहीं लाए जाएंगे बल्कि इस प्रकार के पत्थर विशिष्ट स्थान पर अभी भी उपलब्ध हैं।इन यात्राओं के साथ ही संत समाज रामभक्तों का आह्वान करेगा- चलो दिल्ली।दिल्ली कूच इस आंदोलन के प्रथम चरण का अंतिम कार्यक्रम होगा। संतों की अपेक्षा है कि इससे पूर्व ही सरकार जनभावनाओं का आदर कर रामसेतु तोड़ने की परियोजना में बदलाव कर लेगी।22
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