शक्तिपीठ हिंगलाज की तीर्थयात्रा (बलूचिस्तान, पाकिस्तान) - (4)
May 24, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

शक्तिपीठ हिंगलाज की तीर्थयात्रा (बलूचिस्तान, पाकिस्तान) – (4)

by
Dec 3, 2006, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 03 Dec 2006 00:00:00

अनिर्वचनीय दर्शन

-तरुण विजय

बलूचिस्तान में हिंगलाज शक्तिपीठ का गुफा में स्थित मंदिर

बसें आगे बढ़ रही थीं। और यात्री हिंगलाज माता की जय के नारे गुंजा रहे थे। रेगिस्तान, हिंगला नदी का मनोरम दृश्य और रेतीले पहाड़ों के बीच घुमावदार रास्ता, चारों ओर जहां भी नजर जाती, हर चोटी और टीले पर सशस्त्र सैनिक पहरा दे रहे थे। पर आंखें सब कुछ देखते हुए भी मानो कुछ नहीं देख रही थीं क्योंकि हमारे मन में अब सिर्फ एक ही मूरत विराजमान थी-माता हिंगलाज की, और एक ही आकांक्षा थी माता के दर्शन की। यह पूर्ण से अपूर्ण के मिलन का रोमांच था। यात्रा के इस हिस्से तक कहीं रुकते भी थे, कुछ देखते भी थे और बतियाकर कुछ नोट भी करते। पर अब हाथों ने कुछ और करने से मानो इनकार कर दिया और पांव बस रुकते ही मन्दिर की ओर चल पड़ने को लालायित। बस जो भी होना है, इसी क्षण होना है, अभी होना है और इसके बाद बाकी कुछ हो या न हो, कोई चिन्ता नहीं। काल, विभीषिकाओं और दूरियों के सहस्रों अवगुंठन में जिस देवी का श्री विग्रह अब तक छिपा सा रहा उसके दर्शन की ओर हम पूर्व जन्म के किस पुण्य के प्रताप से बढ़ चलने का यह अवसर पा सके, यह अपने आप में एक आश्चर्य सा लग रहा था। जो यह हो रहा है, क्या सच हो रहा है, यह भी स्वप्न सा लगने लगा था। बसें एक परिसर में दाखिल होकर किनारे पर रुकीं और ड्राइवर अमानुल्लाह बोला, “साहब उतरिए, हम आ गए।” चारों ओर भगवा और लाल झण्डियां लगी थीं। सामने एक छोटा सा देहरी मन्दिर था और सैकड़ों लोगों का समूह हमारी प्रतीक्षा में खड़ा था। हमसे पहली बस में ओंकार सिंह लाखावत जी उतरे और फिर कहीं से एक नारा हवा में सनसनाया-भारत माता की जय। गजब ही हो गया हिंगलाज माता के पावन परिसर में पावनता का स्पर्श पाते ही जो पहली बात याद आई, वह थी भारत माता की। देहरी मन्दिर में श्री जसवन्त सिंह के साथ सभी ने पूजा की। यहां दो बड़े हाल हैं जिनमें पांच सौ लोग आ सकते हैं। इस परिसर में यात्रियों के रुकने, भोजन पकाने और लंगर की सुघड़ व्यवस्था है और कई भवन बने हुए हैं। दानदाताओं के भी जहां-तहां नामांकित पत्थर लगे हैं। बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री जाम युसुफ और उनका बेटा जाम कमाल, जो इस इलाके का नाजिम यानी जिला प्रशासन का अध्यक्ष भी है, सुरक्षा