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हर पखवाड़े स्त्रियों का अपना स्तम्भउनका वह चुप रहनावीरा शर्माश्रीमती सुधा कार्जी व अपने बेटे के साथश्रीमती वीरा शर्माशादी से पहले मैं अक्सर अपनी मां से भावी सास के बारे में चर्चा करती रहती थी। “क्या सासू मां भी अपनी मां की तरह हो सकती हैं?” यही सवाल मन में गूंजते थे। मां अनेक प्रकार से समझाती थीं, पर समाधान नहीं मिलता था। लेकिन शादी के बाद जब मैंने श्रीमती सुधा कार्जी के रूप में सासू जी को पाया, तो सास के सन्दर्भ में मेरी पहले की सारी सोच बदल गयी। मेरी सासू जी ने सदा मुझे अपनी बेटी ही माना, अपनी बहुओं या कहूं बेटियों के साथ घूमने, सिनेमा देखने, हंसी-ठिठोली करने में उन्होंने कभी परहेज नहीं किया। वे कभी हमारे कामों में ज्यादा टोका-टाकी नहीं करतीं, जरूरत पड़ने पर प्यार से समझा देती हैं। उनके इस व्यवहार ने मुझ पर गहरा प्रभाव डाला है।एक बार अपने देवर की शादी के समय अपनी सासू जी, जेठ व जेठानी के साथ खरीददारी करके मैं बाजार से लौट रही थी। कार में बैठते समय जैसे ही मैंने दरवाजा बन्द किया, सासू जी की अंगुली दरवाजे के किनारे में दब गई। उनकी कष्ट भरी आह से मैं घबरा उठी। पास की दुकान से पानी लाकर हमने घाव को धोया और पट्टी की। उनकी आंखों में आंसू थे, किन्तु वह चुप थीं। मेरी जल्दबाजी के कारण उन्हें मिली पीड़ा की मैं केवल कल्पना ही कर सकती थी। वे घर आ गयीं, किसी को कुछ भी नहीं बताया। शायद उनकी जगह मेरी अपनी मां होती तो मुझे काफी कुछ सुनना पड़ता, लेकिन मेरी सासू मां ने बिना कुछ कहे ही बहुत कुछ कह दिया। उन्होंने बहू द्वारा अनजाने में हुई गलती को अपने मन में नहीं रखा। इस एक घटना ने मेरे दिल में उनका बहुत बड़ा स्थान बना दिया है, शायद अपनी मां से भी बड़ा।वीरा शर्मा305, सनब्राीज टावर-1, वैशाली, गाजियाबादमेरी सास, मेरी मां, मेरी बहू, मेरी बेटीजब भी सास बहू की चर्चा होती है तो लगता है इन सम्बंधों में सिर्फ 36 का आंकड़ा है। सास द्वारा बहू को सताने, उसे दहेज के लिए जला डालने के प्रसंग एक टीस पैदा करते हैं। लेकिन सास-बहू सम्बंधों का एक यही पहलू नहीं है। हमारे बीच में ही ऐसी सासें भी हैं, जिन्होंने अपनी बहू को मां से भी बढ़कर स्नेह दिया, उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। और फिर पराये घर से आयी बेटी ने भी उनके लाड़-दुलार को आंचल में समेट सास को अपनी मां से बढ़कर मान दिया। क्या आपकी सास ऐसी ही ममतामयी हैं? क्या आपकी बहू सचमुच आपकी आंख का तारा है? पारिवारिक जीवन मूल्यों के ऐसे अनूठे उदाहरण प्रस्तुत करने वाले प्रसंग हमें 250 शब्दों में लिख भेजिए। अपना नाम और पता स्पष्ट शब्दों में लिखें। साथ में चित्र भी भेजें। प्रकाशनार्थ चुने गए श्रेष्ठ प्रसंग के लिए 200 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।NEWS
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