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पेप्सी और कोला के “वकील”एक आम दुकानदार से कांग्रेसी कार्यकर्ता, फिर पूर्व मुख्यमंत्री दरबारा सिंह के सचिव, बाद में सांसद और अब पंजाब के वित्तमंत्री बने सुरिंदर सिंगला के दिमाग पर आजकल वकालत का शौक छाया हुआ है। शायद इसी कारण वे राज्य में हर मंच पर पेप्सी व कोका कोला की वकालत करते नजर आते हैं। उनकी इसी हरकत को देखकर पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सांसद अविनाश राय खन्ना ने उनको इन कंपनियों के “सेल्स एक्जीक्यूटिव” की संज्ञा दी है।”सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट” द्वारा “टायलट क्लीनर” कहे जाने वाले इन कथित शीतल पेयों के बारे में जो खुलासा हुआ उसके बाद राज्य सरकार ने स्कूलों में इनके प्रयोग पर रोक लगाने की बात कही। परंतु कुछ दिनों बाद ही न जाने क्या हुआ कि कांग्रेसियों ने राजनीति के साथ-साथ इन कंपनियों की वकालत भी करनी शुरू कर दी। वित्तमंत्री सुरिंदर सिंगला ने दावा किया कि राज्य में पेप्सी के जितने भी नमूने लिए गए वे सभी सही पाए गए हैं। उन्होंने अगले दो साल तक इन शीतल पेयों के नमूने भरने पर भी अघोषित रोक लगा दी। अब वे हर मंच पर खुल कर इन कथित शीतल पेय कंपनियों की वकालत करते दिख जाते हैं। वित्तमंत्री सिंगला अपने बारे में कहते हैं कि वे उस व्यापारिक समुदाय से संबंध रखते हैं जो समुद्र की लहरें गिन कर भी धनोपार्जन कर लेते हैं। श्री सिंगला ने उक्त बहुराष्ट्रीय कंपनियों के धन रूपी समुद्र की कितनीं लहरें गिनी हैं यह तो वही बेहतर जानते हैं। सिंगला से भी दो कदम आगे बढ़कर मुख्यमंत्री फरमा रहे हैं कि वे खुद बचपन से कोका कोला पीते आ रहे हैं परंतु उनको तो कुछ हुआ नहीं है। भगवान जाने, वैज्ञानिकों के अनुसंधानपूर्ण तथ्यों को झुठलाने के लिए पंजाब के कांग्रेसी और कितने तरह के जुमले पेप्सी के पक्ष में उछालेंगे।झारखण्ड के कोड़ा का मंत्रिमण्डल टेढ़ा!कांग्रेस की देखरेख में लालू और शिबू सोरेन झारखण्ड की मुण्डा सरकार गिराकर निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को मुख्यमंत्री बनाने में तो सफल रहे। पर मंत्रिमण्डल के गठन के लिए रांची और दिल्ली में कई बैठकें होने के बावजूद मंत्रिमण्डल का गठन नहीं हो पाया। इसके पीछे के कारणों पर टिप्पणी करते हुए राज्य के एक पूर्व मंत्री ने कहा, राजद एवं झामुमो के विधायकों में मंत्री बनने के लिए होड़ लगी है। राजद के एक विधायक तो खुलेआम कह रहे हैं उन्हें उप मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहिए नहीं तो पार्टी दो फाड़ होगी। सूत्रों का कहना है कि लालू अपने विधायकों को अपनी शैली में समझा रहे हैं। पर उनकी शैली काम नहीं आ रही है। उधर झामुमो में भी यही हाल है। अपने विधायकों के स्वर से शिबू परेशान हैं। उनके विधायक तो कोड़ा को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार भी नहीं कर पा रहे हैं। मंत्रिमण्डल न बनते देखकर मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी चिन्तित हैं। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि शपथ ग्रहण के बाद वे दो बार “दिल्ली दरबार” पहुंच चुके हैं। पर “दरबार” भी कोई रास्ता नहीं निकाल पा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि मंत्रिमण्डल बनाने में “दिल्ली दरबार” भी हाथ खड़े कर चुका है। “दरबारियों” का कहना है कि जब तक लालू और शिबू अपने-अपने विधायकों की जुबान बन्द नहीं कराएंगे, तब तक मंत्रिमण्डल नहीं बन सकता है। राजनीतिक पंडित तो यह भी कहने लगे हैं कि कांग्रेस ने चन्द्रशेखर को तो चार माह में बाहर का रास्ता दिखाया था, पर मधु पर कांग्रेसी कोड़ा कब बरस जाएगा, कोई ठीक नहीं है।34
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