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-मेजर जनरल(से.नि.) अफसर करीम, रक्षा विश्लेषक
80 वर्षीय बलूच नेता नवाब अकबर बुगती बलूचिस्तान के एक सम्मानित नेता थे। पूरे क्षेत्र के बलूच उन्हें अपना बुजुर्ग मानते थे, उनकी बहुत इज्जत थी, उन्हें निशाना बनाकर मार डालने की उग्र प्रतिक्रिया हुई है। लोग भड़क उठे हैं। इतना ही नहीं, जो लोग सीधे तौर पर बलूच आंदोलन से नहीं जुड़े थे, वे भी प्रदर्शन कर रहे हैं। मुझे लगता है कि नई परिस्थिति में यह आंदोलन और उग्र हो जाएगा। क्वेटा, कराची में प्रदर्शन हुए, पथराव हुआ। पाकिस्तान के विपक्षी नेताओं ने भी इस घटना की भत्र्सना की है। पाकिस्तान अब तक ऐसे सम्मानित नेताओं को निशाना बनाकर नहीं मारता था, परन्तु जनरल मुशर्रफ की फौज ने बुगती पर निशाना साधा है। यह पाकिस्तान की एक बड़ी भूल है जिसके बेहद खराब नतीजे होंगे।
बलूचिस्तान में पाकिस्तान ने लम्बे समय से बलूच नेताओं को नहीं छेड़ा था। पर अब सैन्य कार्रवाई में एक नया चलन देखने में आ रहा है- नेताओं पर निशाना साधो। इस्रायल भी ऐसा कर रहा है। मगर इसका नतीजा उल्टा ही निकलता है। बात और बढ़ जाती है। बलूचिस्तान का पूरा क्षेत्र रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। ईरान और अफगानिस्तान से उसकी सीमाएं मिलती हैं। चीन की मदद और उसकी सुविधा के लिए ग्वादर बंदरगाह बन रहा है। यहां प्राकृतिक गैस आदि संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं। इन संसाधनों का लाभ बलूचों को नहीं मिलता। ईरान से आने वाली पाइपलाइन उसी रास्ते से आनी है। कुल मिलाकर यह बहुत संवेदनशील और रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण क्षेत्र है। लेकिन इस पर पाकिस्तान का नियंत्रण नहीं दिख रहा है। बलूच आंदोलन को शुरू हुए काफी समय हो चुका है। बुगती कबीले के लोग पाकिस्तान में शामिल नहीं होना चाहते थे। पाकिस्तान से अपने को अलग रखने के लिए वे आंदोलन चलाते रहे हैं और जिस तरह बंगलादेश में पहले आजादी की मांग का आंदोलन चला था, उसी तर्ज पर यहां बलूच आंदोलन चलता रहा है। मगर बुगती को मारने से झगड़ा और बढ़ेगा। पाकिस्तान के लिए एक बड़ी मुश्किल उठ खड़ी हुई है। वजीरिस्तान में पहले ही पाकिस्तान के 80 हजार सैनिक तैनात हैं। यहां बलूचिस्तान में भी सैन्य कार्रवाई चल रही है। इससे दिखता है कि पाकिस्तान में उथल-पुथल बढ़ रही है, जो आसानी से नियंत्रित नहीं हो पाएगी। वहां मानवाधिकारों का खुलकर उल्लंघन हो रहा है। हिंसा हो रही है। मुझे लगता है, भारत सहित अन्य देशों को भी इस पर आवाज उठानी चाहिए। भारत ने बलूचिस्तान के संदर्भ में थोड़ी प्रतिक्रिया जरूर दर्शाई थी, मगर ताजा हालात के बाद क्या रुख रहने वाला है, यह देखना होगा। वजीरिस्तान और बलूचिस्तान कबीलाई इलाके हैं, जिन पर पाकिस्तान का नियंत्रण नहीं है। भौगोलिक स्थिति भी बहुत पेचिदा है। कोई प्रशासन वहां चल नहीं सकता। इन दोनों क्षेत्रों के लोग आजादी पसंद हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें अपने इलाकों के संसाधनों पर हक मिलना चाहिए। बुगती की हत्या के बाद अगर हालात काबू से बाहर चले गए तो बंटवारा तो नहीं, पर पूरे पाकिस्तान में एक जबरदस्त उठा-पटक जरूर दिख सकती है। (वार्ताधारित)
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