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-पंचानन अग्रवाल
ऐसी मानसिकता किस बात का द्योतक हो सकती है कि प्रेम विवाह के बाद एक ईसाई पति अपनी हिन्दू पत्नी को मत परिवर्तन के लिए बाध्य करे? 5 अक्तूबर को उड़ीसा के महाकालपाड़ा थाने में ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया। सुमित्रा मल्लिक के पिता बिचित्र मल्लिक ने थाने में एक प्रथमिकी दर्ज करा कर शिकायत की है कि सुमित्रा के पति प्रदीप दास ने उनकी पुत्री से ईसाई मत अपनाने के लिए जोर जबरदस्ती की। जब सुमित्रा ने ईसाई मत स्वीकार करने से इंकार किया तो उसके पति प्रदीप और ससुर भोला दास ने उसे मानसिक और शारीरिक यातनाएं देनी शुरू कर दीं। किन्तु जब वे अपने उद्देश्य में कामयाब नहीं हुए तो उसे एक दिन 50 हजार रुपए दहेज के रूप में अपने पिता से मांग कर लाने के लिए कहा।
उल्लेखनीय है कि सुमित्रा और प्रदीप दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे। घर वालों के विरोध के बावजूद दोनों ने 10 मार्च, 2005 को केन्द्रापाड़ा न्यायालय में शादी कर ली। विरोध का कारण सुमित्रा का हिन्दू और प्रदीप का ईसाई होना था। शादी के कुछ महीने बाद प्रदीप सुमित्रा को ईसाई मत अपनाने के लिए बाध्य करने लगा। इंकार करने पर उसके साथ ज्यादतियां होने लगीं। यहां तक कि खाना भी बन्द कर दिया गया। एक दिन प्रदीप और उसके घर वाले सुमित्रा को जबरदस्ती मतांतरण के लिए भुवनेश्वर ले गए किन्तु वह किसी तरह उनके कब्जे से भाग कर घर वापस आ गई। कुछ दिन बाद जून, 2006 में ससुराल वालों ने उसे घर से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया। सुमित्रा के ससुर भोलादास ने मतांतरण के लिए अपनी बहू को बाध्य करना सही ठहराते हुए कहा कि उसके पुत्र द्वारा एक हिन्दू लड़की से शादी करने के कारण समाज में उसका बहिष्कार किया जा रहा था।
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