संस्कार

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दिंनाक: 12 Nov 2005 00:00:00

गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर विशेषतिलक जंजू राखाप्रो. चमनलाल सप्रूइस्लामी जिहाद से त्रस्त कश्मीर मंडल के इतिहास में छह सौ साल में दो महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं। प्रथम घटना का सम्बंध औरंगजेब से है, जिसके आदेश से हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक मन्दिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई गईं। हिन्दुओं को मत परिवर्तन कर इस्लामी पंथ स्वीकार करने को मजबूर किया गया। उसके सेनानायकों ने कश्मीर के हिन्दुओं पर हृदय विदारक अत्याचार किए और उन्हें इस्लाम स्वीकार करने का आदेश दिया। शान्तिप्रिय कश्मीरी हिन्दुओं ने अपने इष्टदेव भगवान अमरनाथ से इस संकट से मुक्त करने की प्रार्थना की। भगवान अमरनाथ की पवित्र गुफा से आकाशवाणी सुनाई दी। भगवान ने उन्हें सिखों के नवम गुरु गुरु तेगबहादुर के पास जाकर विनती करने को कहा। अनन्तनाग जनपद के मट्टन (मार्तण्ड) ग्राम निवासी पंडित कृपाराम के नेतृत्व में पांच सौ कश्मीरी हिन्दुओं का जत्था हिमाचल प्रदेश के दुर्गम पहाड़ी मार्गों से होता हुआ आनन्दपुर साहिब पहुंचा और गुरु तेग बहादुर महाराज के दरबार में हाजिर हो गया।उसने अपनी करुण कहानी से गुरु महाराज को अवगत कराया। गुरु जी असहाय कश्मीरी पंडितों की वेदना सुनकर द्रवित हुए और सोच में पड़ गए। वहीं पास बैठे बालक गोविन्द राय ने पूछा, “पिताजी! आप किस सोच में पड़ गए?” गुरु महाराज ने कहा- “धर्म संकट में पड़े पीड़ितों की धर्म रक्षा के लिए एक बड़े बलिदान की आवश्यकता है।” गोविन्दराय ने कहा- “पिताजी! आपसे बड़ा दूसरा कौन है जो बड़ी से बड़ी कुर्बानी देकर इन्हें बचा सकता है?” यह सुनकर गुरु जी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने ब्राह्मणों से कहा- “जाओ, औरंगजेब को सूचित करो कि यदि वह मुझे मुसलमान बना सकता है तो हम सभी इस्लाम स्वीकार कर लेंगे।” इसके बाद जो घटना दिल्ली के चांदनी चौक में घटी वह भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखी गई है।संवत् 1732 विक्रमी की मार्ग शीर्ष शुक्ल पंचमी अर्थात् 11 नवम्बर सन् 1675 को चांदनी चौक में कोतवाली के पास बरगद के पेड़ के नीचे बैठे गुरुजी को काजी वहाबुद्दीन ने फतवा पढ़कर सुनाया- “इस्लाम कबूल करो वरना तलवार से सिर काट दिया जाएगा।” गुरुजी अपने निर्णय पर अडिग रहे और परमात्मा का स्मरण करके शीश झुका दिया। जल्लाद ने इसी समय तलवार का वार किया और धर्म की आन पर गुरु तेग बहादुर शहीद हो गए। उस अमर बलिदान के बारे में गुरु गोविन्द सिंह महाराज ने लिखा -तिलक जंजू राखा, प्रभु ताका, कीनो बड़ो कलू में साका।धर्म हेत साका जिन किया, सीस दिया पर सिरर न दिया।।मार्ग शुक्ल पंचमी (इस वर्ष 6 दिसम्बर) को गुरु तेग बहादुर बलिदान दिवस पर दिल्ली के गुरुद्वारा शीशगंज में कृतज्ञ कश्मीरी हिन्दू आराधना करेंगे, गुरुजी से निवेदन करेंगे- “महाराज हमारे संकट दूर करो। हमारे जन्मस्थान कश्मीर में छूटे आस्थास्थलों को सुरक्षित रखो। वहां औरंगजेब के अनुयायी बने जिहादियों को परास्त करो और कश्मीर घाटी में पुन: भाई चारा, सद्भाव और सह-अस्तित्व की पावन गंगा प्रवाहित करो।”NEWS

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