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मधुर वाणी, मधुर व्यवहार था उनका-मदनदासहो.वे. शेषाद्रिकोंकण प्रांत की तरफ से 23अगस्त को मुम्बई में स्व. शेषाद्रि जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। रा.स्व.संघ के सहसरकार्यवाह श्री मदनदास ने इस अवसर पर कहा कि शेषाद्रि जी केवल अच्छी बातों की सराहना नहीं करते थे, कार्यकर्ताओं को गलती का अहसास भी बिना कोई क्लेश पहुंचाए करा देते थे। उनका मार्गदर्शन हमेशा सटीक रहता था। किसी को अगर “नहीं” भी कहना हो तो शब्दों में मधुरता के साथ कहना चाहिए, ऐसा उनका आग्रह रहता था। श्री मदनदास ने कहा कि शेषाद्रि जी तथा वे जिनको अपना गुरु मानते थे, उन स्व. यादवराव जोशी, दोनों के साथ रहने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ, यह मेरा सौभाग्य था। गुरु-शिष्य के नाते का एक जीता-जागता आदर्श मैंने अपनी आंखों से देखा। श्री गुरुजी की उपस्थिति में उडुपी के जिस प्रसिद्ध धर्मसम्मेलन में “हिंदव: सोदरा सर्वे, न हिन्दू पतितो भवेत”… जैसे युगांतकारी मंत्र की घोषणा हुई, उस सम्मेलन का काफी काम शेषाद्रि जी ने ही किया था।NEWS
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