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7 सितम्बर को गुंजाएं वन्दे मातरम् और अलगाववाद के समर्थक सेकुलरवादी राजनेताओं की भत्र्सना करें
“वन्दे मातरम् सिर्फ नारा नहीं है बल्कि देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक प्रतिज्ञा है। जो अपने को भारत का नागरिक कहता है और मानता है, वन्दे मातरम् कहने-गाने में उसे क्या आपत्ति है? और यदि आपत्ति है तो फिर कैसी नागरिकता और कैसी देशभक्ति?” यह कहना है विश्व हिन्दू परिषद् के अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल का। 25 अगस्त को प्रयाग में जारी एक बयान में श्री अशोक सिंहल ने कहा कि हमारे राजनेता हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई का नारा लगाते हैं। उसका आधार क्या है? यही कि हम सभी भारत माता के पुत्र हैं। हमारी एकता का आधार भारत माता है। और अगर भारत की वंदना में ही श्रद्धा नहीं तो एकता आदि बातों का मतलब क्या है? जिन मुस्लिम नेताओं ने वन्दे मातरम् न गाने का ऐलान किया है, वे वस्तुत: भारत विरोधी हैं। उन्होंने न सिर्फ भारत मां का अपमान किया है वरन् संविधान विरोधी कार्य भी किया है। उनकी निंदा करने की बजाय कुछ दल और उनके नेता अभी से समाज में जहर घोल रहे हैं, भविष्य में इनकी राजनीति का आधार क्या होगा, सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। यदि इन पर अभी से अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाले समय में यह मोर्चा पूरी तरह अलगाववादी नेताओं का मंच बनेगा और देश को एक और विभाजन की ओर ले जाएगा। संप्रग सरकार मुस्लिम कट्टरपंथियों के दबाव में है और सिर्फ तुष्टीकरण की राजनीति पर उतारू है। इसी का नतीजा है कि अर्जुन सिंह ने अपना बयान बदल कर कहा है कि वन्दे मातरम् गाना सभी के लिए अनिवार्य नहीं है।
श्री अशोक सिंहल ने विशेषकर छात्रों एवं युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि आगामी 7 सितम्बर को वे सामूहिक रूप से वन्दे मातरम् गुजाएं। छोटी-बड़ी सभाएं करके इसके लिए देशभर में जागृति लाएं क्योंकि वन्दे मातरम् हमारी आजादी का मंत्र है। इसे गाते हुए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने जो बलिदान दिए, उसे हम भूल नहीं सकते। उन्होंने कहा कि यह अवसर है जब हम वन्दे मातरम् गुंजाकर उन सेकुलरवादी राजनेताओं की भत्र्सना कर सकते हैं जो वोट बैंक राजनीति के कारण अलगाववाद का समर्थन करते हैं।
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