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पारदर्शिता और प्रामाणिकता की कसौटी पर खरे उतरेंगेमुख्यमंत्री पद संभालने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उनकी प्राथमिकता होगी पूर्व मुख्यमंत्रियों यानी उमा भारती और बाबू लाल गौर के द्वारा शुरू किए गए कार्यों को और तेज गति से चलाना। पांचजन्य प्रतिनिधि के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, “मेरी कोशिश होगी कि विकास के काम भेद-भाव रहित हों। भ्रष्टाचार मुक्त शासन, स्वच्छ प्रशासन और पारदर्शिता एवं प्रामाणिकता काम का मूल मंत्र होगा। विकास को जन-आंदोलन का रूप दिया जाए। एक नई कार्य संस्कृति विकसित होगी। इसके माध्यम से व्यवस्था परिवर्तन और समाज परिवर्तन के नारे को सफल बनाया जाएगा। जनप्रतिनिधियों की भूमिका और अधिक प्रभावी बनेगी। पार्टी का हित भी इसी में सन्निहित है। मंत्रियों की भूमिका अधिक प्रभावी और सशक्त होगी।” शिवराज सिंह चौहान की नजर शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में वामपंथी घुसपैठ पर भी है। वे शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में चिर सनातन और नित्य-नूतन के पक्षधर हैं। गो-रक्षा और गो-संवद्र्धन पर उनका विशेष जोर है। श्री चौहान ने कहा कि उनकी पूरी कोशिश होगी कि शासन ठीक दिशा में चले। विकास कार्यों का लाभ आम लोगों और जरूरतमंदों तक पहुंचे। उन्होंने कहा, “एकात्म मानववाद और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद भाजपा का आधारभूत दर्शन है। इसे सरकार का आधार बनाया जायेगा। अर्थव्यवस्था को विकेन्द्रित बनाया जाएगा ताकि अधिकाधिक लोगों को रोजगार और जीवन-यापन की सुविधाएं मुहैया हो सकें।”श्री चौहान ने सरकार पर नौकरशाही के हावी होने की धारणा को महज भ्रम बताया और कहा कि अगर भ्रम भी फैला है तो यह गंभीर मामला है। शासन और नौकरशाही को अपने व्यवहार से इसे दूर करना होगा। उन्होंने कहा कि फेरबदल या तबादलों में मेरा भरोसा नहीं है, लेकिन नौकरशाही के अधिकारियों से सार्थक परिणाम देने की उम्मीद है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहें।श्री चौहान ने बातचीत में बताया कि सत्ता का विकेन्द्रीकरण भी उनके एजेंडा में है। एक ऐसी व्यवस्था के लिए प्रयास किया जाएगा कि छोटे-छोटे कामों के लिए विधायक-सांसद या किसी जनप्रतिनिधि को शामिल न होना पड़े। पंचायत, तहसील और जिले के काम वहीं निबट जाएं। अगर ऐसा हो सका तो यह सुखदायी होगा।NEWS
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