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राजा का धर्मजो बात भारतीयों को परम्परा से मिली है, यदि लोग उनका ही पालन करें तो वर्तमान जल संकट का समाधान किया जा सकता है। महाभारत काल में जब युधिष्ठिर राजधर्म के परिपालन के लिए भीष्म पितामह से सलाह मांगते हैं तो पितामह उनसे कहते हैं-धर्मस्यार्थस्य कामस्य फलमाहुर्मनीषिण:, तडाग सुकृतं देशे क्षेत्रमेकम् महाश्रयम।पुष्करिण्यस्तडागानि कूपांश्चैवात्र खानयेत्, एतत् सुदुर्लभतरमिहलोके द्विजोत्तम।।(अष्ट पञ्चाशत्तमोध्याय:, खण्ड 6/महाभारत)अर्थात्- हे राजन! देश में स्थान-स्थान पर तालाब का निर्माण धर्म, अर्थ और काम, तीनों का फल देने वाला है तथा पोखर से युक्त स्थान समस्त प्राणियों के लिए महान आश्रय है, ऐसा मनीषी लोग कहते हैं। हे द्विज श्रेष्ठ, मनुष्य को पृथ्वी पर पोखर, तालाब और कुंए खुदवाने चाहिए। यह संसार में अत्यंत दुर्लभ पुण्य कार्य है।NEWS
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