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Feb 1, 2005, 12:00 am IST
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दिंनाक: 01 Feb 2005 00:00:00

अंक-संदर्भ, 5 दिसम्बर, 2004पञ्चांगसंवत् 2061 वि. वार ई. सन् 2005 पौष कृष्ण 7 रवि 2 जनवरी ,, ,, 8 सोम 3 जनवरी ,, ,, 9 मंगल 4 जनवरी ,, ,, 10 बुध 5 जनवरी ,, ,, 11 गुरु 6 जनवरी (सफला एकादशी व्रत) ,, ,, 12 शुक्र 7 जनवरी ,, ,, 13 शनि 8 जनवरी (शनि प्रदोष)एक गहरी सेकुलर साजिशआचार्य किशोर व्यास के लेख “हिन्दू धर्म के मूल पर कुठाराघात” में पूज्य शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी के सेवा कार्यों एवं उनकी सह्मदयता का सुन्दर वर्णन है। पर उनके बारे में मीडिया द्वारा गलत धारणाएं फैलाकर हिन्दू समाज में दरार पैदा करने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में तथाकथित बुद्धिजीवी स्वयं को चरित्रवान और सेकुलर सिद्ध कर रहे हैं। अत: भारत के जन-जन के अन्त:करण में यह आग निरन्तर जलनी चाहिए कि हिन्दू समाज पर हो रहे अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे।-सुनील पंडितवनवासी विकास परिषद्811, नरसिंह वार्ड, जबलपुर (म.प्र.)पैतृक संपत्ति मेंबेटियों का अधिकारपैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबरी का अधिकार देने के लिए हिन्दू उत्तराधिकार कानून में संशोधन के विधेयक को संसद के वर्तमान सत्र में पेश करने का समाचार वास्तव में स्वागत योग्य है। परन्तु इस श्रेष्ठ विधेयक को केवल हिन्दुओं तक ही सीमित रखने का निर्णय पक्षपातपूर्ण है। देश की हर बेटी को पैतृक सम्पत्ति में बराबरी का अधिकार मिलने में उसके जन्म का मजहब बाधा नहीं बनना चाहिए। संविधान की धारा 25 के अनुसार “हिन्दू” शब्द के अंतर्गत न सिर्फ हिन्दू आते हैं, अपितु अल्पसंख्यक माने जाने वाले सिख, बौद्ध एवं जैन भी आते हैं। उन सभी पंथावलंबियों की बेटियों को तो पैतृक संपत्ति में भाइयों के बराबर का अधिकार मिलेगा, किन्तु देश के अन्य अल्पसंख्यकों की बेटियों को यह बराबरी का अधिकार नहीं मिलेगा। उनका क्या कसूर है? अपने को सेकुलर कहने वाली केन्द्र सरकार तथा विरोधी दलों के सभी नेताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उपर्युक्त विधेयक देश की हर बेटी के संदर्भ में लागू हो और इसमें जो भी बाधाएं आती हों, उनसे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह सेकुलरवाद की हत्या होगी और इसके पाप से कोई नेता बच नहीं सकेगा। आशा है कि महामहिम राष्ट्रपति महोदय इस विधेयक के अन्तर्गत देश की सभी बेटियों को लाने की आवश्यकता पर ध्यान देंगे।———————————————————————————डा. बलराम मिश्र8बी/6428-29,आर्य समाज रोड,देव नगर, करोलबाग,नई दिल्लीआचार्य किशोर व्यास ने अपने लेख में दलितों के प्रति पूज्य शंकराचार्य जी की पीड़ा को व्यक्त किया है। निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि जयललिता ने राजनीतिक स्वार्थ एवं द्रविड़ मतों को अपनी ओर खींचने के लिए जगद्गुरु के साथ ऐसा व्यवहार किया है। आशंका है कि भविष्य में अन्य राजनीतिज्ञ भी कानून का दुरुपयोग करके हमारे मान-बिन्दुओं पर चोट पहुंचाएंगे।-संजय चतुर्वेदीपत्थर गली, आबू रोड (राजस्थान)श्री टी.वी.आर. शेनाय के लेख “शंकराचार्य जी के विरुद्ध अभियोग में दम नहीं” ने प्रभावित किया। उनके तर्कों से लगता है कि वास्तव में पूज्य शंकराचार्य के विरुद्ध लगाए गए आरोपों में कोई ठोस बात नहीं है। आचार्य किशोर व्यास जी का लेख भी पठनीय है। आर्य समाज जगद्गुरु जी के अपमान को भारत का अपमान मानता है।