बलों की पूरी व्यवस्था के साथ मौजूद थे। उन्होंने शानदार दावत दी। फल, मेवे, शाकाहारी खाना। फिर यहां के हिन्दू समाज को हरसंभव मदद का आश्वासन किया। यहां खिपरो, मिथी, उथल, लासबेला और कराची तक से आए लगभग दो-ढाई सौ हिन्दू थे। श्यामलाल लासी, माता हिंगलाज सेवा मण्डली के महासचिव हैं। उनकी लासबेला में कपड़ों की दुकान है। लासबेला के रहने वाले हिन्दू-मुसलमान अपने नाम के आगे अक्सर लासी लगाते हैं। जाम युसुफ साहब के साथ जहप्रकाश शीतलानी जी मिले। वे बलूचिस्तान सरकार में वजीरे-अक्लियत यानी अल्पसंख्यक मंत्री हैं। जमाते-उलेमा (फजलुर्रहमान) ने उन्हें क्वेटा से नामांकित किया, पाकिस्तान में पार्टियां चुनाव लड़ती हैं फिर पार्टी जिसे ठीक समझे उसे संसद या विधानसभा में नामांकित करती हैं। वहां प्रशासनिक सुधार बहुत तेजी से हुए हैं, खासकर परवेज मुशर्रफ के समय। जिला तथा ग्राम इकाइयों के प्रमुख के नाते अब कलेक्टर नहीं बल्कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि होता है जिसे नायब नाजिम और नाजिम कहा जाता है।श्यामलाल जी ने बताया कि चार दिन पहले ही सब लोग हमारे स्वागत की तैयारियों के लिए यहां आ गए थे। सबसे बढ़िया 45 रुपए किलो वाले चावल की 25 बोरियां, 500 लोगों के लिए तीन दिन का आटा, सब्जियां, दालें, देसी घी, मिठाइयां और नई जगह के पानी की वजह से यात्रियों की तबियत न खराब हो इसलिए ट्रक भरकर मिनरल पानी की बोतलें लाए। भारतीय उच्चायुक्त श्री राघवन भी अपने दो वरिष्ठ अधिकारियों-श्री सीबी जार्ज और श्री परमानंद सिन्हा के साथ इस इलाके में पहली बार आए। अन्यथा भारतीय राजनयिकों को भी इस इलाके में आने की अनुमति नहीं मिलती। राघवन बोले कि पानी की बोतलें इतनी अधिक लाए हैं कि एक स्वीमिंग पूल भर जाए। हमारी सुरक्षा के लिए 25,000 सुरक्षा सैनिक पूरे इलाके में तैनात थे। यह ऐसा इलाका है जहां न बिजली है, न फोन। इसलिए खास तौर पर जनरेटर मंगवाए गए। अघोर से हिंगलाज तक की सड़क चार दिन लगातार रात-दिन काम करके गाड़ी चलाने लायक बनायी गयी। बलूचिस्तान का इलाका इस समय इस्लामाबाद के खिलाफ विद्रोह और उस विद्रोह को कुचलने के लिए पाकिस्तानी सैनिकों की युद्धक कार्रवाइयों से संत्रस्त है। फिर भी हमें अनुमति मिली, यह क्या मुशर्रफ के आत्मविश्वास को ही दर्शाता है?