श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी-समाचार दर्शन
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श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी-समाचार दर्शन

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Mar 12, 2006, 12:00 am IST
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दिंनाक: 12 Mar 2006 00:00:00

रतलामजो अपनी मातृभूमि से प्यार करे वह हिन्दू है-प्रेमचन्द गोयलअ.भा. सेवा प्रमुख, रा.स्व.संघ”भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता में कभी भी जातिगत भेदभाव का कोई स्थान नहीं रहा। जाति व्यवस्था अवश्य रही, परन्तु उनमें भेद का स्थान नहीं था। वर्षों तक शासन करने वाले विदेशियों ने ही हमारी सामाजिक समरसता को छिन्न-भिन्न किया, क्योंकि वे जानते थे कि इतिहास एवं एकता को विकृत करके ही वे शासन कर सकते हैं।” ये विचार हैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख श्री प्रेमचन्द गोयल के। श्री गोयल गत दिनों रतलाम (म.प्र.) में “सामाजिक समरसता” विषय पर आयोजित एक गोष्ठी में बोल रहे थे। गोष्ठी की अध्यक्षता शिक्षाविद् श्री भंवरलाल भाटी ने की। श्री गोयल ने कहा कि हिन्दू एक संप्रदाय है, यह लोगों का भ्रम है। इसे दूर करने की आवश्यकता है। दरअसल हिन्दू एक जीवन पद्धति है। इसके अनुसार जो भी अपनी मातृभूमि को प्यार करे, वह हिन्दू है।श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी समारोह समिति के तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी में पत्रकार श्री शरद जोशी ने सामाजिक समरसता पर प्रकाशित विशेषांक की प्रति श्री गोयल को भेंट की। इस अवसर पर सर्वश्री दशरथ पाटीदार, अनुराग लोखंडे, नीरज सक्सेना, दिनेश जाधव ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डा. रत्नदीप निगम ने किया। -प्रतिनिधिगोरखपुरसमस्याओं की जड़ है सेकुलरवाद-सुरेश सोनी, सह सरकार्यवाह, रा.स्व.संघगत 11-12 नवम्बर को पं. दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के संवाद भवन में “हिन्दुत्व एवं राष्ट्रीयता” विषय पर एक संगोष्ठी हुई। इसके उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी। सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व में राष्ट्रहित सर्वोपरि होता है। आज प्रत्येक हिन्दू को राष्ट्र की वर्तमान स्थिति पर चिन्तन करना चाहिए जिससे कि देश हिन्दुत्वनिष्ठ विचारों व चिन्तन के आधार पर परम वैभव प्राप्त करे। उन्होंने कहा कि यह धर्म ही है जो मनुष्य को पशु से अलग करता है। हमारे पूर्वजों ने कहा था, धर्म पर चलो। कम्युनिस्टों ने कहा, पंथनिरपेक्ष बनो। आज पंथनिरपेक्षता यानी सेकुलरवाद के कारण समस्याएं खड़ी हो रही हैं। हिन्दू धर्म व संस्कृति के अनुसार जीवन ढाल कर समस्याओं का सामना किया जा सकता है।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे प्रख्यात उपन्यासकार श्री नरेन्द्र कोहली। उन्होंने कहा कि धर्म व संस्कृति राष्ट्र से अलग नहीं हैं। हमारे देश के ऋषि, मनीषी इसी राष्ट्रीयता को हिन्दुत्व के रूप में परिभाषित करते हैं।उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिन्दू है। सत्र को आचार्य नरेन्द्र देव विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रामअचल सिंह ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर श्री रवीन्द्र की दो कृतियों- “इकोनामिक पालिसी आफ एंशिएन्ट इंडिया” तथा “वृहत्तर भारत का इतिहास” एवं डा. कुंवर नरेन्द्र बहादुर चन्द्र की कृति “क्या सिकन्दर भारत आया” का लोकार्पण भी हुआ।12 नवम्बर को संगोष्ठी के समापन सत्र में मुख्य वक्ता थे पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा, हिन्दू संस्कृति विश्व की श्रेष्ठतम संस्कृति है, जो अपने उद्गम से लेकर आज तक प्रवाहमान व अक्षुण्ण है। इस धारा में जो मिला वह पवित्र हो गया। हिन्दुत्व राष्ट्रीय एकता का मूलमंत्र है, राष्ट्रीयता की पहचान है। लेकिन पता नहीं क्यों आज हमारी संस्कृति को कुछ लोग गंगा-जमुनी बताते हैं। इस तरह के नामकरण से लगता है कि यह इस्लाम मत के साथ मिलने से बनी है, जो ऐतिहासिक, दार्शनिक व तार्किक आधार पर ही गलत है। ईरान, फारस, अफगानिस्तान, पाकिस्तान इसके उदाहरण हैं। हिन्दू संस्कृति ने तो इस्लाम को भी प्रभावित कर उसमें से सूफीवाद को जन्म दिया।