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बस चिंता और चर्चा?-वासुदेव पाल”बंगलादेश में भारत के बारे में कोई बात करना तो ठीक है किन्तु उसके पक्ष में बात करते ही उसे राष्ट्रविरोधी घोषित कर दिया जाता है। भारतीय जवानों की जान की कीमत पर विश्व के नक्शे पर जिस बंगलादेश का जन्म हुआ था वहीं हिन्दुओं पर जिस तरह के अमानवीय अत्याचार हो रहे हैं उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।” यह बात गत 11 फरवरी को कोलकाता के बालीगंज शिक्षा सदन में आयोजित दो दिवसीय अन्तर्पांथिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए भारत के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल शंकर रायचौधुरी ने कही।जनरल रायचौधुरी ने एक बंगलादेशी दैनिक के हवाले से बताया कि अमरीका और पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान से खदेड़े गए तालिबानी जिहादी एवं अन्य आतंकवादी बंगलादेश में अपना अड्डा बना चुके हैं। अब ये आतंकवादी बंगलादेश के अल्पसंख्यक समुदायों-हिन्दू, ईसाई एवं बौद्धों-के खिलाफ सक्रिय हैं। भारत इस वैश्विक इस्लामी जिहाद से मुंह नहीं मोड़ सकता। हमें भी सचेत रहना पड़ेगा। अब तो बंगलादेश से सटे पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती 20-25 कि.मी. के क्षेत्र में जनसांख्यिकीय संतुलन ही बिगड़ गया है। भारतीय हिन्दू यहां अल्पसंख्यक हो गए हैं। भारत को इस समस्या से निपटने का कोई रास्ता सोचना होगा। भारत को बंगलादेश के हिन्दुओं के बारे में कोई नीति अपनानी होगी।बंगलादेश के अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार विरोधी अभियान (कैम्पेन अगेंस्ट एट्रोसिटीज ऑन मायनॉरिटीज इन बंगलादेश- सी.ए.ए.एम.बी.) की कोलकाता शाखा द्वारा आयोजित इस सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे जाने माने शिक्षाविद् एवं गणमुक्ति परिषद् के अध्यक्ष श्री सुनन्द सान्याल ने कहा कि बंगलादेश के दो शिक्षाविद्-मुनतासिर मामुस और अब्दुल गफ्फार चौधुरी भी मानते हैं कि वहां मानवाधिकार जैसी कोई चीज नहीं बची है। पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इनका अल्पसंख्यक प्रेम सिर्फ वोट पाने के लिए दिखावा भर है। सरकार के कामरेड मजदूरी करने वाले घुसपैठिए मुसलमानों से भी पैसा वसूलने में नहीं हिचकते। कम्युनिस्टों ने पुन: बंगलादेश वापस भेजने का भय दिखाकर इन लोगों को अपना वोट बैंक बना लिया है। यदि स्थिति ऐसी ही रही तो जल्द ही ये बंगलादेशी चुनाव जीतकर भारत की संसद में भी पहुंच सकते हैं।दो दिन तक चले इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बंगलादेश से आए वरिष्ठ अधिवक्ताओं राना दासगुप्ता, रोजलिन कोस्टा, डा. अजय राय, रविन्द्र घोष के अलावा सी.ए.ए.एम.बी. के लंदन, न्यूयार्क, कनाडा, जिनेवा एवं अमरीका के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। रोजलिन कोस्टा और रविन्द्र घोष ने बंगलादेश में जारी मानवाधिकार हनन की भयावह स्थिति एवं हिन्दू, ईसाई, बौद्ध अल्पसंख्यकों पर किए जाने वाली अमानुषिक अत्याचारों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। श्री अजय राय ने कहा कि बंगलादेश में हिन्दू किशोरियों के साथ बलात्कार एवं हिंसा होना आम बात है। कोलकाता में नारी आंदोलन की नेत्री और प्रसिद्ध लेखिका श्रीमती मैत्रेयी देवी ने कड़े शब्दों में कोलकाता के सेकुलर बुद्धिजीवियों को फटकारते हुए कहा कि गुजरात दंगे और इराक पर अमरीका के आक्रमण के विरोध में तो वे सड़कों पर उतर आते हैं लेकिन बंगलादेश के अल्पसंख्यकों पर होने वाले बर्बर अत्याचारों के बारे में उनके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकलता।13
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