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-डा. तारादत्त “निर्विरोध”राजनीति-फेरबदलबुझ रही मशाल,ऐसे में भीतर कीफांस मत निकाल,देश को संभाल रेबिगड़े हैं हाल।।बुझे-बुझे लोग औरलगी हुई आग,उतर रहे लोक-रंगटूट रहे राग।बस्ती में लोगों कीबदली है चाल।।संवरा था, टूट-बिखरप्रेम गया रूठ,सड़कों पर चलती हैजीवन की झूठ
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