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कम्युनिस्टों ने भी माना

by
Jun 3, 2005, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 03 Jun 2005 00:00:00

जारी है “वृहत् बंगलादेश” का षड्यंत्रगुवाहाटी से विशेष संवाददाताकम्युनिस्टों ने आखिरकार वृहत् बंगलादेश के षड्यंत्र की बात स्वीकार की है। पिछले दिनों माकपा और भाकपा ने स्वीकारा कि असम, त्रिपुरा और प. बंगाल के कुछ हिस्सों को मिलाकर “वृहत् बंगलादेश” बनाने की मुहिम चल रही है। असम में मीडिया एकबारगी तो वामदलों की इस बारे में बदली दृष्टि को देखकर चौंक गया था। पिछले दिनों माकपा की केन्द्रीय समिति के सदस्य हेमेन दास और भाकपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य प्रमोद गोगोई ने कहा था कि बंगलादेश के कुछ कट्टरवादी इस्लामी गुट आई.एस.आई. की शह पर कुत्सित षड्यंत्र रच रहे हैं। “वृहत् बंगलादेश” के निर्माण के लिए सीमा से निर्बाध घुसैपठ के कारण उत्तर-पूर्व और प. बंगाल में जनसांख्यिक बदलाव का खतरा मंडरा रहा है। असम में माकपा और भाकपा ने असम, त्रिपुरा और प. बंगाल से लगती बंगलादेश की सीमाओं को सन् 2005 के अंत तक पूरी तरह “सील” करने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि असम के कम्युनिस्टों की यह मांग कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में पिछले दिनों सम्पन्न माकपा रैली के कुछ ही समय के भीतर उठी है। उस रैली में मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने बंगलादेश में कार्यरत उन कट्टरवादी गुटों से सावधान रहने का आह्वान किया था, जो उत्तरी बंगाल, असम और उत्तर-पूर्व को शेष देश से अलग करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। बुद्धदेव भट्टाचार्य ने आई.एस.आई., उल्फा और कट्टरवादी ताकतों के अलग राज्य बनाने की मुहिम के बारे में भी बताया था।यहां यह उल्लेखनीय है कि असम के ज्यादातर लोगों के कड़े विरोध के बावजूद केन्द्र की कांग्रेसनीत सरकार ने 1983 के आई.एम.डी.टी. कानून को निरस्त नहीं किया है। यह कानून केवल असम में लागू है जबकि देश के अन्य हिस्सों में 1946 के विदेशी नागरिक कानून की मदद से विदेशियों की पहचान करके उन्हें देश से बाहर करने का प्रावधान है।आई.एम.डी.टी. न्यायाधिकरण के पूर्व अध्यक्ष श्री ए.के.अस्थाना, जो पिछले अक्तूबर में ही पदमुक्त हुए थे, ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि यह कानून सर्वथा अनुपयोगी है। बहरहाल, इन सब बातों के बीच असम कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने हाल ही में आलाकमान से मांग की है कि राज्य में 2006 में होने वाले विधानसभा चुनावों में मजहबी आधार पर मुसलमानों के लिए 34 सीटें आरक्षित की जाएं, साथ ही ईसाइयों के लिए भी कुछ सीटें तय हों। हालांकि इस बात पर राज्य के जागरूक नागरिक बहुत गुस्से में हैं और कहते हैं कि ऐसी किसी भी कार्रवाई का जमकर विरोध किया जाएगा।NEWS

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