|
आतंकवादियों के हमदर्दअमदाबाद से किशोर मकवाणानिशाने पर गुजरात?गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या करने आए चार आतंकवादियों को 15 जून की प्रात: अमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा के एक दल ने मुठभेड़ में मार गिराया। मारे गए आतंकवादियों में एक महिला भी थी। इनके संबंध आतंकवादी संगठन लश्करे-तोइबा से थे। इनमें से दो आतंकवादी पाकिस्तान के थे जबकि एक आतंकवादी पूणे का तथा महिला ठाणे (महाराष्ट्र) की थी। आतंकवादियों की आयु 20 से 25 वर्ष के बीच थी।अपराध शाखा के संयुक्त पुलिस आयुक्त पी.पी. पांडे ने बताया कि गुप्तचर विभाग को पन्द्रह दिन पूर्व सूचना मिली थी कि “दो पाकिस्तानी फिदायीन अमदाबाद आने वाले हैं।” उनका उद्देश्य मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या करना है। यह भी जानकारी मिली थी कि पाकिस्तान के पंजाब राज्य के गुजरांवाला जिले के नरनाक कलेरबादी निवासी जिशान जहीर उर्फ जांबाज उर्फ अब्दुल गनी तथा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सरगोधा जिले के हवेली दीवान भलवाल निवासी अमजद अली अकबर अली उर्फ सलीम उर्फ चंदू उर्फ राजकुमार अमदाबाद आने वालें हैं। पुणे निवासी जावेद स्थानीय स्तर पर इनकी मदद कर रहा है। पुलिस को यह भी सूचना मिली थी कि आतंकवादियों को एक महिला भी मदद कर रही है, यह महिला लश्करे-तोइबा के लिए कार्य करती है और चंडीगढ़ (पहले ऐसी ही सूचना मिली थी) की रहने वाली है।अमदाबाद में पुलिस द्वारा मारे गए आतंकवादी और उनकी क्षतिग्रस्त कारउन्होंने बताया कि गुप्तचर विभाग से सूचना मिलने के बाद पुलिस की गुप्तचर शाखा ने इस संबंध में जानकारी एकत्रित करना शुरू कर दी। इसी बीच पता चला कि पिछले दिनों जावेद अमदाबाद और गांधीनगर के तीन बार चक्कर लगा चुका था। उसने मुख्यमंत्री निवास, कार्यालय तथा उनके आने-जाने के मार्ग की जानकारी भी एकत्रित की थी। अपराध शाखा को सोमवार को जानकारी मिली कि नीले रंग की टाटा इंडिका कार, जिसका नम्बर एम.एच.-02-जे ए-4786 है, में जावेद दोनों पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ मुम्बई से अमदाबाद के लिए निकला है और ये लोग मंगलवार सुबह अमदाबाद पहुंच जाएंगे। इस सूचना के बाद पुलिस ने शहर की ओर आने वाले सभी मार्गों पर नजर रखनी शुरू कर दी।क्या इशरत और जावेद बेगुनाह थे?12 जून को मुम्बई के अपने घर से गायब हुई इशरत 15 जून को अमदाबाद में पुलिस मुठभेड़ में मारी गई। इस बीच वह कहां थी?गुप्तचर ब्यूरो को मिली उसकी डायरी में लाखों रुपए के लेन-देन के विवरण का क्या अर्थ है?इशरत की मां ने अपनी युवा पुत्री के चार दिन तक गायब रहने के बावजूद पुलिस में रपट क्यों नहीं लिखवाई?जावेद के पास दो नामों से पासपोर्ट कैसे थे?जावेद की पत्नी साजिदा को जावेद और इशरत के संबंधों की जानकारी क्यों नहीं थीं?जावेद और इशरत दो पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ क्या कर रहे थे? उस कार में कहां जा रहे थे, जिसमें हथियार और गोला-बारूद भी था?मंगलवार सुबह करीब चार बजे नारोल चौराहे पर घात लगाए बैठे सहायक पुलिस आयुक्त अमीन को एक टाटा इंडिका कार आती हुई दिखी। यह कार मुम्बई की ओर से आकर नरोड़ा की ओर मुड़ी। अमीन ने गाड़ी का पीछा किया। उन्होंने इंदिरा ब्रिज चौराहे पर खड़े दूसरे सहायक पुलिस आयुक्त सिंघल को सूचित किया कि जिस गाड़ी का वे इंतजार कर रहे हैं, वह नारोल चौराहे से नरोड़ा की ओर आ रही है। अमीन ने थोड़ी देर बाद सिंघल को फिर सूचित किया कि वह कार नरोड़ा- हिम्मतनगर रेलवे फाटक के पास से हवाई अड्डा जाने वाली सड़क की ओर मुड़ी है। अमीन ने यह भी कहा कि कार की रफ्तार काफी तेज है, इसलिए यह जरूरी है कि कार को सामने से रोका जाए। इस संदेश के बाद सिंघल हवाईअड्डा सड़क के पास कोतरपुर वाटर वक्र्स के निकट एक मोड़ पर अपने दल के साथ झाड़ियों में घात लगाकर बैठ गए।