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संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री देश चलाते हैं

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Feb 4, 2006, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 04 Feb 2006 00:00:00

लेकिन प्रधानमंत्री को कौन चला रहा है?संसद के बजट सत्र के प्रारंभ में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सरकार द्वारा लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी। चर्चा में भाग लेते हुए लोकसभा में भाजपा के उपनेता विजय कुमार मल्होत्रा ने संप्रग सरकार की रीति-नीति पर गंभीर प्रश्न खड़े किए। उन्होंने कहा कि समाज में साम्प्रदायिकता का जहर घोला जा रहा है और विभाजन के समय की स्थितियां पैदा की जा रही हैं। यहां प्रस्तुत हैं श्री मल्होत्रा द्वारा 20 फरवरी को दिए गए उस वक्तव्य के संपादित अंश। -सं.राष्ट्रपति जी का अभिभाषण पूरी तरह से मिथ्या दावों और खोखले वायदों से भरपूर था। पिछले एक वर्ष में इस सरकार ने इतने कुकृत्य किये हैं, इतनी भयंकर भूलें की हैं, इतने अपराधपूर्ण कार्य किये हैं, देश के हितों पर इतने कुठाराघात किये हैं और इतनी बार संविधान की धज्जियां उड़ाई हैं कि यदि मैं उन सबका ब्यौरा प्रस्तुत करूं तो उसके लिए बहुत समय चाहिए।पिछले दिनों जब आडवाणी जी ने कहा था कि यह प्रधानमंत्री देश के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री हैं तो प्रधानमंत्री जी बहुत नाराज हुए थे। “इकोनोमिस्ट” पत्र की ये पंक्तियां प्रधानमंत्री जी का पूरा मूल्यांकन करती हैं- “श्री मनमोहन सिंह की ऐसी दयनीय स्थिति है कि वे पद पर तो हैं पर सत्ता में नहीं।”प्रधानमंत्री जी की लाचारी, बेबसी और मजबूरी पर तरस खाया जा सकता है। संविधान के अनुसार देश को प्रधानमंत्री चलाते हैं परन्तु प्रधानमंत्री को कौन चला रहा है? मनमोहन सिंह जी क्या “खड़ाऊ प्रधानमंत्री” हैं, जो खड़ाऊ लेकर राजपाठ चला रहे हैं? जब भगवान राम ने भरत को राज्य दे दिया था, उसके बाद उन्होंने उस तरफ देखा तक नहीं था, लेकिन यहां तो “क्वीन-बी” विद्यमान हैं। उन्हीं के पास पूरी ताकत है।हमारे देश के अतिरिक्त महान्यायवादी क्वात्रोकी का खाता खुलवाने के लिए लंदन जाते हैं। दुनिया के इतिहास में ऐसा कभी नहीं देखा गया कि एक आदमी जिसके खिलाफ “रेड अलर्ट” घोषित हुआ हो, जिसके लिए इंटरपोल ने कह रखा हो कि वह व्यक्ति जहां कहीं भी मिले उसे गिरफ्तार कर लिया जाए, जिसे हिन्दुस्थान लाने के लिए हमारी सरकार ने इतना प्रयास किया हो, उसके लिए यहां का अतिरिक्त महान्यायवादी लंदन जाये, उसका खाता खुलवाने, जिसकी उस आदमी ने मांग भी न की हो! करोड़ों रुपए उसके खाते से निकलवा कर उसे दे दिए जाएं और प्रधानमंत्री कहते हैं कि उन्हें इस बारे में कुछ मालूम नहीं है। क्या हिन्दुस्थान का अतिरिक्त महान्यायवादी बिना प्रधानमंत्री की इजाजत के देश से बाहर जा सकता है?प्रधानमंत्री जी ने पत्रकार सम्मेलन में घोषणा की कि देश में अन्न के भण्डार हैं, कोई चिन्ता की बात नहीं है। ठीक उसी समय कृषि मंत्री श्री शरद पवार यह घोषणा करते हैं कि सरकार पांच लाख टन अन्न आयात कर रही है। क्या प्रधानमंत्री को मालूम नहीं था कि बाहर से पांच लाख टन अनाज का आयात किया जा रहा है? इस आयात में कितना घोटाला किया है? सटोरियों और धन्ना सेठों ने अनाज 668 रुपए प्रति Ïक्वटल के भाव से खरीद लिया, लेकिन बाजार में जाकर 1200-1300 रुपए प्रति Ïक्वटल के हिसाब से बेचते रहे। पिछले साल सरकार ने किसानों से अनाज क्यों नहीं खरीदा?