भारतीय मजदूर संघ
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भारतीय मजदूर संघ

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May 8, 2007, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 08 May 2007 00:00:00

राष्ट्रवादी श्रम आन्दोलन के 52 वर्ष-अश्वनी राणाभारतीय मजदूर संघ (भामसं) की स्थापना 23 जुलाई, 1955 (तिलक जयन्ती) को (स्व.) दत्तोपंत ठेंगडी द्वारा भोपाल में की गई थी। आज भारतीय मजदूर संघ अपने स्थापना के 52 वर्ष पूरे होने पर एक करोड़ से अधिक सदस्यता तथा पांच हजार से अधिक यूनियनों के साथ देश का पहले नम्बर का केन्द्रीय श्रमिक संगठन है। भारतीय मजदूर संघ का कार्य भारत के 32 राज्यों तथा 44 उद्योगों में है। यह 1989 की सदस्यता सत्यापन के आधार पर पहली बार 1996 में देश का नम्बर एक मजदूर संगठन घोषित हुआ। वर्ष 2002 की सदस्यता सत्यापन के अन्तरिम परिणाम की घोषणा के अनुसार भारतीय मजदूर संघ 62 लाख से भी अधिक संख्या के साथ आज भी देश का सबसे अधिक सदस्यों वाला मजदूर संगठन है।भारतीय मजदूर संघ की स्थापना से पहले मजदूर संगठन राजनीतिक पार्टियों से सम्बन्धित थे तथा पार्टी के मजदूर संगठन के रूप में कार्य करते थे। प्रारम्भ में अन्य मजदूर संगठनों का विरोध तथा व्यंग्य भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ताओं को सहना पड़ता था, लेकिन भारतीय मजदूर संघ ने एक गैरराजनीतिक श्रमिक संगठन के रूप में अपना कार्य प्रारंभ किया तथा आज भी उसी सिद्धान्त पर कायम है। कोई भी राजनीतिक नेता इसका पदाधिकारी नहीं है तथा इसका कोई भी सदस्य राजनीतिक चुनाव न लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।भारतीय मजदूर संघ ने अन्य मजदूर संगठनों से हटकर कई नये नारे तथा विचार श्रमिकों के सामने रखे। “भारत माता की जय” का उद्घोष पहली बार श्रमिक आन्दोलन में हुआ। भारतीय मजदूर संघ के कुछ उद्घोष इस प्रकार हैं-0 देश हित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम।0 नया जमाना आयेगा, कमाने वाला खिलायेगा।0 मजदूरों, दुनिया को एक करो।0 बी.एम.एस. की क्या पहचान, त्याग-तपस्या और बलिदान।0 राष्ट्र का औद्योगिकीकरण, उद्योगों का श्रमिकीकरण, श्रमिकों का राष्ट्रीयकरण17 सितम्बर विश्वकर्मा जयन्ती को राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाना तय किया गया। भारतीय मजदूर संघ का मानना है कि भगवान विश्वकर्मा दुनिया के पहले शिल्पकार थे, इसलिए उनकी जयन्ती से बढ़कर श्रमिकों के लिए कोई और मजदूर दिवस नहीं हो सकता।भारतीय मजदूर संघ के कुछ महत्वपूर्ण सोपान हैं-0 1967 में सरकारी कर्मचारियों सहित सभी श्रमिकों के लिए बोनस की मांग करने वाला प्रथम श्रमिक संगठन।0 1969 में ही साम्यवाद के पतन की घोषणा करने वाला प्रथम सामाजिक संगठन।0 1989 में ही आर्थिक साम्राज्यवाद के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने वाला प्रथम संगठन।0 1999 में रोजगार बढ़ाने की मांग करने वाला एकमात्र केन्द्रीय श्रम संगठन।0 विदेशी आर्थिक आक्रमण के एकमात्र विकल्प- स्वदेशी का अनुसरण के उद्देश्य से स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना।आज भी भारतीय मजदूर संघ विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) का पूर्ण रूप से विरोध तथा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार से मांग कर रहा है।यह देश का एकमात्र ऐसा केन्द्रीय श्रम संगठन है जो किसी भी अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन से सम्बद्ध नहीं है और न ही कोई अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक सहायता लेता है। 1996 से देश के पहले क्रमांक के केन्द्रीय श्रम संगठन के नाते भारतीय मजदूर संघ अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के सम्मेलनों में भारतीय श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करता आ रहा है। भारतीय मजदूर संघ ने- भारतीय श्रम शोध मण्डल, सर्वपंथ समादर मंच, विश्वकर्मा श्रमिक शिक्षा संस्था व पर्यावरण मंच जैसे सहयोगी संगठनों की भी स्थापना श्रमिकों के हित में की है।18

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