थोड़ी ही देर में हम सामान हाल में रखकर मन्दिर की ओर चले। हमारे साथ उथल का श्यामलाल आनन्द नामक युवक था, जिसे सब शम्मी कहते थे। ज्यादातर हिन्दू व्यापारी हैं। यहां के सुशील कुमार जैसे गायक काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। माता के भजनों के उनके कैसेट व सीडी काफी लोकप्रिय हैं। जहां हम उतरे, वहां से माता की गुफा लगभग डेढ़ फर्लांग होगी। दो पहाड़ों के बीच उबड़-खाबड़ रेतीली पगडण्डियों का रास्ता, कहीं खजूर के पेड़ हैं तो झुरमुट-झाड़ियां, उनके बीच से पानी का एक प्रवाह बहता है। पिछले साल चट्टानों के अवरोध से पानी जमा हो गया था और एक छोटी झील सी बन गई थी। मंदिर तक जाने का रास्ता ही जलमय हो गया था। इस साल साफ, सुन्दर पानी दो छोटे तालों में एकत्र है, वहीं यात्री स्नान कर माता के दर्शन के लिए गुफा में जाते हैं। परंपरा है कि स्नान के बाद नए वस्त्र पहनकर पुराने वस्त्र वहीं छोड़ दिए जाते हैं। स्नान के तुरंत बाद गीले कपड़ों में ही गुफा में गर्भगृह से निकलना होता है। यह गर्भगृह, माता का जहां पिण्ड स्थापित है, से नीचे लगभग दो फीट चौड़ा और लगभग 26-27 फीट लम्बा अर्धवृत्ताकार मार्ग है। इसमें घुटनों के बल रेंग-रेंग कर हाथों से रास्ता ढूंढते हुए चलना पड़ता है। दो यात्रियों का जोड़ा किया जाता है और वे यहां से हमेशा के लिए भाई बन जाते हैं। शम्मी मुझे सरोवर के ऊपरी हिस्से की ओर ले गए, वहां स्नान किया, कपड़े पहने और पूजन का सामान लिए मंदिर में आए। मुझे न तो पूजन सामग्री की यथायोग्य विधिवत् जानकारी थी और न ही गीले कपड़ों में गर्भगृह से निकलना याद रहा। पर माता के चरणों में भाव पुष्प अर्पित करने का भाव ही सब कुछ संभाल लेगा, यह विश्वास था। मैं उन्हीं कपड़ों में गर्भगृह से निकला तो सामने नाथू सिंह जी दिखे। बोले आपने अभी तक किसी को भाई तो नहीं बनाया, अब हम दोनों आज से भाई हो गए। वाह। माता की अपरम्पार कृपा से अभिभूत हम तीन सीढ़ियां चढ़कर ऊपर मंदिर में पहुंचे। वातावरण में एक अद्भुत गरिमा और शांति विराजित थी। माता का पिण्ड वैष्णो देवी की याद दिलाता है। लाल गोटे लगी चुन्नियां, चांदी के छत्र, सिन्दूर के लेप में शक्ति का वास, दायीं और सिन्दूर का एक बड़ा पात्र जिससे पुजारी टीका लगाते हैं और उसके बगल में त्रिशूल। वहीं बगल में गुरु गोविन्द सिंह एवं बाबा गुरुनानक के चित्र भी शोभायमान थे। पुजारी ने बहुत आदर और शांत भाव से पूजा सम्पन्न कराई। अनेक भक्त निरंतर दुर्गा सप्तशती का जाप कर रहे थे। कुछ यात्रियों ने रात भर पूजन और जप का मन बनाया हुआ था। हम भी कुछ देर बैठे, ध्यान लगाया। फिर पाकिस्तानी मित्रों से बात करने नीचे उतर आए। राजस्थान से ही हमारे दल में आए मुस्लिम मीरासियों का दल लगातार माता के भजन और स्तुतियां गा रहा था। गुफा के दो ओर दीवार बनाकर इसे एक औपचारिक एवं संरक्षित मंदिर भवन का रूप दिया गया है। हालांकि यहां हमेशा पुजारी नहीं रहते, समय-समय पर तीज-

