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जब भी सास बहू की चर्चा होती है तो लगता है
कमियों को सुधारा, खूबियों को सराहा
अभी शादी को चार साल ही बीते हैं, लेकिन इन चार सालों में मैंने जितना अपनी सास को जाना है उससे कहीं ज्यादा उन्होंने मुझे जाना है। उन्होंने अपने मृदु व्यवहार से मेरी कमियों को सुधारा और खूबियों को सराहा है। उनके व्यवहार ने मेरे हृदय में अपनी एक अलग जगह बनाई है। उनका स्नेहाशीष सदैव इसी तरह मुझे मिलता रहे, भगवान से यही प्रार्थना करती हूं। उनकी आपसी समझदारी तो गजब की है। मुझे बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है, हालांकि उतनी ही तेजी से वह चला भी जाता है। शायद मेरे इस व्यवहार को भांप कर वह मुझसे कभी भी रूठी नहीं। मैं लाख गलती कर लूं लेकिन वह मुझसे जरा सा भी गुस्सा नहीं होतीं। प्रशंसनीय बात यह है कि मेरी किसी भी गलती या गलत व्यवहार की वह किसी से शिकायत तक नहीं करतीं। एक दिन घर में काफी मेहमान आए हुए थे। मेहमाननवाजी तथा अपने डेढ़ साल के लड़के अविरल की देखभाल में पूरा दिन मानो एक पल की तरह बीत गया। जब रात हुई तो थकान के मारे मेरी आंखों से आंसू टपकने लगे। मुझे देखकर वह सब कुछ समझ गईं। उन्होंने मुझे अपने पास बैठाया और अपने पुराने अनुभव बड़े प्यार से बताने लगीं। उस दिन अपने हाथों से उन्होंने मुझे खाना भी खिलाया। उनका यह व्यवहार देखकर मेरे मन में कई सवाल उठ खड़े हुए कि क्या मां जैसे इस रिश्ते को लेकर “हिटलर” जैसे विशेषण देने की अटकलें कभी खत्म होंगी? क्या कभी सास के रिश्ते को बिना अनुभव किए सम्मानजनक व्यवहार मिलेगा? हर रिश्ते के दो पहलू होते हैं- अच्छे और बुरे, तो फिर सास के रिश्ते का बुरा पहलू ही क्यों देखा जाता है? कब यह समझा जाएगा कि सास भी तो एक मां ही होती है। रिश्तों के नाम ही तो बदलते हैं, व्यक्ति नहीं…।
मोनिका रस्तोगी
म.सं.-100, गली सं. -2, गोविन्दपुरी, कालकाजी, नई दिल्ली-19
यामिनी की शिष्या एली वर्मा
नृत्य की बारीकियों में गुंथा जीवन
गत 14 अप्रैल की शाम को दिल्ली में भरतनाटम की नवोदित नृत्यांगना सुश्री एली वर्मा ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। साज एवं स्वर पर सधे उनके नृत्य तथा चेहरे के जीवंत भावों से वहां उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली की नृत्य कौस्तुभा सांस्कृतिक सोसायटी ने किया था।
सुश्री वर्मा ने यह प्रस्तुति अपनी नृत्य शिक्षा पूर्ण होने के अवसर पर की थी। एली दिल्ली के यामिनि नृत्य विद्यालय की छात्रा हैं। इसका संचालन भरतनाटम की विख्यात नृत्यांगना डा. यामिनी कृष्णमूर्ति करती हैं। एली का कहना है कि अब तो उनका पूरा जीवन ही नृत्य की बारीकियों में गुंथ गया है। प्रतिनिधि
मंगलम, शुभ मंगलम
इस स्तम्भ में दम्पत्ति अपने विवाह की वर्षगांठ पर 50 शब्दों में परस्पर बधाई संदेश दे सकते हैं। इसके साथ 200 शब्दों में विवाह से सम्बंधित कोई गुदगुदाने वाला प्रसंग भी लिखकर भेज सकते हैं। प्रकाशनार्थ स्वीकृत प्रसंग पर 200 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।
तुम से है जीवन में वसंत
प्रिय ममता,
विवाह की चौबीसवीं वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकारो। प्रिये, वह ऋतुराज वसंत का ही मौसम था जब हम एक-दूजे के जीवन के हमसफर बने थे। साथ-साथ चलते, सुख-दुख में एक-दूजे का साथ निभाते, कब चौबीस वर्ष गुजर गए, पता ही नहीं चला। विवाह की प्रथम वर्षगांठ पर हम दोनों ने अपने हाथों से अपने खेत में आम का एक छोटा-सा पौधा रोपा था, वह आज विशाल फलदार वृक्ष बन गया है। बौराए आम पर कोयल की मधुर कुहू-कुहू मानो वसंतागमन के साथ हमें हमारी हर वर्षगांठ की शुभकामनाएं दे जाती है और हम एक नई आशा, उत्साह और उमंग से भरकर जीवन-पथ पर अग्रसर होते चले जाते हैं।
प्रिये, अपने छोटे से परिवार में भी तुम्हारे ही स्नेह, प्रेम और ममत्व प्रधान गुणों की सुगंध बिखरी हुई है। इसमें किंचित भी अतिशयोक्ति नहीं है कि तुम से ही मेरे जीवन में वसंत है। ऋतुराज तो वर्ष में केवल दो माह के लिए आता है और प्रकृति में अपनी अनुपम छटा बिखरा कर चला जाता है, परंतु तुम्हारा साथ तो मेरे जीवन को सदा वसंतमय बनाए रखता है। मां के आकस्मिक निधन और दुर्घटना में मेरे पैर की हड्डी टूट जाने से उपजा दुख और कठिनाइयों का पतझड़ तुम्हारे वसंतमय सान्निध्य में कब गुजर गया, इसका पता ही नहीं चला। हमारा यह साथ सुदीर्घ काल तक बना रहे, परमपिता परमेश्वर से यही कामना है।
तुम्हारा अपना
ओम प्रकाश खरे “अकेला”
नृसिंह पशु आहार केन्द्र के ऊपर
जबलपुर नाका-दमोह, जिला-दमोह (म.प्र.)
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