राजग सरकार के समय गेहूं का संरक्षित भण्डार 6 करोड़, 45 लाख टन हो गया था, जो आज घटकर 2 करोड़ टन रह गया है। अब तो यह भंडार 1 फरवरी, 2006 को घटकर केवल 45 लाख टन रह गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए हर महीने 14 लाख टन गेहूं की आवश्यकता होती है। यह स्थिति कैसे पैदा हुई? एक समय ऐसा आया था जब श्री देवेन्द्र प्रसाद यादव की स्थायी समिति ने कहा था कि देश में इतना अनाज का भण्डार हो गया है कि रखने की जगह नहीं है। इस अनाज को समुद्र में फेंक देना चाहिए। सभी राज्यों से कहा गया था कि मुफ्त में अनाज ले जाओ और “फूड फार वर्क” के तौर पर इस्तेमाल करो। आज हालत यह है अनाज आयात करना पड़ रहा है।संयुक्त राष्ट्र संघ की जांच समिति वोल्कर कमेटी ने “अनाज के बदले तेल योजना” में भयंकर भ्रष्टाचार के लिए श्री नटवर सिंह और कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन प्रधानमंत्री कहते रहे कि उन्हें मालूम नहीं कि वहां पर कौन गया था, क्या हुआ और उसके बारे में क्या स्थिति है। प्रधानमंत्री कहते रहे कि श्री नटवर सिंह दोषी नहीं हैं, तो आजकल प्रवर्तन निदेशालय में बुलाकर उनसे रोजाना पूछताछ क्यों की जा रही है?सबसे भयंकर बात है सेना में मुसलमानों की संख्या का सर्वेक्षण करना। देश को तोड़ने, देश की एकता और अखण्डता को समाप्त करने तथा देश की सुरक्षा को खतरे में डालने का काम इस मुस्लिम सर्वेक्षण के माध्यम से किया जा रहा है। पर प्रधानमंत्री कार्यालय से कहा गया कि प्रधानमंत्री जी को इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने इस बारे में आदेश नहीं दिए हैं।पिछले 18-20 महीने से यह सरकार सत्ता में है। इस दौरान चार-चार मंत्री और एक राज्यपाल बर्खास्त किए गए। सबसे पहले श्री शिबू सोरेन का इस्तीफा हुआ। उसके बाद श्री नटवर सिंह का इस्तीफा हुआ। फिर श्री जगदीश टाइटलर और श्री जयप्रकाश यादव का इस्तीफा हुआ। उसके बाद श्री बूटा सिंह का इस्तीफा हुआ। पर प्रधानमंत्री जी उन सबको “क्लीनचिट” देते रहे।पिछले तीन-चार महीनों में महंगाई तेजी से बढ़ी है। संप्रग सरकार के 20 महीने के शासनकाल ने गरीब आदमी की कमर तोड़ दी है। गेहूं चावल, आटा, दाल, तेल, घी और गुड़ आदि की कीमतों में 30 से 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कई चीजों की कीमतों में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। गेहूं दड़ा जो राजग सरकार के समय 660 रुपए प्रति Ïक्वटल था वह अब 990 रुपए प्रति Ïक्वटल हो गया है। जो आटा हमारे समय में 7.10 रु. प्रति किलो मिलता था आज वह 13 रुपए किलो मिल रहा है। चीनी जो 1500 रुपए प्रति बोरी मिलती थी वह 2100 रुपए प्रति बोरी हो गई है और खुदरा बाजार में चीनी 23 रुपए प्रति कि.ग्रा. बिक रही है। हमारे समय में उड़द 1700 रुपए प्रति Ïक्वटल थी, जो अब 4100 रुपए प्रति क्विंटल मिल रही है। ये सरकारी आंकड़े हैं। जो दाल 1750 रुपए प्रति Ïक्वटल उस समय थी वह अब 4000 रुपए प्रति Ïक्वटल बिक रही है। राजमा 2700 रुपए प्रति Ïक्वटल था अब 3200 रुपए प्रति Ïक्वटल बिक रहा है। बासमती चावल में 300 रुपए प्रति Ïक्वटल की बढ़ोत्तरी हुई है। सीमेंट में कितनी बढ़ोत्तरी हुई है, यह किसी ने देखा है? ये कहते हैं कि कांग्रेस का हाथ, गरीबों के साथ, आम आदमी के साथ। मैं कहता हूं कि कांग्रेस का हाथ पूंजीपतियों के साथ है।