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प्रजातंत्र केवल काठमाण्डू तक सीमितसंगोष्ठी में (बाएं से) श्री राम माधव, मे.ज.(से.नि.)अशोक मेहता, डा.अशरफी शाह, श्री वी.के. राजन, श्री अरविन्द घोष और श्री जय निशान्तगत 23 दिसम्बर को नई दिल्ली में “नेपाल-राजतंत्र या लोकतंत्र की ओर” विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। भारत-नेपाल युवा पत्रकार संघ के तत्वावधान में आयोजित इस संगोष्ठी का उद्घाटन नेपाल के भूतपूर्व मंत्री डा. अशरफी शाह ने किया। वक्ताओं में फारवर्ड ब्लाक के महासचिव और राज्यसभा सांसद श्री देवव्रत विश्वास, नेपाल में भारत के पूर्व राजदूत श्री के.वी. राजन, मेजर जनरल (से.नि.) अशोक मेहता, रा.स्व.संघ के प्रवक्ता श्री राम माधव, भारत-नेपाल युवा पत्रकार संघ की नेपाल इकाई के अध्यक्ष श्री जय निशान्त और पी.टी.आई. के वरिष्ठ पत्रकार श्री के.जी. सुरेश प्रमुख थे।सभी वक्ताओं ने नेपाल और भारत सम्बंधों पर खुलकर चर्चा की और नेपाल में चल रही माओवादी हिंसा के प्रति चिन्ता व्यक्त की। श्री देवव्रत विश्वास ने कहा कि नेपाल में लोकतंत्र और राजतंत्र, दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते हैं। नेपालवासियों को अपना मार्ग स्वयं तय करना होगा। पर हमारे साथ नेपाल का जो रिश्ता है, उसको देखकर हम चुप नहीं बैठ सकते। इसलिए हमें बड़ी सावधानी से नेपाल के सन्दर्भ में नीतियां बनानी होगी। श्री राम माधव ने कहा कि पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में आई.एस.आई. की पहल पर माओवादी आन्दोलन चलाए जा रहे हैं। हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है। मेजरजनरल (से.नि.) अशोक मेहता ने कहा कि नेपाली राजनीतिक दलों ने बांटो और राज करो की नीति अपनायी है। इसलिए वहां लोकतंत्र मजबूत नहीं हो पाता है। संगोष्ठी में प्रमुख वक्ता थे डा. अशरफी शाह। उन्होंने बड़े व्यथित मन से अपने देश की व्यथा व्यक्त की। उन्होंने कहा, नेपाल में जो लोकतंत्र दिख रहा है, वह केवल काठमाण्डू तक ही सीमित है। पिछले 14 वर्षों में जिन लोगों ने नेपाल में शासन चलाया है, उन्होंने ही नेपाली प्रजातंत्र को नुकसान पहुंचाया है। हमारे नेता आपस में लड़ रहे हैं और प्रजातंत्र सिसक रहा है।डा. शाह ने भारत से अपील की कि भारत, नेपाल की हरसंभव सहायता करे, ताकि वहां सुख, शान्ति बहाल हो सके। उन्होंने नेपाल में जारी माओवादी हिंसा के बारे में कहा कि पहले सैद्धान्तिक लड़ाई तक सीमित रहने वाली यह हिंसा अब आतंकवाद की राह पर चल रही है। माओवादियों ने लोगों का जीना हराम कर रखा है। यह हिंसा जब तक समाप्त नहीं होती है, तब तक नेपाल दबा-कुचला रहेगा। इस पर नियंत्रण जरूरी है।अन्य वक्ताओं ने भी नेपाल में जारी माओवादी हिंसा को विकास का दुश्मन बताया और उसे समाप्त करने की मांग की। संगोष्ठी का संचालन श्री के.जी.सुरेश ने किया।-प्रतिनिधिNEWS
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