-अशोक सुधाकरमंत्री, आर्य समाज, मेरठ शहर, मेरठ (उ.प्र.)कुछ समय पहले गोधरा काण्ड के अपराधियों को पकड़ने के लिए गुजरात पुलिस हैदराबाद गई थी तो मुस्लिम नेताओं और कामरेडों ने इसे अलोकतांत्रिक कदम कहते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की घोर निन्दा की थी। आज वही कम्युनिस्ट कह रहे हैं कानून से ऊपर कोई नहीं है, कानून को अपना काम करने दीजिए। यह कैसा भेदभाव है? ये लोग न्याय में भी तुष्टीकरण की नीति चला रहे हैं।-नवीन उपाध्यायजेड-10, डी.एल.एफ, पार्ट-2,गुड़गांव (हरियाणा)ऐसा लग रहा है मानो आज हिन्दू एक बार फिर से गुलामी की स्थिति झेल रहे हैं। हिन्दू ही हिन्दुओं की जड़ पर प्रहार कर रहे हैं। यह खतरनाक प्रवृत्ति है। हिन्दुत्व के सबसे बड़े दुश्मन वामपंथी हैं।-प्रो. राजारामएफ-42/10, दक्षिण तात्या टोपे नगर,भोपाल (म.प्र.)शंकराचार्य जी की गिरफ्तारी के मामले में अपनी जवाबदेही से कांग्रेस बच नहीं सकती। आंध्र प्रदेश सरकार के सहयोग के बिना तमिलनाडु पुलिस गिरफ्तारी को अंजाम नहीं दे सकती थी और आंध्र के कई अखबारों में इस आशय के समाचार भी छपे हैं कि वहां के कांग्रेसी मुख्यमंत्री (जो संयोग से ईसाई हैं) ने इस विषय पर केन्द्र से सहमति प्राप्त कर ली थी। और यदि केन्द्र सरकार की सहमति नहीं थी, तो अब वह तमिलनाडु सरकार को सलाह देने से भी क्यों बच रही है? उल्लेखनीय है कि 1987 के दंगों के दौरान मेरठ में बार-बार अवैध प्रवेश करने वाले शाही इमाम को उत्तर प्रदेश सरकार ने शांति भंग होने की आशंका में गिरफ्तार करने का मन बना लिया था। तब केन्द्र सरकार ने तत्कालीन कांग्रेसी राज्य सरकार को ऐसा न करने की सलाह दी थी। अब पूरा देश देख रहा है कि केन्द्र सरकार ने तमिलनाडु सरकार को सलाह या निर्देश देने के अपने संवैधानिक दायित्व का पालन नहीं किया।-अजय मित्तलखंदक, मेरठ (उ.प्र.)सम्पादकीय “सिर्फ हिन्दुओं के साथ ही ऐसा क्यों होता है?” में महत्वपूर्ण विषयों को उठाया गया है। सच में जिन लोगों ने एक नहीं अनेक बार कानून को तोड़ा है, उन्होंने उसे एक वर्ग विशेष को खुश करने के लिए पलटा है। आज वही कह रहे हैं कि कानून को काम करने दीजिए। वोट बैंक की राजनीति के कारण हमारे यहां ऐसे काम भी होने लगे हैं जो अंग्रेजों ने भी नहीं किए थे।-गोपाल मुरारीग्रा.-दरला, पो.-तीनपहाड़,जिला- साहिबगंज (झारखण्ड)कमर तोड़ महंगाईकही-अनकही स्तम्भ के अन्तर्गत श्री दीनानाथ मिश्र का आलेख “खामोश कातिल” वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिक लगा। लगातार बढ़ रही महंगाई ने आम आदमी को पूरी तरह तोड़कर रख दिया है। घरेलू गैस के बढ़ते दामों ने तो सारा बजट ही बिगाड़ दिया है। रही-सही कसर पेट्रोल के बढ़े दामों ने पूरी कर दी है।-दीपक नाईक”वैभवी विहार”, 14 विद्युत नगर,हरनियाखेड़ी, महू (म.प्र.)सच्चे सेकुलरचर्चा सत्र स्तम्भ में श्री गोपाल सच्चर ने अपने आलेख “हिन्दूविहीन कश्मीर में निजामे मुस्तफा की तैयारी” में कश्मीर की असली स्थिति बताई है। कश्मीर घाटी को हिन्दूविहीन बनाने में राज्य के प्राय: सभी मुस्लिम नेताओं का हाथ रहा है। नेशनल कांफ्रेंस तो राज्य से 1947 के बाद पाकिस्तान गए मुस्लिमों की वापसी को लेकर बेताब है, पर उसे 50 वर्षों से वहां रह रहे हिन्दुओं की नागरिकता की चिन्ता नहीं है। आज भी पाकिस्तान से आए हिन्दुओं को जम्मू-कश्मीर में नागरिकता नहीं दी गई है। हमारे कुछ सेकुलर फिलिस्तीनी शरणार्थियों की वापसी की मांग कर रहे हैं, पर उन लोगों ने अपने ही देश के हिन्दू शरणार्थियों की वापसी की मांग कभी नहीं की। यही हैं सच्चे सेकुलर।