गहरे पानी पैठ
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गहरे पानी पैठ

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Jun 2, 2005, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 02 Jun 2005 00:00:00

नक्सली जड़ें गहराईंप. बंगाल में सी.पी.आई. (माओवादी), पीपुल्स वार ग्रुप (पी.डब्ल्यू.जी.) एवं माओवादी कम्युनिस्ट सेन्टर (एम.सी.सी.) ने अपनी जड़ें गहरी कर ली हैं। इन दिनों वहां इन गुटों के खुलेआम पोस्टर चिपकाए जा रहे हैं, पर्चे बांटे जा रहे हैं और आम सभाएं हो रही हैं। जनयुद्ध के नेता एवं कार्यकर्ता सरेआम बाहर आकर अपने उत्तेजक भाषणों में जनता के साथ विश्वासघात एवं छलावा करने की बात कर रहे हैं। माकपा के कार्यकर्ता डर के मारे कुछ बोलते नहीं हैं। माकपाई इसे विरोधी दल एवं जनयुद्ध की अनावश्यक अशान्ति फैलाने की साजिश बताते हैं। उधर पश्चिम मेदनीपुर के जिला पुलिस अधीक्षक ने पर्चे बांटने एवं पोस्टर चिपकाने की बात तो स्वीकार की, लेकिन कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। प. बंगाल में पोस्टर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के चिपके थे। हिन्दी एवं बंगला भाषा में लिखे इन पोस्टरों में देशभर में सशस्त्र क्रांति फैलाने की बात कही गई थी। खबर है कि धुर नक्सली छापामार संगठन प. बंगाल में अपना आधार मजबूत करने में जुटे हुए हैं।इधर नक्सली हिंसा बढ़ी है तो उधर महिलाओं के उत्पीड़न एवं अत्याचार की घटनाएं भी बढ़ी हैं। 1995 में जहां 29 महिलाओं की दहेज के कारण हत्या हुई, वहीं वर्ष 2003 में यह संख्या 312 हो गई। उत्पीड़न की घटनाएं राज्य में 1995 में 3315 थीं जो 2003 में बढ़कर 5603 हो गईं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार महिलाओं एवं छोटी उम्र की बालिकाओं के खिलाफ हत्या, उत्पीड़न, दहेज एवं छेड़छाड़ के मामले काफी बढ़े हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग ने मांग भी की है कि राज्य के प्रत्येक पुलिस थाने में महिलाओं के लिए अलग से प्रकोष्ठ होना चाहिए।बलूचिस्तान में उथल-पुथलपाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान में जबरदस्त गृहयुद्ध फूट पड़ा है। चर्चा है कि अगर बलूचिस्तान में सैनिक हमले बंद नहीं किए गए तो पश्चिमी पाकिस्तान का भी एक बहुत बड़ा भाग पूर्वी पाकिस्तान की तरह विद्रोह पर आमादा हो जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार यह हिस्सा बंगलादेश की तरह आजाद बलूचिस्तान भी बन सकता है।एक सक्रिय बलूची विद्रोह से इस्लामाबाद की सरकार परेशान है। एक ही दिन में एक पाकिस्तानी संस्थान पर 200 राकेटों के हमले से यह बात सिद्ध हो गई है कि अब बलूची स्वायत्तता की कशमकश में सक्रिय लोगों को न पाकिस्तान की सैनिक शक्ति की परवाह है और न वहां फौज का आदेश चलता है। पाकिस्तानी सेना बलूची आतंकवादियों के उस हमले के महत्व को समझ रही है जिसमें पाकिस्तान अधिकृत सुई गैस संस्थान के परिसर पर जबरदस्त हमला किया गया था। सुई गैस क्षेत्र पर उस हमले का परिणाम यह निकला कि सुई से पाकिस्तान के पंजाब और सिन्ध के उत्तरी और दक्षिणी राज्यों को गैस की आपूर्ति रुक गई और कई क्षेत्र अंधेरे में डूब गए। हालांकि पाकिस्तानी फौज का दावा था कि गैस की आपूर्ति जल्द बहाल हो जायेगी। यह बलूची गृह-युद्ध, जनरल मुशर्रफ के बलूचिस्तान में तीन नई पाकिस्तानी फौजी छावनियां बनाने के फैसले का परिणाम है। बलूची समझ गए हैं कि ये छावनियां उनको उपनिवेश बनाने के लिए बनाई जा रही हैं।सीमांचल पर साजिशखबर है कि बिहार के पूर्वी सीमांचल क्षेत्र पूर्णिया प्रमंडल में आई.एस.आई. ने अपनी गतिविधियां तेज कर रखी हैं। वहां हिन्दुओं को प्रताड़ित करने का सिलसिला चल रहा है। आई.एस.आई. द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों में मजहबी भावनाओं को भड़काकर अपने समर्थकों की संख्या बढ़ाने का काम द्रुत गति से जारी है। सूत्रों के अनुसार इस क्रम में सीमांचल के चार दर्जन से अधिक चिन्हित गांवों में खुलेआम मजहबी गतिविधियां चलाई जा रही हैं। आई.एस.आई. के कथित निर्देश पर एक बड़ा गिरोह सीमांचल में सक्रिय है, जिसके अधिकांश सदस्यों का सम्बन्ध पाकिस्तान समेत अन्य मुस्लिम देशों से है। दूसरी ओर पूर्णिया प्रमंडल के सीमावर्ती एवं सुदूर मुस्लिम बहुल गांवों व बस्तियों में निर्धन परिवारों के बच्चों और किशोरों को मजहबी तालीम दिलाने के नाम पर सीमा-पार नेपाल के रास्ते बंगलादेश के सीमावर्ती इलाकों में भेजे जाने की भी खबर है।राज्य सरकार की उदासीनता के कारण मुस्लिमबहुल बायसी अनुमंडल के करीब एक दर्जन से अधिक गांवों में रह रहे हिन्दू परिवार आज अपने ही घर में बेगाने हो गए हैं। इन्हें गांव से पलायन करने को बाध्य किया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस भी हिन्दुओं की व्यथा को नजरअंदाज करती आ रही है। रोटा थानांतर्गत वैसा गांव में लगभग तीन सौ अल्पसंख्यक परिवारों के बीच रहने वाले हिन्दू परिवारों में से आधा दर्जन परिवार ऐसी दुखद परिस्थितियों को देखते हुए कुछ ही महीने पूर्व गांव से पलायन कर गए और कुछ और परिवार पलायन करने को बाध्य कर दिए गए हैं।NEWS

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