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हर पखवाड़े स्त्रियों का अपना स्तम्भ”स्त्री” स्तम्भ के लिए सामग्री, टिप्पणियां इस पते पर भेजें-“स्त्री” स्तम्भद्वारा, सम्पादक, पाञ्चजन्य,संस्कृति भवन, देशबन्धु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-55मंगलम्, शुभ मंगलम्इस स्तम्भ में दम्पत्ति अपने विवाह की वर्षगांठ पर 50 शब्दों में परस्पर बधाई संदेश दे सकते हैं। इसके साथ 200 शब्दों में विवाह से सम्बंधित कोई गुदगुदाने वाला प्रसंग भी लिखकर भेज सकते हैं। प्रकाशनार्थ स्वीकृत प्रसंग पर 200 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।तुमको देखा तो ये ख्याल आया…श्री दीपक नाईक अपनी पत्नी श्रीमती अनन्या नाईक के साथप्रिय अनन्या,वैसे तो हमारी शादी को तीन वर्ष हुए ही हैं। परन्तु इन तीन वर्षों में सामाजिक समस्याओं और विषमताओं का कुछ ऐसा दौर चला कि हम दोनों ने मिलकर तीन लोकों की खुशहाली और अपनत्व के अनुपात के बराबर प्रगाढ़ विश्वास स्थापित कर चुके हैं। शायद तुम्हें याद हो, विवाह के कुछ ही महीने बाद तुम्हारे स्वास्थ्य और हमारे व्यवसाय पर संकट के बादल छाए थे। संकट की उस घड़ी में अस्वस्थता के बावजूद तुमने हमारे धैर्य को टूटने नहीं दिया। जब कभी व्यवसाय पर संकट आता था, मैं परेशान रहता था और कुछ दूसरा व्यवसाय करने का विचार करता रहता था। उस कठिन समय में तुम मेरे साथ थी और एक कुशल गृहिणी का जो दायित्व होता है, उसको तुमने निभाया। परिणामस्वरूप संकट के बादल धीरे-धीरे छंट गए। अब तो हम दोनों के परस्पर सहयोग और आपसी सूझबूझ से घर-गृहस्थी भी अच्छी चल रही है। व्यवसाय भी फल-फूल रहा है।दु:ख में भी कुछ अच्छा होता है, यह बोध वाक्य अपने बड़ों से मात्र सुना था। परन्तु धीरे-धीरे इसका प्रत्यक्ष उदाहरण मुझे अपने वैवाहिक जीवन में देखने को मिलता गया। जीवन में तकलीफें आती-जाती हैं। उनका सामना करने के लिए आत्मविश्वास का अस्त्र चाहिए जो किसी की प्रेरणा से ही संभव है और मेरी प्रेरणा तुम हो। प्रकृति बनाने वाले को धन्यवाद दे सकूं, इतना सामथ्र्य तो नहीं है; परन्तु तुम्हें पाकर मैं धन्य जरूर हो गया हूं। प्रभु से प्रार्थना है कि हम दोनों का जीवन इसी तरह सुखी-सम्पन्न रहे।तुम्हारादीपक नाईक, वैभवी विहार, 14, विद्युत नगरहरनियाखेड़ी, इन्दौर (म. प्र.)NEWS
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