ये कह रहे हैं कि इन्होंने रोजगार के बहुत अवसर पैदा कर दिए और रोजगार गारंटी योजना चला दी। इसके लिए ये सोनिया जी को बहुत श्रेय दे रहे हैं। मैं शहरों के बेरोजगारों और मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों के विषय में पूछना चाहता हूं कि उनके लिए सरकार क्या कर रही है। उनके लिए तो कोई रोजगार गारंटी योजना आपने क्यों नहीं बनाई?सबसे ज्यादा भयंकर बात जो यह सरकार करने जा रही है या कर रही है, वह है अल्पसंख्यकवाद, मुसलमानों का तुष्टीकरण। मैंने समाचार पत्रों में पढ़ा कि सोनिया जी ने अपने सारे पदाधिकारियों और मुख्यमंत्रियों को एक पत्र लिखा है कि इस बात का ध्यान रखें कि मुसलमान हमारे स्वाभाविक सहयोगी हैं। तो क्या जो हिन्दू हैं, वे कांग्रेस और सोनिया जी के दुश्मन हैं? देश में पहली बार इस सरकार के काल में मुस्लिम लीग के एक प्रतिनिधि को मंत्री बनाया गया। जिनका दो राष्ट्रों के सिद्धान्त पर विश्वास था और है, देश के विभाजन के जो जिम्मेदार थे, उनको मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। मुस्लिम तुष्टीकरण का यह पहला काम इस सरकार ने किया है।दूसरा काम इन्होंने किया, जो पहले कभी नहीं हुआ, अल्पसंख्यकों का एक मंत्रालय बनाया गया। अभी तक यह काम अर्जुन सिंह जी के मंत्रालय के पास था और वे भी मुस्लिम तुष्टीकरण कम नहीं कर रहे थे, परन्तु अल्पसंख्यकों का एक नया मंत्रालय बना दिया गया। क्या किसी और मंत्रालय में विभाग के तौर पर यह काम नहीं चल सकता था? तीसरे, इन्होंने अल्पसंख्यक आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की बात कर दी। दुनिया में किसी भी देश में अल्पसंख्यक आयोग नहीं है, मानवाधिकार आयोग है। परन्तु यह भारत में बनाया गया, जिसे अब ये संवैधानिक दर्जा देंगे। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और आन्ध्र प्रदेश में दाखिले और नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण किया गया, जिसे न्यायालयों ने असंवैधानिक ठहरा दिया। मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए इन्होंने कितनी कमेटियां बनाई हैं? एक समिति रंगनाथ मिश्र की अध्यक्षता में, एक समिति राजेन्द्र सच्चर साहब की अध्यक्षता में और फिर यह समिति अर्जुन सिंह जी की अध्यक्षता में बना दी गई। फिर एक और समिति “नेशनल कमीशन आन माइनारिटी एजूकेशनल इंस्टीट्यूशन्स” बनाई गई, जिसके अध्यक्ष जस्टिस एम.एस.ए. सिद्दिकी हैं। यह क्या हो रहा है? आप किस सीमा तक जाएंगे?हालत यह हो गई है जैसे विभाजन से पहले रेलवे स्टेशनों पर आवाजें आती थीं हिन्दू पानी, मुसलमान पानी, आज हिन्दू स्कूल, मुसलमान स्कूल, हिन्दू शिक्षा संस्थान, मुसलमान शिक्षा संस्थान, हिन्दू सेना, मुसलमान सेना, हिन्दू बस्तियां, मुस्लिम बस्तियां, हिन्दू कर्मचारी, मुस्लिम कर्मचारी की बातें की जा रही हैं। आप क्या देश का हिन्दू और मुसलमान के नाम पर पुन: विभाजन कर देंगे?