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स्वामी रंगनाथानंद जीयुगदृष्टा, धर्म के वैश्विक व्याख्याता-कुप्.सी. सुदर्शन, सरसंघचालक, रा.स्व.संघसुप्रसिद्ध विद्वान, दर्शनशास्त्री और रामकृष्ण मिशन के अध्यक्ष स्वामी रंगनाथानंद का गत 25 अप्रैल को कोलकाता में अवसान हो गया। 96 वर्षीय स्वामी जी पिछले कुछ समय से बीमार थे।15 दिसम्बर, 1908 को त्रिक्कूर, केरल में जन्मे स्वामी जी 18 वर्ष की आयु में रामकृष्ण आश्रम से जुड़े थे और 1933 में संन्यास दीक्षा ली थी। 1939 से 1998 के बीच वे रंगून, कराची, दिल्ली, कोलकाता और हैदराबाद स्थित मठों के मार्गदर्शक रहे। सितम्बर, 1998 में वे रामकृष्ण मठ व रामकृष्ण मिशन के अध्यक्ष बने थे।ब्राहृलीन स्वामी रंगनाथानंद के प्रति अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी.सुदर्शन ने कहा- “श्रद्धेय स्वामी रंगनाथानंद का जीवन एक ऐसे इनसान का श्रेष्ठ उदाहरण है जो अपने अध्यवसाय, तपस्या और अध्ययन के बल पर ऐसी आध्यात्मिक ऊंचाई तक पहुंचा कि जिससे हजारों युवक, युवतियों ने बंधनों से रहित “कर्म” और त्यागमय जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त की।स्वामी जी ने सदा ही रा.स्व.संघ द्वारा हिन्दू समाज की एकजुटता हेतु किए जा रहे प्रयासों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया और इसके द्वारा अनुसूचित जातियों और जनजातियों के बीच किए जा रहे कार्य की सराहना की। उन्होंने हमें यहां तक सुनिश्चित किया हुआ था कि इस संबंध में किसी तरह के धनाभाव की चिंता न करें। वे यह दायित्व अपने कंधों पर लेने तक को तैयार थे।स्वामी जी ने लगभग 50 से अधिक देशों की अपनी यात्राओं के दौरान आधुनिक परिप्रेक्ष्य में भगवद्गीता की प्रासंगिकता का प्रसार किया था। वर्तमान परिस्थितियों में, जबकि दुनिया को आध्यात्मिक मार्गदर्शन की गहन आवश्यकता है, उनका जाना निश्चित रूप से न केवल रामकृष्ण मिशन के लिए एक बड़ी क्षति है अपितु वैश्विक दृष्टि से और खासतौर पर हिन्दू समाज के लिए एक गहरा आघात है।रा.स्व.संघ के सभी स्वयंसेवकों की ओर से मैं दिवंगत आत्मा के प्रति हार्दिक सम्मान और श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता हूं। प्रभु उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें।”NEWS
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