नेपाल में ऐतिहासिक शांति समझौता
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नेपाल में ऐतिहासिक शांति समझौता

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Oct 12, 2006, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 12 Oct 2006 00:00:00

शांति और प्रगति की राह?

-काठमाण्डू प्रतिनिधि

गत 11 वर्ष से जारी माओवादी सशस्त्र विद्रोह का आखिरकार अंत हुआ। 21 नवम्बर की रात नेपाल की गठबंधन सरकार और नेकपा (माओवादी) ने काठमाण्डू स्थित बीरेन्द्र अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र में शान्ति समझौते पर हस्तक्षार किए। नेपाल सरकार की ओर से प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोईराला और नेकपा (माओवादी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल (प्रचण्ड) ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।

राजनीतिक गलियारों में इस समझौते को शान्ति प्रक्रिया की ओर एक ऐतिहासिक कदम कहा जा रहा है। समझौते के अंतर्गत स्पष्ट किया गया है कि सात राजनीतिक दलों के गठबंधन एवं नेकपा (माओवादी) के बीच अब तक जो भी समझौते हुए हैं, और भविष्य में भी होने वाले समझौते सब इसका ही अंग माने जाएंगे।

संविधान सभा के जरिए नेपाली जनता की सार्वभौम सत्ता की सुनिश्चितता, अग्रगामी राजनीति, राज्य की लोकतांत्रिक पुर्नगठन और आर्थिक-सामाजिक-सांस्कृतिक रूपान्तरण के लिए दोनों पक्षों के बीच हुई राजनीतिक सहमति के आधार पर माओवादियों द्वारा सन् 1995 से जारी सशस्त्र विद्रोह को समाप्त कर शान्तिपूर्ण सहयोग का नया अध्याय प्रारम्भ करने का संकल्प लिया गया है।

समझौते में राज्य के विकासोन्मुख पुनर्गठन, प्रतिस्पर्धात्मक बहुदलीय लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था, जनता के मौलिक अधिकार, प्रेस की आजादी, कानूनी राज्य की अवधारणा के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए जुलाई 2007 तक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से संविधान सभा के चुनाव सम्पन्न कराने की बात कही गई है।

11 पृष्ठों वाले 10 सूत्रीय समझौते में राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक रूपान्तरण एवं व्यवस्थापन, सेना एवं हथियारों की व्यवस्था, युद्धविराम, सैन्य कार्यवाही एवं सशस्त्र संघर्ष का अंत और स्थिति सामान्य करने के उपायों, युद्ध की समाप्ति, मानवाधिकार, मौलिक अधिकार और कानून का पालन, मतभेद दूर करने तथा कार्यान्वयन तंत्र आदि का उल्लेख है।

माओवादी जनसेना के लिए कैलाली, सुर्खेत, रोल्पा, नवलपरासी, चितवन, सिन्धुली और इलाम जिलों में मुख्य शिविर एवं इसके आस-पास तीन-तीन सहायक शिविर स्थापित करने की बातें कही गई है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के नेपाल स्थित प्रतिनिधि इसकी निगरानी करेंगे और अन्य सभी तरह की व्यवस्थाएं नेपाल सरकार करेगी।

समझौते में कहा गया है कि अब अपहरण, हिंसा, जबरदस्ती सम्पति पर कब्जा और अवैध हथियारों एवं विस्फोटक पदार्थों को रखना अपराध माना जाएगा। देश की शासन व्यवस्था सम्बन्धी कोई भी अधिकार अब राजा के पास नहीं रहेगा। स्वर्गीय राजा बीरेन्द्र, रानी ऐश्वर्य और उनके परिवार की सम्पत्ति को एक ट्रस्ट की देखभाल में रखा जाएगा। उस ट्रस्ट की स्थापना नेपाल सरकार करेगी। उस सम्पत्ति का उपयोग राष्ट्रहित में किया जाएगा। राजा के नाते जो भी सम्पत्ति राजा ज्ञानेन्द्र ने प्राप्त की है, उसका राष्ट्रीयकरण किया जाएगा। राजा ज्ञानेन्द्र को नई व्यवस्था में क्या स्थान दिया जाएगा, इसका निर्णय संविधान सभा की पहली बैठक में साधारण बहुमत के आधार पर लिया जाएगा। समझौते पर हस्ताक्षर के समय विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, मंत्रिमंडल के सदस्य, राष्ट्रसंघ के महासचिव के विशेष प्रतिनिधि इयान मार्टिन और काठमाण्डू स्थित विदेशी राजनयिक उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोईराला ने कहा कि यह ऐतिहासिक समझौता है। आज हिंसा और आतंक की राजनीति समाप्त हुई है तथा सहयोग की राजनीति का शुभारम्भ हुआ है। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को विशेष धन्यवाद देते हुए नए नेपाल के निर्माण में सहयोगी बनने का आग्रह भी किया। प्रधानमंत्री कोईराला ने कहा कि बन्दूक से किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता, वार्ता ही अन्तिम उपाय है।

नेकपा (माओवादी) के अध्यक्ष प्रचण्ड ने कहा कि आज का दिन नेपाल और नेपालवासियों के लिए विजयोत्सव और प्रतिगामी तत्वों के लिए पराजय का दिन है। हमारी पार्टी इस समझौते का पूरी निष्ठा से पालन करेगी। नेपाली जनता ने राजनीतिक-सामाजिक बदलाव के लिए अद्भुत इच्छाशक्ति दिखाई है। यह शान्ति और प्रगति का सन्देश भी है।

प्रचण्ड ने इसे नेपाली जनता की इच्छाओं की पूर्ति बताते हुए कहा कि आज से नए नेपाल के निर्माण की प्रक्रिया का प्रारम्भ हुआ है। सरकार की ओर से वार्ता दल के संयोजक एवं गृहमंत्री कृष्ण प्रसाद सिटौला का कहना था कि वर्षों से नेपाली जनता सच्चे लोकतंत्र के लिए संघर्षरत रही है, पर उसकी आकांक्षा आज वास्तव में पूरी हो पायी है। माओवादी वार्ता दल के संयोजक एवं पार्टी प्रवक्ता कृष्ण बहादुर महरा ने भी समझौते को नेपाल के इतिहास में मील का पत्थर बताया और आशा व्यक्त की कि नेपाली जनता अब पूर्ण रूप से लोकतंत्र की खुली हवा में सांस ले पाएगी।

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एमाले) के महासचिव माधव कुमार नेपाल ने कहा कि नेपाल की राजनीति में यह समझौता ऐतिहासिक साबित होगा। नेपाली कांग्रेस (प्रजातांत्रिक) के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने भी समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि नए नेपाल के निर्माण की दिशा में यह समझौता उल्लेखनीय साबित होगा। अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस समझौते का आमतौर पर स्वागत किया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ, भारत, संयुक्त राज्य अमरीका, चीन, इंग्लैण्ड जैसे देशों ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर समझौते को शान्ति बहाली की दिशा में एक उपयुक्त कदम माना है। उधर राजदरबार नारायणहिटी से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि राजा ज्ञानेन्द्र देश की आवश्यकता और जनता की इच्छा के अनुरूप समझौता होने पर प्रसन्न हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि समझौता हिंसा और आतंक समाप्त करने की दिशा में फलदायी साबित होगी। नेपाल नरेश ने लोगों से आग्रह किया है कि समझौते को दीर्घकालीन शान्ति में परिणत करते हुए सभी नेपाली आपस में मिलकर बहुदलीय प्रजातंत्र के माध्यम से समुन्नत नेपाल के निर्माण में जुटें।

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