त्योहार या मेले के अवसर पर उथल से आते हैं। हम अभी नीचे उतरे ही थे कि एक शान्त सौम्य और भक्तिभाव की प्रतिमूर्ति सी महिला आती दिखीं। वे तो हमारे दल में नहीं थीं। कौन थीं वे? (अगले अंक में जारी)

बसें यूं मन्दिर तक पहुंचीं।

और ऐसे मिले पर्वत रास्ते में।

द्वार के पास एक छोटे से देहरी मन्दिर में देवी प्रतिमा

गुफा के भीतर माता की पूजा करते हुए भक्त। दायीं ओर हैं पुजारी

सर्वश्री जसवंत सिंह, मानवेन्द्र सिंह, पुष्पदान गढ़वी एवं देव नारायण थानवी, पाकिस्तानी पुजारी व भक्तों के साथ आरती करते हुए।

श्री जसवंत सिंह का स्वागत करते हुए बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री जाम युसुफ।

हिन्दुस्थान से आए अतिथियों का स्वागत अपनी भाषा में ही करने की इच्छा के कारण, माता हिंगलाज परिसर में हिन्दू पंचायत, लासबेला द्वारा टूटी-फूटी हिन्दी में लगाया गया बैनर।

आतंकवाद निरोधक पाकिस्तानी दस्ते का एक सैनिक

पाकिस्तानी हिन्दू-मंदिर परिसर में

सायंकालीन भजन संध्या में पाकिस्तानी हिन्दू भक्तों का मधुर गायन

मन्दिर के बाहर लासबेला से आए भक्तगण।सभी छायाचित्र: तरुण विजय

33

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

सीनेटर सैयद अली जफर

Indus Water Treaty: भारत के ‘वाटर बम’ से तिलमिलाए जिन्ना के देश के सांसद जफर, कहा-‘हम प्यासे मर जाएंगे’

Kartar singh sarabah jayanti

अंग्रेजों के लिए दहशत का पर्याय थे, महारथी करतार सिंह सराभा

Punjab train derail consiracy

पंजाब के बठिंडा में ट्रेन डिरेल करने की साजिश नाकाम, आरोपी लाली सिंह गिरफ्तार

Punjab Haryana highcourt

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिसिया बर्बरता की कड़ी निंदा की, कर्नल बाठ मामले में आरोपी पुलिसकर्मी की जमानत खारिज

Donald trump

ट्रंप की टैरिफ धमकी: Apple के भारत में प्लांट पर 25% शुल्क, फिर भी क्यों फायदेमंद रहेगा भारत?

Army Shared video of Operation Sindoor

आतंकवाद के खिलाफ भारत का वैश्विक अभियान: ऑपरेशन सिंदूर और कूटनीतिक पहल

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

सीनेटर सैयद अली जफर

Indus Water Treaty: भारत के ‘वाटर बम’ से तिलमिलाए जिन्ना के देश के सांसद जफर, कहा-‘हम प्यासे मर जाएंगे’

Kartar singh sarabah jayanti

अंग्रेजों के लिए दहशत का पर्याय थे, महारथी करतार सिंह सराभा

Punjab train derail consiracy

पंजाब के बठिंडा में ट्रेन डिरेल करने की साजिश नाकाम, आरोपी लाली सिंह गिरफ्तार

Punjab Haryana highcourt

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिसिया बर्बरता की कड़ी निंदा की, कर्नल बाठ मामले में आरोपी पुलिसकर्मी की जमानत खारिज

Donald trump

ट्रंप की टैरिफ धमकी: Apple के भारत में प्लांट पर 25% शुल्क, फिर भी क्यों फायदेमंद रहेगा भारत?

Army Shared video of Operation Sindoor

आतंकवाद के खिलाफ भारत का वैश्विक अभियान: ऑपरेशन सिंदूर और कूटनीतिक पहल

तिरुपति बालाजी मंदिर में नमाज विवाद: श्रद्धालुओं में आक्रोश, टीटीडी की चुप्पी

Hrish puri UN exposes Pakistan on terrorism ground

बेशर्म पाकिस्तान! आतंकी हमले करने के बाद नागरिक सुरक्षा पर UN में बांट रहा ज्ञान, भारत ने बोलती बंद कर दी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : राष्ट्र निर्माण की यात्रा, आपके सहभाग की प्रतीक्षा

Bareilly News, crime news, Bareilly News Today, Bareilly News in Hindi, Bareilly latest news, Uttar Pradesh news

हल्द्वानी में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र का खुलासा: बनभूलपुरा में कब्रिस्तान कमेटी पर FIR

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies