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गठबंधन मजबूरी नहीं, समय की मांग-अटल बिहारी वाजपेयी, निवर्तमान प्रधानमंत्री”गठबंधन की राजनीति” पुस्तक का लोकार्पण करने के बाद उसे प्रदर्शित करते हुए सर्वश्री जार्ज फर्नांडीस, लालकृष्ण आडवाणी, आर.वेंकटरमण, भैरोंसिंह शेखावत एवं अटल बिहारी वाजपेयीछाया: पाञ्चजन्य/हेमराज गुप्तानारायण माधव घटाटेगत 2 सितम्बर को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय सभागार में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में श्री अटल बिहारी वाजपेयी के ग्रंथ “गठबंधन की राजनीति” का लोकार्पण उपराष्ट्रपति श्री भैरोंसिंह शेखावत ने किया। नारायण माधव घटाटे द्वारा सम्पादित श्री वाजपेयी के भाषणों के इस संकलन का प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है।कार्यक्रम में श्री वाजपेयी ने अपने चुटीले अंदाज में भाषण देते हुए कहा कि देश को गठबंधन चाहिए या नहीं? गठबंधन हमारी मजबूरी है या मजबूती? अभी यह देखना बाकी है। लेकिन यह स्पष्ट होता जा रहा है कि मिलजुलकर चले बिना काम चलेगा नहीं। और मिलजुलकर सरकार चलाना मजबूरी नहीं है। यह बात मन से निकाल देनी चाहिए कि गठबंधन सरकार घटिया दर्जे की सरकार होती है, या बोझा है, जिसे ढो रहे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए कहा कि कल तक जो कांग्रेस गठबंधन के इतना खिलाफ थी, आज वह भी गठबंधन करके ही सरकार बना सकी है। श्री वाजपेयी ने आगे कहा कि गठबंधन सरकार इस बात की कसौटी है कि हम मिलजुलकर काम कर सकते हैं या नहीं। चुनावों में एक पार्टी बहुमत में आये तो अच्छा है, लेकिन न आए तो हमारी मिलजुलकर काम करने की तैयारी होनी चाहिए। पुस्तक का लोकार्पण करने के बाद श्री भैरोंसिंह शेखावत ने उपस्थितजन को सम्बोधित करते हुए कहा कि श्री वाजपेयी ने जिस तरह 6 साल तक 22 दलों की गठबंधन सरकार चलायी, वह हमारे लिए मार्गदर्शन है। उन्होंने दिखा दिया कि सहनशीलता और सामंजस्य से किस प्रकार गठबंधन सरकार चलायी जाती है। श्री शेखावत ने राजनीति में शुद्धीकरण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आज राजनीति में संस्कार बदल गए हैं, अब राजनीति से धन और ऐशो-आराम जुड़ गया है। उन्होंने पं. दीनदयाल उपाध्याय के दौर में जनसंघ का उदाहरण देते हुए कहा, तब राजनेता आम कार्यकर्ता की तरह कठिन स्थितियों में भी रहते थे, लेकिन आज भाजपा में भी होटल संस्कृति आ गई है, धन जुड़ गया है। इस कारण आम जनता में नेताओं और राजनेताओं के प्रति अनास्था का भाव बढ़ता जा रहा है। अगर हमने अनास्था की उपेक्षा की तो इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। पूर्व राष्ट्रपति श्री आर. वेंकटरमण ने इस अवसर पर कहा कि श्री वाजपेयी ने 22 दलों की गठबंधन सरकार चलाकर आदर्श लोकतंत्र का उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह उनकी क्षमता के कारण संभव हुआ।श्री लालकृष्ण आडवाणी ने अपने संबोधन में राजनीति में वैचारिक अस्पृश्यता की चर्चा करते हुए कहा कि जब हमारे देश में सामाजिक अस्पृश्यता को गलत माना जाता है, तो राजनैतिक अस्पृश्यता को गलत क्यों नहीं माना जाता? इससे पूर्व राजग के संयोजक एवं पूर्व रक्षामंत्री श्री जार्ज फर्नांडीस और पुस्तक के सम्पादक श्री नारायण माधव घटाटे ने कार्यक्रम को सम्बोधित किया। कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री श्री इंद्र कुमार गुजराल और समाजवादी पार्टी के महासचिव श्री अमर सिंह सहित अनेक पूर्व केन्द्रीय मंत्री, सांसद, बुद्धिजीवी, पत्रकार और अन्य गण्यमान्य जन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्री अभिनव चतुर्वेदी ने किया। प्रभात प्रकाशन के प्रबंध निदेशक श्री प्रभात कुमार ने उपस्थितजन का स्वागत किया। प्रतिनिधि39
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