एक साजिश के अंतर्गत सच्चर कमेटी बनाई गई। इसी साजिश के अंतर्गत बंगलादेशी घुसपैठ, जो दो करोड़ के करीब है, बढ़ रही है। देश में करोड़ों बंगलादेशी घुसपैठ कर आ गए और उन्हें देश में बनाए रखा जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह देश पर आक्रमण है। अपने देश में किसी विदेशी को बसने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। परन्तु कांग्रेस सरकार ने विदेशी नागरिक अधिनियम को ही संशोधित कर दिया। ताकि जो विदेशी भारत में बसना चाहें, आकर बस जाएं, जैसे भारत एक धर्मशाला है।कुछ सदस्य कह रहे हैं कि मुस्लिम सर्वेक्षण जरूर करना चाहिए क्योंकि मुसलमानों के साथ बड़ा अन्याय हुआ है। मुसलमानों का नरसंहार हो रहा है, मुसलमानों को यहां अधिकार प्राप्त नहीं हैं, उनको हर जगह से खदेड़ दिया जाता है। हिन्दुस्थान को आजाद हुए 59 साल हो गए हैं। इन 59 सालों में से 50 साल तो कांग्रेस ने राज किया है। लालू जी ने 15 साल बिहार में राज किया, अन्य प्रदेशों में भी कांग्रेस का ही शासन रहा, फिर मुसलमानों की हालत ऐसी क्यों है जैसी आप बता रहे हैं? क्यों कांग्रेस ने काम नहीं किया?मैं एक छोटी सी बात पूछना चाहता हूं। जहां नरसंहार होता है, जिन लोगों के साथ अन्याय होता है, वे लोग वहां से बाहर जाते हैं या वहां आते हैं? भारत में मुस्लिम जनसंख्या 1951 में 8 प्रतिशत थी लेकिन अब वह 13-14 प्रतिशत है। बंगलादेश से दो करोड़ लोग आये हैं। पाकिस्तान से वीजा लेकर डेढ़ लाख लोग हिन्दुस्थान में आये और यहां से वापस नहीं गए। क्या जहां नरसंहार होता है वहां लोग इस तरह आने को लालायित रहते हैं? नरसंहार बंगलादेश में हुआ है। वर्ष 1951 में वहां 30 प्रतिशत हिन्दू थे लेकिन आज वह कम होकर 5 या 6 प्रतिशत ही रह गये हैं। जब विभाजन हुआ था तब जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं की संख्या 35 से 40 प्रतिशत थी। वहां से पूरे पांच लाख कश्मीरी पंडितों को निकाल दिया गया। फिर भी यहां कहा जा रहा है कि मुसलमानों के साथ अन्याय हो रहा है। यह कैसा अन्याय है?क्या आप वोट बैंक की राजनीति के लिए इस सीमा तक जायेंगे? विश्व में कहीं बहुसंख्यकों से भी अधिक अधिकार यदि अल्पसंख्यकों को हैं तो सिर्फ हिन्दुस्थान में हैं। दुनिया में कोई मुल्क हज के लिए सब्सिडी नहीं देता। कोई मुसलमान देश भी नहीं देता। अगर कोई अकेला देश सब्सिडी देता है तो वह है हिन्दुस्थान। अपने देश को लांछित करने, सेना के टुकड़े कर देने जैसी स्थिति पैदा करना बहुत ही अनुचित है।देश में एक नई परम्परा चलाई जा रही है। सावरकर जी का जहां नाम लिखा गया था वहां से उसे हटा दिया गया। इसी तरह पं. दीनदयाल उपाध्याय के नाम से जितने आयोजन थे, उन सबसे उनका नाम समाप्त कर दिया गया। श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम पर राष्ट्रीय राजमार्ग योजना आदि जो कुछ भी था, उन सबसे उनका नाम बदल दिया गया। हरियाणा में चौधरी देवी लाल जी की जो मूर्तियां थीं, उन सबको हटाया जा रहा है। इस सम्बंध में एक आदेश निकाल दिया गया। क्या इस देश में यह होगा कि जिसकी सरकार आएगी, वह आकर जिस स्मारक का नाम बदलना चाहे, उसे बदल देगी? राजीव जी के नाम पर तकरीबन 20 योजनाएं इन दो वर्षों में शुरू की गर्इं।इन दो सालों में नेहरू जी और गांधी जी के नाम पर भी जो पुरानी योजनाएं थीं, वे भी समाप्त कर दी गईं। मैं तो कहूंगा कि यहां एक प्रस्ताव पारित कर दिया जाए कि केवल एक ही परिवार के नाम पर स्मारक रहेंगे और बाकी किसी के नाम पर स्मारक नहीं होगा तो संभवत: कांग्रेस पार्टी का तुष्टीकरण हो जाएगा और उनकी चाटुकारिता पूरी तरह से संतुष्ट हो जाएगी।