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अफगानिस्तान को दी जा रही सहायताक्या रंग लाएगी?मा.गो. वैद्यअफगानिस्तान को तालिबानी कुशासन से छुट्टी मिल गई है। फिर भी वहां की स्थिति सुधरी नहीं है। राष्ट्रपति हामिद करजई का कहना है कि उन्हें और अधिक आर्थिक सहायता की जरूरत है। इसलिए भारत ने मानवीयता की दृष्टि से अफगानिस्तान में पुनर्वसन कार्य के लिए महती सहायता दी है। गत वर्ष फरवरी की एक रपट के अनुसार-भारत ने दस करोड़ अमरीकी डालर अर्थात् 480 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता अफगानिस्तान को दी है।10 लाख टन गेहूं और 90 हजार टन बिस्कुट छात्रों के लिए भेजे।2002 में अफगानिस्तान के बजट में नगदी सहायता मुहैया की गई।2001 एवं 2003 में ठंड से सुरक्षा के लिए 25 टन ऊनी कपड़े भेजे गए। 2002 में अकेले हैरात शहर में 20,000 कंबल भेजे गए। भूकम्प पीड़ितों को 200 तंबू, 10,000 कंबल और 10 टन दवाइयां दी गईं।अगस्त, 2002 में भारत के विदेश मंत्री ने अपनी यात्रा के दौरान इंदिरा गांधी बाल स्वास्थ्य संस्था के लिए 40 लाख अमरीकी डालर की सहायता देने की घोषणा की।2001 से काबुल में 13 भारतीय चिकित्सक कार्यरत हैं। 2002 में काबुल के सैनिक अस्पताल को “जयपुर-फूट” विकलांगों के लिए दिए गए। इससे 1000 व्यक्ति लाभान्वित हुए।2002 में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में छह अफगानी चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया गया।अफगानी विमान सेवा को भारत ने तीन एयर बस दान में दी हैं। अफगानी विमानन क्षेत्र के 51 अधिकारियों को एयर इंडिया ने प्रशिक्षित किया है।सार्वजनिक यातायात के लिए 135 बसें भेजी गई हैं तथा शेष 139 बसों की आपूर्ति के आदेश टाटा व अशोक ली-लैंड को दिए गए हैं।प्रशासन और सेवा के क्षेत्र में बहुमूल्य सहयोग दिया जा रहा है। अफगानी विदेश सेवा के 178 अधिकारियों को अंग्रेजी पढ़ाई गई। विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों को अंग्रेजी सिखाने के लिए भारत से शिक्षक भेजे गए।”फारेन सर्विस इन्स्टीटूट” में 20-20 अफगानी अधिकारियों के दल प्रशिक्षण पा रहे हैं।अफगानी राष्ट्रपति के सचिवालय के 15 अधिकारियों को 22 हफ्तों का प्रशिक्षण दिया गया है।दूरदर्शन की ओर से अफगानी रेडियो को साहित्य, संगीत-कैसेट दिए जा रहे हैं।भारतीय जन संचार संस्थान में 15 अफगानी पत्रकारों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।खेतीबाड़ी के लिए 47 टन सब्जी-फलों के बीज दिए गए हैं। और 15 अधिकारी प्रशिक्षित किए जा रहे हैं।रिजर्व बैंक के तीन अधिकारी अफगान-सेंट्रल बैंक की सहायता के लिए 2002 में भेजे गए हैं।गृह-निर्माण व नागरिक सुविधाओं के लिए बड़ी मात्रा में सहायता दी गई है।अधूरे पड़े अथवा युद्ध में 3 ध्वस्त पुलों की मरम्मत और रखरखाव के लिए सभी प्रकार की सहायता दी गई है। भारतीय इंजीनियरों ने वहां जाकर तकनीकी सहायता दी है।आखिर जो कुछ भी भारत ने किया है और आगे भी किया जा रहा है, वह ठीक ही है, मानवीय सहायता है। आशा की जाती है कि अफगानिस्तान की सरकार और वहां की जनता इस सहायता को याद रखेगी। पर मन में यह भी आशंका उठती है कि जिस बंगलादेश के लिए भारत ने खून बहाया, जिसकी स्वतंत्रता के लिए भारतीय सैनिकों ने प्राण गंवाए, आज वही बंगलादेश भारत के साथ किस प्रकार का व्यवहार कर रहा है? कहीं अफगानिस्तान भी बंगलादेश की राह पर तो नहीं चलेगा?14
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