|
धर्म जागरण को समर्पित संस्था”मसुराश्रम” को श्री दासगणु महाराज पुरस्कारश्री मोरेश्वर जोशी को श्रीफल देकर सम्मानित करते हुए डा. ग.प्र. परांजपेमुस्लिम आक्रमण काल में समाज का मनोबल बढ़ाने वाले संतों की परंपरा में मराठी के आधुनिक संतकवि श्री दासगणु महाराज का नाम प्रमुख है। उनके उत्तराधिकारी थे संत प्राचार्य अनंत राव आठवले जो बाद में संन्यास लेकर स्वामी वरदानंद भारती के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने अपने गुरु श्री दासगणु जी की स्मृति में “श्री राधा दामोदर प्रतिष्ठान” नामक संस्था की स्थापना की जिसकी एक शाखा है “संत विद्या प्रबोधिनी”। यह पंढ़रपुर में संत साहित्य पर शोध कार्य करती है। 1998 से संस्था द्वारा संस्कृति संरक्षण का कार्य करने वाले व्यक्ति, संस्था या साहित्य को प्रतिवर्ष श्री दासगणु महाराज पुरस्कार दिया जाता है। गत दिनों वर्ष 2003 का यह पुरस्कार गोरेगांव, मुम्बई की संस्था “मसुराश्रम” को दिया गया। 1920 में धर्म भास्कर विनायक महाराज मसूरकर ने इस संस्था की स्थापना की थी। तब से धर्म जागरण के क्षेत्र में “मसुराश्रम” की उल्लेखनीय भूमिका रही है। पुर्तगालियों के शासनकाल में गावडा जाति के हिन्दुओं को बड़ी संख्या में बलपूर्वक ईसाई बनाया गया था। मसुराश्रम ने उन्हें पुन: हिन्दू धर्म में वापस लाने का महती कार्य किया है। संस्था की ओर से मसुराश्रम के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री मोरेश्वर जोशी ने सम्मान ग्रहण किया। श्री राधादामोदर प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डा. ग.प्र. परांजपे ने उन्हें शाल, श्रीफल और 25,000 रुपए की राशि सम्मान स्वरूप प्रदान की। इस अवसर पर स्वामी वरदानंद भारती लिखित “ब्राह्मसूत्रार्थ दर्शिनी” पर शोध करने वाली सुश्री सुषमा सातपुते को भी सम्मानित किया गया।श्री मोरेश्वर जोशी ने इस अवसर पर कहा कि ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों और कार्य पद्धति के बारे में लोगों को बताया जाना चाहिए। इस जनजागरण द्वारा ही ईसाई आक्रमण से देश को बचाया जा सकता है। प्रतिनिधि26
टिप्पणियाँ