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श्री रतन टाटा
श्री वेणुगोपाल धूत
भारत में जितना विदेशी पूंजी निवेश हो रहा है उससे कहीं ज्यादा पूंजी निवेश विदेशी कम्पनियों के अधिग्रहण पर भारतीय उद्यमी कर रहे हैं।
कोरस कम्पनी अपने अधिकार में लेने के बाद लंदन में एक प्रेस वार्ता में बाएं से टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक मुत्तुरामन, टाटा कम्पनी के अध्यक्ष रतन टाटा, कोरस समूह के अध्यक्ष जिम लेंग और मुख्य कार्यकारी फिलिप वारिन
टाटा ने विश्व की प्रमुख स्टील कम्पनी “कोरस” का अधिग्रहण किया विडियोकान ने देवू को खरीदा
विश्व व्यापी विस्तार और विश्वास
-दिल्ली ब्यूरो
टाटा द्वारा 8 अरब अमरीकी डालर (36,650 करोड़ रुपए) की कीमत पर यूरोप की एक बड़ी इस्पात निर्माता कंपनी कोरस का अधिग्रहण व्यापारिक भारत की अब तक कि सबसे बड़ी वैश्विक अधिग्रहण कहानी है। इससे एक नया अध्याय शुरु हुआ है और पहली बार भारत की कंपनियों द्वारा विश्व के अन्य बाजार में अधिग्रहण के लिए किया जाने वाला पूंजी निवेश भारत में विदेशी कंपनियों के पूंजी निवेश से बढ़ गया है। अभी तक भारतीय कंपनियों ने विदेशों में 130 कंपनियों का अधिग्रहण किया है जिनकी कुल लागत 19 अरब अमरीकी डालर है। तुलना में भारत में विदेशी कंपनियों द्वारा अभी तक किया गया कुल पूंजी निवेश 9 अरब अमरीकी डालर ही है। भारतीय कंपनियों ने मीडिया और मनोरंजन, जैव प्रौद्योगिकी, इस्पात, दवाएं जैसे नये क्षेत्रों में भी यूरोपीय कंपनियों का अधिग्रहण किया है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के उप महानिदेशक अजय खन्ना का कहना है कि जहां प्राचीन भारत ज्ञान और शिक्षा के लिए विश्व भर में जाना जाता था वहीं आधुनिक भारत प्रौद्योगिकी और विज्ञान के लिए दुनिया पर अपनी गहरी छाप छोड़ रहा है। भारतीय इंजीनियरों और कंपनी अध्यक्षों की मेधा और प्रतिभा से दुनिया चकित हो रही है।
ब्रिटेन में अमरीका तथा जापान के बाद भारत सबसे बड़ा निवेशक बन गया है। पिछले एक वर्ष में ब्रिटेन की विभिन्न परियोजनाओं में भारतीय निवेश 110 प्रतिशत बढ़ा है। यानी अब भारतीय निवेशक बड़ी संख्या में इंग्लैण्ड वासियों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं। सूचना और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की गौरव गाथा समूची दुनिया में गूंज रही है। ब्रिटेन में भी सूचना और प्रौद्योगिकी और साफ्टवेयर के क्षेत्र में भारतीय कम्पनियों ने निवेश के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। अन्य क्षेत्रों में रसायन, फार्मा, जैव चिकित्सा, आटोमोबाइल, दूर संचार और इलेक्ट्रानिक्स से जुड़ी परियोजनाओं में भारतयी निवेशकों ने रुचि दिखाई है। सूचना प्रौद्योगिकी की जानी मानी कम्पनी एच.सी.एल. ने ब्रिटेन में निवेश और रोजगार देने में शानदार उपलब्धि हासिल की है। टाटा टी ने इसके पूर्व टैटली नामक चाय निर्माता ब्रिटिश कम्पनी एवं अमरीकी दूरसंचार कम्पनी टाइको ग्लोबल का भी अधिग्रहण किया था। इस सौदे पर भारत के अनेक प्रमुख उद्योगपतियों ने प्रसन्नता जताई है। भारतीय औद्योगिक परिसंघ के पूर्व अध्यक्ष श्री सुनील कांत मुंजाल के अनुसार- “विश्व स्तर पर आगामी तीन-चार वर्षों में भारतीय उद्यमियों से जो अपेक्षाएं है उसका यह पूर्व संकेत है।” एसोचैम के अध्यक्ष श्री अनिल के. अग्रवाल ने इस अधिग्रहण के लिए टाटा स्टील बोर्ड को बधाई दी है। उन्होंने कहा है, “इससे सम्पूर्ण विश्व में भारतीय उद्यमियों की साख और प्रतिष्ठा बढ़ी है, विशेषकर जिस शानदार तरीके से टाटा स्टील ने यह सौदा किया है, वह उत्साहित करने वाला है।”
प. बंगाल में टाटा को कार निर्माण के लिए भूमि देने के विवाद में अपनी ही पार्टी के नेताओं और कृषकों का आक्रोश झेल रहे मुख्यमंत्री श्री बुद्धदेब भट्टाचार्य ने इसे भारतीय उद्योगों के विकास में महत्वपूर्ण कदम बताया है।
उधर देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रानिक्स उपकरण बनाने वाली कम्पनी विडियोकान ने भी अपने व्यवसाय में ऊंची छलांग लगाई है। गत 20 अक्तूबर को विडियोकान ने दक्षिण कोरियाई कम्पनी देबू का 3150 करोड़ रुपए में अधिग्रहण कर लिया। पिछले एक वर्ष में विडियोकान कम्पनी द्वारा विदेशी कम्पनियों को अधिग्रहित करने का यह तीसरा सौदा था। कम्पनी पहले ही थामसन के पिक्चर टूब उद्यम एवं स्वीडन की ए.बी. इलेक्ट्रोलक्स की भारतीय सहायक कम्पनी इलेक्ट्रोलक्स केल्विनेटर इंडिया का अधिग्रहण कर चुकी है।
दुनिया की सबसे बड़ी रंगीन पिक्चर टूब बनाने वाली कंपनियों में से एक है वीडियोकान जो उत्पादन, पुर्जे जोड़कर बनाई गई पिक्चर टूब बाजार और वितरण के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू सामान ही नहीं बल्कि तेल और गैस की खोज और उत्पादन में भी संलग्न है। कंपनी के सात व्यापारिक खंड हैं जिनमें घरेलू उपयोग के इलेक्ट्रॉनिक सामान, पुर्जे आदि बनाने के अलावा कम्प्रेसर्स का निर्माण भी होता है। उनका भरुच स्थित कारखाना दुनिया का सबसे बड़ा एक स्थान पर बना कारखाना है और उसके अन्य कारखाने पोलैंड, चीन तथा मैक्सिको में भी हैं जबकि ओमन और इटली में वीडियोकान एयर कंडीशनर जोड़कर विश्व बाजार में बेचता है।
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