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पाञ्चजन्य पचास वर्ष पहले

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Jan 5, 2005, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 05 Jan 2005 00:00:00

वर्ष 9, अंक 44, सं. 2013 वि., 28 मई, 1956, मूल्य 3 आनेसम्पादक : गिरीश चन्द्र मिश्रप्रकाशक – श्री राधेश्याम कपूर, राष्ट्रधर्म कार्यालय, सदर बाजार, लखनऊमहालेखा निरीक्षक की रिपोर्ट के बोलते आंकड़े भारत सरकार के हिसाब-किताब में भारी गड़बड़ीविदेश स्थित दूतावासों में गोलमाललाखों रुपया व्यक्तिगत कार्यों में खर्च किया गया एक-एक अभ्यागत के सम्मान में तीन-तीन बार स्वागत-समारोह!नई दिल्ली: “सरकारी हिसाब-किताब में रुपए-पैसे से सम्बंधित अनेक अनियमितताएं हैं। इन अनियमितताओं में अनेक प्रकार के नुकसान, ऊलजलूल खर्च, इमारतों का अनावश्यक पट्टा, सरकारी कोष का बिना किफायत के इस्तेमाल, हानि-लाभ का बिना विचार किए हुए खरीद, सरकारी रुपए का व्यक्तिगत कार्यों में प्रयोग तथा विनिमय सम्बंधी सुविधाओं का दुरुपयोग आदि सम्मिलित हैं।” ये शब्द भारत के महालेखा-निरीक्षक ने भारत सरकार को विभिन्न मंत्रालयों के यंत्रों को पुनर्गठित करने की सलाह देते हुए कहे हैं। महालेखा-निरीक्षक ने सलाह दी है कि समय-समय पर आगन्तुकों का सरकारी स्तर पर जो अभिनंदन किया जाता है, उसके नियमों में सुधार किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि कभी-कभी यहां तक हुआ है कि दो बार, इतना ही नहीं… तीन बार तक एक ही व्यक्ति का अभिनंदन किया गया है, जिसके कारण सरकार को नुकसान उठाना पड़ा है। उदाहरण प्रस्तुत करते हुए महालेखा-निरीक्षक ने कहा है कि एक महिला नेत्री को सरकार स्तर पर पार्टी दी गई और पुन: उन्हीं को गैर-सरकारी स्तर पर उनके घर पर पार्टी दी गई, जिसमें सरकारी पैसा ही खर्च हुआ। इस प्रकार दो बार पार्टियां दिए जाने में 2000 रुपए व्यय हुए। ध्यान देने की बात यह है कि पार्टी देने से पूर्व अर्थ विभाग को बताया गया था कि 600 रुपए से अधिक खर्च नहीं होंगे। इसी प्रकार विदेशी छात्रों के एक दल का स्वागत एक बार उपसचिव द्वारा, एक बार संयुक्त सचिव द्वारा तथा दो बार संसदीय सचिव द्वारा किया गया।रिपोर्ट में बताया गया है कि विदेश में दूतावास स्थापित करने के विचार से एक इमारत 9,800 रुपए साल के हिसाब से 15 साल के पट्टे पर ली गई थी। किन्तु इमारत अभी तक खाली पड़ी है।एक दूसरे देश में एक इमारत तथा कुछ खाली जमीन साढ़े 5 लाख रुपए में नीलामी में खरीदी गई। इसके अतिरिक्त दो दलालों को 1,08,850 रुपए बतौर दलाली दिए गए। एक भारतीय दूतावास में एक स्थानीय कर्मचारी को 5,800 रुपए उसके वेतन से अधिक प्रदान कर दिए गए, किन्तु दो साल तक उस रुपए को उसके हिसाब में से काटा नहीं जा सका क्योंकि उसे गलती से “इन्डिया बेस्ड” दर्ज किया हुआ था।रपट में यह भी कहा गया है कि एक विभाग द्वारा पूर्व सूचित सामान को खरीदने में सरकारी खरीद संगठन द्वारा विलम्ब किए जाने के कारण 26,497 रुपए अधिक खर्च हुए। ठीक समय आर्डर इस कारण नहीं दिए जा सके, क्योंकि तत्सम्बंधी फाइल इधर-उधर हो गई थी।भारतीय सीमा पर पाक सेना का भारी जमाव उप-विदेश मंत्री द्वारा रहस्योद्घाटननई दिल्ली : डा. गिडवानी के प्रश्न के उत्तर में लोकसभा में वैदेशिक विभाग के उपमंत्री श्री चंदा ने बताया कि भारत को इस बात का पूरा पता है कि फिरोजपुर इलाके में सीमा के निकट पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों का पुलिस कर्मचारियों के वेश में भारी जमाव मौजूद है। भारत को यह भी जानकारी है कि पाकिस्तान की ओर से वहां हमारी नहर के निकट एक ऊंची टेकड़ी बनाई गई है। डा. गिडवानी ने पूछा कि इन लोगों को वहां से हटाने के वास्ते क्या कदम उठाए गए हैं। इस पर प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने उत्तर दिया कि सीमा के दोनों ओर सेनाएं मौजूद हैं। कोई भी नहीं चाहता कि सीमा के उस पार सेना पड़ी रहे और न कोई वहां से सेनायें हटाने को ही तैयार है।निर्वाचन-विधानइस प्रकार के अनेक उदाहरण सामने आए हैं जिनमें वर्षों तक संसद में बैठने और मतदान करने के पश्चात् किसी संसद सदस्य के चुनाव को चुनाव न्यायालय ने अवैध घोषित किया है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसे अजनतांत्रिक कहा जा सकता है, क्योंकि जिस सदस्य का निर्वाचन अवैध है, उसने इतने समय तक मतदान करके क्या वास्तव में जनता की सच्ची भावना प्रकट होने में गतिरोध उपस्थित नहीं किया? क्या उसके मतदान द्वारा विधिनिर्माण कार्य में अनुचित हस्तक्षेप नहीं हुआ? इस आपत्ति को यद्यपि यह कह कर टाला जा सकता है कि जनतंत्र में केवल एक या दो मत के आधार पर ही किसी विधि का निर्माण नहीं होता, तथापि उसके संवैधानिक पक्ष को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। एक ओर अनुचित व्यक्ति द्वारा मतदान दूसरी ओर उचित मत की अवहेलना।(सम्पादकीय)NEWS

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