|
इंदौर की सेंट्रल जेल में धीरे-धीरे बदलाव नजर आने लगे हैं। यहां कैद अपराधियों का मन भी बदल रहा है। पिछले दिनों जेल अधीक्षक डा. लालजी मिश्रा द्वारा की गयी एक सकारात्मक कोशिश रंग जमा रही है। हुआ यूं कि एक दिन निरीक्षण के दौरान उनकी नजर जेल गोदाम में रखे पुराने वाद्ययंत्रों पर पड़ी। फिर क्या था, उन्होंने कैदियों का एक समूह बनाकर उन्हें रोज 3 घंटे संगीत के अभ्यास में लगा दिया। कुछ दिनों में ही जेल अधीक्षक की मेहनत रंग लायी। अब कैदी शहर में जगह-जगह शादियों व अन्य अवसरों पर बैंड बजाकर पैसे कमा रहे हैं। इससे होने वाली कमाई का एक तिहाई हिस्सा कैदियों के खाते में जमा हो रहा है। इस बैंड टीम में अधिकतर कैदी वो हैं जो धारा 302 के तहत हत्या की सजा काट रहे हैं। इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि संगीत का मन पर कितना प्रभाव होता है और वह कितना बड़ा बदलाव ला सकता है।NEWS
टिप्पणियाँ