सऊदी अरब में पैगम्बर मोहम्मद से जुड़ी यादें नेस्तनाबूद
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सऊदी अरब में पैगम्बर मोहम्मद से जुड़ी यादें नेस्तनाबूद

by
Feb 10, 2005, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 10 Feb 2005 00:00:00

चुप क्यों हैं इस्लाम के पैरोकार?मुजफ्फर हुसैन का विशेष आलेखयह बात बड़ी हैरत में डालती है कि जो लोग मस्जिद तो दूर एक कब्रा के टूट जाने पर हमारे यहां चीख-पुकार मचा देते हैं, किसी मस्जिद या दरगाह पर कोई गुलाल डाल दे तो उनका इस्लाम “खतरे में” पड़ जाता है। वही लोग इस्लाम के संस्थापक हजरत मोहम्मद पैमम्बर साहब के घर पर बुलडोजर चलने पर मुंह पर ताला लगा लेते हैं। क्या सऊदी राजा से मुसलमान इतने भयभीत हैं या फिर सऊदी का पेट्रो डालर इतना चमकदार है कि उसकी चकाचौंध में न तो इस्लाम याद रहता है और न ही पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब? जिन यहूदियों और ईसाइयों को मुसलमान गाली देते नहीं थकते उन्होंने “क्रूसेड” में भी मोहम्मद साहब और इस्लाम का वैसा अपमान नहीं किया होगा जैसा स्वयं काबे का संरक्षक और सेवक (खादेमुल हरमेन) कहलाने वाले सऊदी राजा के परिवार ने किया है। मक्का स्थित हजरत मोहम्मद पैगम्बर साहब का जिस घर में जन्म हुआ था, उस घर को ही इस बार सऊदी राजा ने बुलडोजर से ध्वस्त करा दिया। लेकिन बात-बात पर मुसलमानों के लिए आंसू बहाने वाले भारत के सेकुलर नेता, हमारे समाजवादी और साम्यवादी, जो मुसलमानों के लिए पलक पांवड़े बिछाने का दावा करते हैं, वे भी सऊदी अरब की इस घटना पर चुप रहे। क्यों? क्योंकि मामला किसी पराए देश में हस्तक्षेप करने का था? अयोध्या में जो घटना घटी थी उस पर तो अब तक विलाप जारी है, लेकिन मुसलमानों के ये तथाकथित समर्थक मोहम्मद साहब के घर पर बुलडोजर चलने पर चुप्पी साधे हुए हैं, भला क्यों?सऊदी अरब के राजा का आखिर इस्लाम के पैगम्बर ने क्या बिगाड़ा था कि उसने 1400 साल से अधिक पुरानी इस अंतरराष्ट्रीय विरासत को अपने आक्रोश का निशाना बनाया? जबकि उसी ऐतिहासिक मकान के निकट आधा दर्जन से अधिक विशालकाय इमारतें और बड़े व्यापारिक केन्द्र मौजूद हैं? सऊदी सरकार का कहना है कि पैगम्बर साहब का मकान इन भव्य इमारतों के पास पार्किंग के स्थान में अवरोध पैदा करता था। इस मकान के कारण रास्ता तंग हो गया और वाहनों के आने-जाने में लगातार बाधा होती थी। इसलिए इस घर को ध्वस्त करना जरूरी हो गया था। पैगम्बर साहब का घर तोड़ते समय विरोध का कोई स्वर नहीं सुनाई पड़ा। पार्किंग के स्थान के लिए इस महान यादगार को नष्ट कर देना कितना घटिया कदम है, लेकिन सऊदी राजा के रियालों के सामने इस्लामी जगत खामोश है।हज यात्रा के उद्देश्य से लाखों मुसलमान जब मक्का जाते हैं तो हर साल वहां उथल-पुथल का नजारा देखते हैं। जहां कल तक पैगम्बर साहब के साथी की कब्रा थी अथवा कोई ऐतिहासिक मस्जिद थी या इस्लामी इतिहास की दृष्टि से पवित्र स्थान थे, वे अब नजर नहीं आते। अब वहां कोई व्यापारिक केन्द्र अथवा किसी राजकुमार का भव्य महल खड़ा दिखता है। किसी-किसी स्थान पर तो सऊदी सरकार ने पार्किंग के स्थान बना दिये हैं और कुछ स्थानों पर अपनी दैनिक आवश्यकता पूर्ति करने के स्थानों का निर्माण करा दिया गया है। मक्का-मदीना की यह दर्द भरी कहानी सुनाई है तारिक फतेह जैसे कनाडा टेलीविजन के प्रसारक ने। तारिक फतेह प्रसिद्ध टेलीविजन कार्यक्रम “मुस्लिम क्रोनिकल” के आयोजक की हैसियत से सम्पूर्ण इस्लामी जगत में प्रसिद्ध हैं। तारिक फतेह लिखते हैं कि सऊदी अरब में आजकल मजहबी नेतृत्व और व्यापारिक प्रतिष्ठान के निर्माताओं ने हाथ मिला लिए हैं जो आए दिन इस्लाम के ऐतिहासिक स्थानों का खात्मा कर रहे हैं। पैगम्बर साहब और इस्लाम से जुड़े स्थानों को तहस-नहस करना सऊदी राज परिवार का मनपसंद काम है। जिस ऊंची पहाड़ी, जिसे जबले “अबूकुबेस” के नाम से पुकारा जाता है, की चोटी “फारान” से हजरत मोहम्मद साहब ने अपने पैगम्बर होने की घोषणा की थी, आज उस स्थान पर सऊदी राजा ने अपना आलीशान महल बनवा दिया है। पता नहीं ऐसा करना इस्लाम की सेवा है या फिर इस्लाम और पैगम्बर साहब के साथ सऊदी परिवार की दुश्मनी। दलील यह दी जाती है कि यह सब कुछ काबा के परिसर को विशाल बनाने के लिए किया जा रहा है। लेकिन दुनिया देख रही है कि यह एक बहाना मात्र है। असली नीयत तो व्यापारिक प्रतिष्ठानों और अपने परिवार के रहने के लिए भव्य बंगले और महल तैयार करना है। हजरत पैगम्बर साहब के साथी सलमान फारसी का मकान और कुंआ, जो कुछ साल पहले तक था, वह भी अब गायब है।अभी कुछ दिन पहले ही सऊदी अरब के राजा अब्दुल्ला ने फरमान जारी किया है कि कोई भी उन के हाथ का चुम्बन न ले क्योंकि यह एक प्रकार की व्यक्ति उपासना है। इस्लाम किसी भी व्यक्ति के सामने झुकने से इंकार करता है और हाथ का चुम्बन लेते समय झुकना पड़ता है। इस्लाम के कट्टरवादी इस फरमान की प्रशंसा कर रहे हैं। लेकिन यही कट्टरवादी इस बात पर चुप हैं कि मक्का और मदीना में अनेक मस्जिदों को शहीद करके सऊदी राजा द्वारा अपने लिए आलीशान महल तैयार करवा लिए हैं, क्या इस्लाम में यह वैध है? भारत में रजा अकादमी जैसी मुस्लिम संस्थाओं ने इसके विरुद्ध आवाज बुलंद की, लेकिन नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है?NEWS

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