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-रविचन्द्र गुप्ताएक चौदह वर्षीय बालक दण्डाधिकारी के सामने खुलेआम अपना नाम “आजाद” घोषित कर समस्त भारतीय युवाओं का हृदय सम्राट बन गया। दण्डाधिकारी ने जब उसके मुख से पिता का नाम “स्वाधीन” और निवास “जेलखाना” सुना तो वह क्रोध में आग बबूला हो गया और चन्द्रशेखर
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