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फिर किया एक क्रांतिवीर का अपमान
वचनेश जी अन्तर्बाह्र सत्य की प्रतिमूर्ति थे। वामपंथ की कलुष कथा को परत दर परत उघाड़ने और देश विभाजन के दोषी नेताओं के विरुद्ध तीखी टिप्पणी करने में उन्होंने कभी संकोच नहीं किया। शायद इसी का परिणाम था कि इस महान क्रांतिकारी को अन्तिम सलामी देने आई सैन्य गारद अंत्येष्टि स्थल वैकुंठधाम से बिना सलामी दिए लौट गई। वहां उपस्थित लोगों ने गारद के प्रमुख से पूछा, “शव यात्रा पहुंचने वाली है, वापस क्यों जा रहे हैं?” उसने कहा कि मोबाइल पर सूचना मिली है- वापस चले आओ। फिर उस गारद प्रमुख ने पलट कर पूछा- ये आर.एस.एस. से जुड़े थे क्या?
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