-बी.एल. सचदेवा263, आई.एन.ए. मार्केट , नई दिल्लीतेजस्विनियों का सम्मान करेंतेजस्विनी स्तम्भ से उन नारियों की जानकारी मिलती है, जो समाज में अपनी एक अनुकरणीय पहचान बना रही हैं। यह अच्छा प्रयास है। पर हमारे विचार से उन महिलाओं को आप एक सार्वजनिक कार्यक्रम में निमंत्रित कर सम्मानित करें तो बहुत अच्छा रहेगा।-हरि दत्त त्यागीसम्पादक, केशव संवाद,सूरजकुण्ड रोड, मेरठ (उ.प्र.)अच्छी नीतिउन्होंनेभाषाई मामलों मेंअच्छी नीति है अपनाई,हिन्दी मेंकरते हैं जो कमाईअंग्रेजी के समर्थन मेंदोनों हाथों सेकर देते हैं उसकी लुटाई।-कुमुद कुमारए-5, आदर्श नगर,नजीबाबाद, बिजनौर (उ.प्र.)खड़काते हैं फोनपप्पू यादव जेल से, खड़काते हैं फोननेता-मंत्री दौड़ते, हां जी-हां जी कौन।हां जी- हां जी कौन, किस तरह इसको रोकेंकिसकी हिम्मत है जो उसको पूछे-टोके?है “प्रशांत” लालू-राबड़ी का राज जहां परगुंडों के सिर सजता असली ताज वहां पर।।-प्रशांतविजय पर्व की पुकारपूज्य शंकराचार्य जी के अपमान ने सम्पूर्ण हिन्दू समाज को झकझोर दिया है। हिन्दू ह्मदय को भीषण आघात पहुंचाने वाली इस घटना से हिन्दू अस्मिता के भविष्य को लेकर लोगों का चिंतित होना स्वाभाविक है। लेकिन हिन्दुओं के लिए अब चिंता और चिंतन से ऊपर उठकर मंथन और गर्जन का समय आ गया है। वास्तव में न कहीं कोई समस्या है और न ही कोई संकट, हिन्दुओं को केवल स्मृति लोप हो गया है। सभी व्यक्तियों, समूहों और संस्थाओं के प्रति विनम्रता और सदाशयता अपनाने का आदेश किसने दिया है हिन्दुओं को? किसने कहा कि दुष्टों से विनय और कपटियों से प्रीति करो? संदेश तो साफ है- “भय बिनु होइ न प्रीति”। और यही सर्वत्र सिद्ध भी हो रहा है।हिन्दू समाज में संत का स्थान राजनीति और विधान से बहुत ऊपर होता है। लेकिन हिन्दुओं ने स्वयं एक ऐसी व्यवस्था के आगे आत्म-समर्पण कर रखा है, जो हिन्दुत्व विरोधियों ने उन पर कुटिलतापूर्वक थोप रखी है। हिन्दुओं को यह भी याद रखना चाहिए कि पिछली कई शताब्दियों से लगातार आक्रमण झेलने के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। परिणामस्वरूप दुनिया पर अपना-अपना परचम लहराने को बेताब दानवी शक्तियों की राह में अग्निस्वरूप हिन्दू समाज सबसे बड़ा रोड़ा बन गया। मैकाले ने हिन्दुत्व की आग को अंदर से ही बुझा देने की दीर्घकालिक रणनीति बनाई और इसके विषफल समाज जीवन के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पहुंचकर पूरे समाज को व्यापक क्षति पहुंचा रहे हैं। अब एक ऐसी व्यवस्था अपनाने का समय आ गया है जो शत-प्रतिशत हिन्दुत्व पर आधारित हो, जिसमें संत का वंदन हो, गंगा को नदी और गाय को पशु मात्र न समझा जाए, जिसमें प्राणि-मात्र के कल्याण का चिंतन हो, जिसमें आसुरी शक्तियां जन, धन और बल का उपयोग करके साधु और संत स्वभाव के लोगों का शोषण न कर सकें।कांची कामकोटि पीठ को छेड़कर भले ही तमिलनाडु की मुख्यमंत्री ने अपना नाम इतिहास में कलंकित कर लिया हो, लेकिन एक तरह से हिन्दू समाज पर बहुत बड़ा उपकार किया है। उन्होंने हिन्दुओं को उनका अतीत याद दिलाया है। विश्व और मानवता की शांति के लिए हिन्दू तेजस्विता को अपनी शांति एक बार फिर छोड़नी ही पड़ेगी।विजय का पर्व पुकार रहा है। शोकग्रस्त अशोक वाटिका प्रतीक्षारत है। सिर्फ एक छलांग की आवश्यकता है, सिर्फ एक। एक बार सनातन धर्म की प्रखरता का सूर्योदय होने की देर है, विश्व के समस्त अंधकार स्वयंमेव समाप्त हो जाएंगे।-आशुतोष श्रीवास्तवसी-3082, राजाजीपुरम, लखनऊ (उ.प्र.)NEWS

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