कहा गया है कि “सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए अनेक कदम उठाए कि महिलाओं को पूर्ण समानता मिले।” सम्पत्ति में महिलाओं को समान विरासत के अधिकार देने के लिए हिन्दू दत्तक अधिनियम 1956 में संशोधन किया। सरकार संरक्षण व प्रतिपालन अधिनियम 1890 में हिन्दू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम और प्राप्तवयता संहिता अधिनियम में भी प्रावधानों को हटाने के लिए विचार कर रही है। मैं पूछना चाहता हूं कि हिन्दू कानून में ही परिवर्तन क्यों? क्या मुस्लिम महिलाओं को अधिकार नहीं चाहिए? इसीलिए मैं कहना चाहूंगा कि यह केवल एक दिखावा है। मुस्लिम महिलाओं के सम्बंध में फतवे जारी होते रहे, उस पर आप चुप्पी साध लेते हैं। उसके बारे में कहा जाता है कि मुसलमानों के अपने कानून हैं। हिन्दुस्थान में दो कानून नहीं चलने चाहिए। आपराधिक कानून अगर एक रह सकता है तो फिर सामाजिक कानून भी एक हो सकता है और हम यह मांग करना चाहेंगे कि सबको न्याय देने के लिए यहां एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए।किसी डेनिश अखबार में हजरत पैगम्बर का एक कार्टून छपा। हम स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि वह गलत था। किसी की मजहबी आस्था पर प्रहार नहीं होना चाहिए। लेकिन किसी की भी धार्मिक आस्था का सबको सम्मान करना चाहिए। मैंने देखा कि सोनिया जी ने भी इस बारे में एक पत्र लिखा और उसकी निंदा की है, ठीक किया है, करनी चाहिए। परंतु हिन्दुओं की आस्था पर प्रहार होता है तो सबको सांप सूंघ जाता है। दुर्गा का नग्न चित्र करोड़ों हिन्दुओं की आस्था पर कुठाराघात है। चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन ने जो अश्लील चित्र बनाया, उसका “सेकुलर बिग्रेड” ने बचाव किया था। उन्होंने सीता को नग्न दिखाया, भारत माता का नग्न चित्र बनाया, ऐसे व्यक्ति को आप सब जगह अपने साथ लिए रहते हैं। उनके द्वारा बनाया गया भारत माता के चित्र को 80 लाख रुपए में बेचा गया और वह काम किसने किया? ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार ने अपनी वेबसाइट पर डालकर उस चित्र को 80 लाख रुपए में बेचा। सोनिया जी ने तब एक शब्द भी नहीं कहा।मेरी मांग है कि देश में मतान्तरण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए। गुजरात में मतान्तरण होता है तो कहा जाता है कि मतान्तरण के खिलाफ क्यों आवाज उठाई जा रही है? दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर में जब भूकम्प आया, उस समय वहां सहायता देने के लिए कुछ ईसाई मिशनरी भी गए, लेकिन वहां की सरकार ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया और कहा कि ये रुपया-पैसा बांटकर वहां के लोगों का मतान्तरण कर रहे हैं, इसलिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ मुकदमा चलाया। पैसा देकर गरीबों का मत परिवर्तन करना एक अभिशाप है, पाप है। मध्य प्रदेश और उड़ीसा में नेहरू जी के समय में ऐसा कानून बना था। इसलिए हमारी मांग है कि मतान्तरण सारे देश में बंद होना चाहिए।इस सरकार ने भारत की सुरक्षा को खतरे में डाला है, भ्रष्टाचार फैलाया है, गरीबों की कमर पूरी तरह से तोड़कर रख दी है। मैं समझता हूं कि इस सरकार का 20 माह का कार्यकाल अत्यंत लज्जाजनक है और यह जितनी जल्दी समाप्त हो जाए, उतना अच्छा है।27

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