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अखिल भारतीय साहित्य परिषद् का राष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्नसाहित्य और साहित्यकारों का मिलनगत 7 से 9 जनवरी, 2005 को राजकोट में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् का राष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्न हुआ। अधिवेशन का उद्घाटन ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित गुजराती भाषा के मूर्धन्य कवि श्री राजेन्द्र शाह ने किया। उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अध्यात्म ही भारतीय साहित्य की गंगोत्री है। हम अपने रचनाधर्म को भारतीय वैचारिक अधिष्ठान से जोड़कर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को पुष्ट करें। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. बलवन्त जानी ने की। गुजराती भाषा के वरिष्ठ कवि श्री रमेश भाई पारीख, प्रवासी भारतीय कवि श्री जगदीश दवे, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के कुलपति डा. कणुभाई मावार्णी, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डा. देवेन्द्र दीपक भी इस अवसर पर उपस्थित थे।उद्घाटन कार्यक्रम में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की पत्रिका साहित्य परिक्रमा के “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और भारतीय साहित्य” अंक का लोकार्पण भी किया गया। महामंत्री डा. कृष्णचन्द्र गोस्वामी ने वर्षभर के कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।तीन दिवसीय अधिवेशन में प्रतिनिधियों ने तीन प्रस्ताव पारित किए, जो इस प्रकार हैं-अश्लीलता स्वीकार्य नहीं-दूरदर्शन तथा अन्य संचार माध्यमों द्वारा निरन्तर अश्लील दृश्यों, धारावाहिकों, संवादों, विज्ञापनों के प्रसारण से राष्ट्र की संस्कृति पर कुठाराघात हो रहा है। इससे समाज में विकृति एवं कुसंस्कारों का निर्माण हो रहा है। इन्हें तुरन्त प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।शिक्षा का विकृतिकरण-आजादी के 57 वर्ष बाद भी राष्ट्रीय हितों की उपेक्षा करने वाले माक्र्सवादी लेखकों की एन.सी.ई.आर.टी. जैसी शैक्षिक संस्थाओं में घुसपैठ और उसके पाठ्यक्रमों में समाहित राष्ट्रीय एवं सामाजिक मूल्यों को बदलने का प्रयास भत्र्सना योग्य है।राष्ट्रगान से छेड़छाड़ उचित नहीं- राष्ट्रगान में से “सिन्ध” शब्द हटाने का षड्यंत्र भारतीय परम्परा, इतिहास एवं जीवन प्रवाह के गौरव के विरुद्ध है। यह किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। अधिवेशन के समापन सत्र की अध्यक्षता डा. बद्रीप्रसाद पंचोली ने की। मुख्य वक्ता साहित्य परिषद् के मार्गदर्शक श्री सदानंद दमोदर सप्रे थे। साहित्य परिषद् के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. दयाकृष्ण “विजय”, संगठन मंत्री श्री सूर्यकृष्ण, उपाध्यक्ष डा. शिवकुमार खण्डेलवाल समेत अनेक कवि, लेखक एवं साहित्यकारों ने इस आयोजन में भाग लेकर साहित्य साधना में अपना योगदान दिया।-प्रवीण आर्यNEWS
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