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मुलायम या अभिषेक का “यश”गत 20 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने तमाम नियम-कायदों को ताक पर रखकर अभिनेता अभिषेक बच्चन को राज्य के सबसे बड़े सांस्कृतिक सम्मान “यश भारती” से सम्मानित किया। खास बात यह है कि पांच लाख रुपए के इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने वाले अभिषेक बच्चन अपने परिवार के चौथे सदस्य हैं। “दरिया दिल” मुलायम सिंह यादव उनके दादा हरिवंश राय बच्चन, उनके पिता अमिताभ बच्चन और उनकी माता जया बच्चन को पहले ही यह पुरस्कार दे चुके हैं।मुलायम सिंह यादव ने जब अभिषेक बच्चन को यह पुरस्कार देने की घोषणा की थी, तभी से विभिन्न राजनीतिक दलों, सांस्कृतिक संगठनों और छात्रों ने इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए व्यापक स्तर पर इसका विरोध किया था। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने सरकार के इस कदम को किसी परिवार विशेष को लाभ पहुंचाने का प्रयास बताया था। सांस्कृतिक क्षेत्र में गहरी पैठ रखने वालों ने यहां तक कहा था कि मुख्यमंत्री ने अभिषेक बच्चन को यह पुरस्कार देने का फैसला लेकर राज्य के अन्य महत्वपूर्ण कलाकारों के साथ अन्याय किया है। लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में तो छात्रों ने मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के साथ ही अभिषेक बच्चन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उनके पुतले भी जलाए थे। छात्रों ने इसे चुनावी रणनीति बताते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री आगामी विधानसभा चुनाव में बच्चन परिवार का इस्तेमाल समाजवादी पार्टी के चुनाव अभियान में करना चाहते हैं।खैर, वजह जो भी है, मगर इतना तय है कि मुख्यमंत्री ने अपने निजी स्वार्थ के लिए उत्तर प्रदेश के कलाकारों के अधिकारों पर कुठाराघात किया है।सुधरते रिश्तों का कमालअकाली दल (बादल) के अध्यक्ष प्रकाश सिंह बादल व उनके परिवार के खिलाफ 3500 करोड़ रुपए के कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की सीढ़ी लांघ कर कैप्टन अमरिन्दर सिंह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचे थे। पर अब वही अमरिन्दर सिंह गुपचुप तरीके से भ्रष्टाचार के एक मामले को दबाने में लगे हैं। उन्होंने उपमुख्यमंत्री राजिन्दर कौर भट्ठल के खिलाफ अदालत में चल रहे मुख्यमंत्री राहत कोष में गबन के मामले को वापस लेने के लिए आवेदन कर दिया है। राज्य के पूर्व कानून मंत्री चिरंजी लाल गर्ग ने इसे दोहरी मानसिकता की पराकाष्ठा कहा है। लायर्स फार ह्रूमैन राइट्स इंटरनेशनल के पूर्व उपाध्यक्ष व बठिंडा अमैच्योर बॉÏक्सग एसोसिएशन के अध्यक्ष बलवंत सिंह ढिल्लो के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री (वर्तमान में उपमुख्यमंत्री) राजिन्दर कौर भट्ठल ने एसोसिएशन को मुख्यमंत्री राहत कोष से 20 लाख रुपए अनुदान देने की घोषणा की थी। 30 दिसम्बर, 1996 को उन्होंने कोष से रुपए तो निकलवा लिए परंतु एसोसिएशन को नहीं दिए। इस कारण 23 मई, 2001 को फिरोजपुर के गुप्तचर विभाग ने श्रीमती भट्ठल के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था। वर्तमान में चंडीगढ़ की अदालत में यह मामला विचाराधीन है और इसमें श्रीमती भट्ठल के खिलाफ न केवल आरोप निर्धारित हो चुके हैं, बल्कि अभी दो महीने पहले ही गुप्तचर विभाग ने अदालत में शपथपत्र दर्ज करके दावा किया था कि उसे उक्त राशि के खर्च के बारे में कोई रिकार्ड नहीं मिला है। किन्तु 17 नवम्बर को गुप्तचर विभाग ने एकाएक चंडीगढ़ के जिला सत्र न्यायालय में आवेदन किया कि उक्त राशि के बारे में उन्हें रिकार्ड मिल गया है और जो सही भी है, इसलिए उक्त मामले को खारिज कर दिया जाए। उल्लेखनीय है कि गुप्तचर विभाग स्वयं मुख्यमंत्री देख रहे हैं। अभी तक मुख्यमंत्री व श्रीमती भट्ठल के बीच छत्तीस का आंकड़ा चला आ रहा था, परंतु अब अचानक श्रीमती भट्ठल कैप्टन अमरिंदर सिंह की भाषा बोलने लगी हैं। समझा जाता है कि इसी के पुरस्कारस्वरूप उनके खिलाफ गबन के आरोप को वापस लेने की तैयारी चल रही है। मामले के शिकायतकर्ता बलवंत सिंह ढिल्लो का दावा है कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 321, 373 (बी) के तहत इस मामले को निरस्त नहीं किया जा सकता, केवल इसमें अतिरिक्त गवाही को शामिल किया जा सकता है। और वापस लेना भी हो तो व्यापक जनहित के चलते लिया जा सकता है, परंतु यह मामला निजी है न कि जनहित से जुड़ा। उन्होंने गुप्तचर विभाग के खिलाफ अदालत की अवमानना की शिकायत दर्ज करवाने की बात भी कही है।38
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