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पाञ्चजन्य पचास वर्ष पहले

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Mar 4, 2005, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 04 Mar 2005 00:00:00

वर्ष 9, अंक 31, सं. 2013 वि., 7 मई, 1956, मूल्य 3आने

सम्पादक : गिरीश चन्द्र मिश्र

प्रकाशक – श्री राधेश्याम कपूर, राष्ट्रधर्म कार्यालय, सदर बाजार, लखनऊ

“क्षेत्रीय समिति योजना” के पीछे गम्भीर रहस्य

विद्रोह के भय से सरकार अकालियों के समक्ष झुकी

षडंत्र पर पर्दा डालने के लिए महापंजाबियों पर अत्याचार?

(निज प्रतिनिधि द्वारा)

अमृतसर: जिस रहस्य को अब तक पंजाब तथा केन्द्रीय सरकार दबाने का प्रयास कर रही थी, वह अब प्रकट हो चुका है कि सरकार ने अकालियों के सामने घुटने टेक कर उनकी अनेक अनुचित मांगों को स्वीकार किया है। इस रहस्य का उद्घाटन करने वाला कोई गैर-सरकारी आदमी न होकर पंजाब सरकार के उपमंत्री श्री रामकृष्ण हैं। “सत्य वह जो सर चढ़ कर बोले।” श्री रामकृष्ण ने अभी हाल में अमृतसर में कहा कि “सेना में सिखों का भारी तत्व विद्यमान है। यदि अकालियों की बात न मानी जाती तो विद्रोह का संकट उत्पन्न हो जाता।” कुसमय रहस्य प्रकट हो जाने के कारण सरकार इस तथ्य को प्रतिवादों से दबाने का प्रयास कर रही है। किन्तु इस तथ्य की सभ्यता इसी बात से प्रकट होती है कि लगभग सभी पत्रों में यह समाचर प्रकाशित हुआ। क्या किसी पत्रकार की मंत्री जी से कोई दुश्मनी थी? कामरेड रामकृष्ण के भाषण को सुनकर महापंजाब समिति के “महापंजाब आन्दोलन” के सम्बंध में किसी को भ्रम नहीं रह सकता। जनता को यही विश्वास होता जाएगा कि समिति के प्रयासों के कारण सरकार-अकाली दुरभिसंधि के बीच जो बाधा उपस्थित हो रही है, उसी को हटाने के लिए सरकार तथा कांग्रेस पाश्विक शक्ति का प्रयोग महापंजाब समर्थकों के विरुद्ध कर रही है, लोगों के सर फोड़ रही है, निरपराधों पर लाठी प्रहार एवं अश्रु गैस का प्रयोग कर रही है। अमृतसर, लुधियाना, पठानकोट, जालंधर आदि के काण्ड इसी खीझ के परिचायक हैं। महापंजाब समिति के महामंत्री श्री कृष्णलाल की गिरफ्तारी (यद्यपि अब मुक्त किए जा चुके हैं) भी इसी का प्रतीक है।

बिहार जनसंघ चतुर्थ अधिवेशन

बिहार-सरकार द्वारा भी बंगाल बिहार विलय का प्रस्ताव वापस लिया जाए

(निज प्रतिनिधि द्वारा)

पटना : बिहार प्रादेशिक जनसंघ का वार्षिक अधिवेशन यहां पं. शिवकुमार द्विवेदी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विभिन्न नगरपालिकाओं, नोटिफाइड एरियाओं, यूनियन बोर्डों और पटना निगम के प्रतिनिधियों का सम्मेलन श्री ठाकुर प्रसाद की अध्यक्षता में हुआ। सम्मेलन में नगर पालिकाओं में सरकार द्वारा की जाने वाली नियुक्तियों के विरोध में प्रस्ताव स्वीकृत हुआ और बिहार सरकार से कानून में परिवर्तन करने का आग्रह किया गया। बिहार प्रदेश कर-दाता संघ की भी इस अवसर पर स्थापना की गई, जिसके अध्यक्ष, मंत्री, उपाध्यक्ष तथा कोषाध्यक्ष क्रमश: सर्वश्री ठाकुर प्रसाद नारायण वेदी, सीताराम शरण मिश्र और रामकृष्ण निर्वाचित हुए।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना

द्वितीय पंचवर्षीय योजना लोकसभा में प्रस्तुत की जा चुकी है। प्रस्तुत योजना का रूप प्रथम पंचवर्षीय योजना की अपेक्षा कहीं अधिक वृहत् है। प्रथम पंचवर्षीय योजनाओं में मोटे तौर पर 31 अरब रुपए की पूंजी लगाई गई, जिसमें से 20 अरब रुपए की पूंजी का उपयोग सार्वजनिक क्षेत्र में किया गया। प्रस्तुत योजना में 62 अरब रुपए की पंूजी लगाने का विचार किया गया है, जिसमें से 48 अरब रुपए की पूंजी का सार्वजनिक क्षेत्र में उपयोग किया जाएगा। इस प्रकार द्वितीय पंचवर्षीय योजना का रूप प्रथम पंचवर्षीय योजना का लगभग द्विगुणित है। योजना आयोग के सदस्य श्री नियोगी के मतानुसार प्रस्तुत योजना हमारी बढ़ी-चढ़ी महत्वाकांशा का प्रतीक है। उनके विचार से इस प्रकार की वृहद् योजना घाटे के आय व्यय के आधार पर नहीं चलाई जा सकती। प्रश्न उठता है कि इस प्रकार वृहद् योजना में बनाकर समय-समय पर कटौती करने का विचार रखने की अपेक्षा सामान्य योजना क्यों नहीं बनाई गई और आवश्यकतानुसार समय-समय पर उसे वृहद् रूप प्रदान कर सकने की गुंजाइश उसमें क्यों नहीं रखी गई? (सम्पादकीय)

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