वरिष्ठ पत्रकार डा. सूर्यकान्त बाली ने कहा कि राष्ट्रीयता इस देश की पहचान है, जिसका अहसास डा. हेडगेवार ने किया था। सत्र की अध्यक्षता की लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. देवेन्द्र प्रताप सिंह ने। -पवन कुमार अरविन्दकोट्टायम में विशाल मातृ संगममहिला शक्ति समाज को दिशा दिखाए-ए.गोपाल कृष्णन, प्रान्त संघचालक, रा.स्व.संघ, केरल प्रान्तगत दिनों केरल की साहित्यिक राजधानी कहे जाने वाले कोट्टायम शहर में श्रीगुरुजी जन्म शताब्दी वर्ष का उत्सव मनाने बड़ी संख्या में मातृशक्ति का एकत्रीकरण हुआ। पारंपरिक परिधानों में सजी-धजीं महिलाएं पूरे प्रदेश से मातृ संगम में पहुंची थीं। संगम में हिन्दू एक्य का आह्वान किया गया।स्थानीय शिव शक्ति सभागार में हिन्दू एक्य वेदी की उपाध्यक्ष श्रीमती शशिकला ने संगम का उद्घाटन किया। अपने सम्बोधन में कहा कि भारत की मातृशक्ति ही आसुरी ताकतों से देश की रक्षा कर सकती है। केरल के कुछ नगरों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गए हैं। गुरुवायुर और शबरीमला मंदिरों के परिसरों तक में हिन्दुओं के मतान्तरण के षडंत्र रचे जा रहे हैं। हमारे मंदिरों पर भ्रष्ट राजनीतिज्ञों का कब्जा हो गया है। सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ पातंगी सत्यमूर्ति ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा, भारतीय स्त्री शक्ति की कड़ी मेहनत और समर्पण ने दिखा दिया है कि वे उच्चतम स्थान पाने में समर्थ हैं।मुख्य वक्ता के रूप में रा.स्व.संघ के प्रान्त संघचालक श्री ए. गोपाल कृष्णन ने हिन्दू समाज से एकजुट होने का आह्वान किया और परिवार के जरिए समाज निर्माण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज को बलशाली बनाने हेतु महिलाओं को सुनियोजित होकर समाज को राष्ट्र के प्रति जाग्रत करना होगा। केरल की महिलाएं हमारे अनेक धार्मिक मूल्यों को भूलती जा रही हैं और समाज पर उसका दुष्परिणाम दिखाई दे रहा है। कश्मीर के हिन्दुओं का दर्द केरल के हिन्दुओं को भी समझना चाहिए। श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी वर्ष में हमें जन-जन में हिन्दुत्वनिष्ठ मूल्यों का प्रसार करना होगा। प्रदीप कुमारअकोलाशक्तिशाली हिन्दू संगठन से होगा राष्ट्र सशक्त-आचार्य धर्मेन्द्रगत 13 नवम्बर को अकोला (महाराष्ट्र) में विशाल हिन्दू सम्मेलन आयोजित हुआ। श्रीगुरुजी जन्मशताब्दी के अवसर पर आयोजित इस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन के अग्रणी नेता आचार्य धर्मेन्द्र ने कहा कि स्वतंत्रता के पश्चात् पिछले 59 वर्ष में देश में हिन्दू विरोधी शक्तियां प्रबल हुई हैं और हिन्दू समाज निर्बल दिख रहा है। हिन्दू विभिन्न वर्गों, समुदायों, सम्प्रदायों, जातियों-उपजातियों में बंटते जा रहे हैं और उनके शत्रु संगठित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंथनिरपेक्षता का ढोंग रचने वाली सरकार मन्दिरों को अपने कब्जे में लेकर उनके पैसे पर कब्जा कर रही है। उन्होंने कहा कि अखण्ड भारत एवं अविभाजित हिन्दू समाज ही जैन, बौद्ध, सिखों आदि के अस्तित्व की रक्षा का एकमात्र उपाय है। आचार्य धर्मेन्द्र ने कहा कि विश्व के मानचित्र पर अपना अस्तित्व बनाए रखने और महत्वपूर्ण स्थिति प्राप्त करने का एकमात्र मार्ग है शक्तिशाली हिन्दू संगठन और अखण्ड हिन्दुस्थान।सम्मेलन को प्रसिद्ध भागवत कथाकार संत रमेश भाई ओझा, पूज्य शिंदे महाराज, पश्चिम एवं दक्षिण क्षेत्र के धर्मजागरण प्रमुख श्री शरदराव ढोले ने भी सम्बोधित किया। -गजानन कुलकर्णी33

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