उधर अमीन अपने दल के साथ लगातार गाड़ी के पीछे लगे हुए थे। कोतरपुर वाटर वक्र्स मोड़ पर जैसे ही गाड़ी की रफ्तार कम हुई अमीन के दल के एक जवान मोहन ने गाड़ी के टायर पर निशाना साधकर गोली चलाई। टायर फटने से गाड़ी सड़क के बीचों-बीच बनी पटरी की ओर जाकर रुक गई। गाड़ी रुकते ही गाड़ी में पिछली सीट पर बैठा एक आतंकवादी, बाद में उसकी पहचान अमजद अली के रूप में हुई, दरवाजा खोलकर पथ-विभाजक (रोड़ डिवाइडर) के पीछे चला गया। उसने ए.के. 56 से पुलिस पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। इसके साथ कार में बैठे अन्य आतंकवादियों ने भी गोलियां चलानी शुरू कर दीं। अमीन और उनके दल के सदस्यों ने भी मोर्चा ले लिया। आतंकवादियों की गोलीबारी में पुलिस का वाहन छलनी हो गया। जवाब में पुलिस दल ने भी जबरदस्त गोलीबारी शुरू कर दी। इस मुठभेड़ में दोनों तरफ से 112 चक्र गोलियां चलीं। कुछ देर बाद जब आतंकवादियों की ओर से गोलीबारी बंद हो गई तो पुलिस दल आगे बढ़ा। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में कार में चालक सीट पर बैठा एक आतंकवादी, उसके पीछे बैठा एक अन्य आतंकवादी व चालक सीट के पास वाली सीट पर बैठी युवती तथा पथ-विभाजक के पीछे से हमला कर रहा आतंकवादी मारा जा चुका था। पुलिस ने उस कार से एक ए.के. 56 रायफल, गोलियों की मैगजीन, एक खाली मैगजीन, खुले हुए 81 कारतूस, दो रिवाल्वर, एक सेटेलाइट फोन, दो मोबाइल फोन, दो लाख छह हजार रुपए नकद तथा 20 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री बरामद की। इसके अलावा एक डायरी व कुछ अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज तथा लगभग एक दर्जन नारियल बरामद हुए। पुलिस सूत्रों के अनुसार आतंकवादियों की ओर से 42 चक्र तथा पुलिस की ओर से 70 चक्र गोलियां चलीं। विस्फोटक सामग्री तथा इलेक्ट्रोनिक सामान रासायनिक जांच के लिए प्रयोगशाला में भेज दिए गए हैं। पुलिस का मानना है कि आतंकवादियों के पास से मिले मोबाइल फोन, सेटेलाइट फोन तथा दस्तावेजों से काफी जानकारी प्राप्त होगी। इससे इन आतंकवादियों के तंत्र की पुख्ता जानकारी मिलेगी, स्थानीय स्तर पर उन्हें कहां से सहायता मिल रही थी, यह भी पता चलेगा।गोधरा काण्ड और उसके बाद हुए साम्प्रदायिक दंगों के बाद से ही गुजरात आतंकवादियों के निशाने पर है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी आतंकवादियों की नफरत के केन्द्र में हैं। अनेक बार उनकी हत्या की साजिश रची गई, पर समय रहते पुलिस ने किसी अनहोनी को घटित होने से रोक दिया। गत दो वर्षों में अमदाबाद और गांधीनगर में दस आतंकवादी मारे गए हैं। उल्लेखनीय है कि 22 अक्तूबर, 2002 को भी समीर खान पठान नामक आतंकवादी पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। समीर खान मूलत: अमदाबाद का ही रहने वाला था। उसने एक आतंकवादी संगठन से प्रशिक्षण लिया था। उसे शहर में आतंकवादी संगठन तैयार करने तथा मुख्यमंत्री की हत्या की साजिश रचने का काम सौंपा गया था। इसके बाद गुजरात पुलिस की अपराध शाखा ने 12 जनवरी, 2003 को 25 वर्ष के सादिक जमाल मेहतर को नरोड़ा गैलेक्सी सिनेमा क्षेत्र में साईंबाबा काम्पलेक्स के पास मार गिराया। सादिक आतंकवादी संगठन लश्करे-तोइबा का सदस्य था और यहां वरिष्ठ नेताओं की हत्या के उद्देश्य से आया था।पुलिस मुठभेड़ में गत 15 जून को मारे गए चार आतंकवादियों के पास से मिले सामान तथा अन्य जांच से पता चला है कि मुठभेड़ में मारा गया एक आतंकवादी मूलत: केरल का हिन्दू था और दो उसने इस्लाम मत अपनाया था। उसके साथ मारी गई उसकी “प्रेमिका” इशरत मुम्बई के गुरुनानक खालसा कालेज की छात्रा थी। शेष दो आतंकवादी पाकिस्तानी थे। सूत्रों के अनुसार पुणे का रहने वाला आतंकवादी जावेद मूलत: केरल का निवासी था। उसका वास्तविक नाम प्रणेश पिल्लै था। आतंकवादी संगठन के संपर्क में आने के बाद उसने मतान्तरण कर लिया और इस्लाम मत अपनाया था। इस्लाम अपनाने के बाद उसने अपना नाम जावेद शेख रख लिया था। उसके साथ मारी गई इशरत जहां ठाणे की निवासी थी। जावेद के साथ वह भी आतंकवादियों के संपर्क में थी और इस अभियान के संबंध में उसे भी जानकारी थी। आतंकवादी जिस कार से आये थे, उसका पंजीकरण (अंधेरी) मुम्बई क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय का बताया गया है। वर्ष 1999 में निर्मित यह कार अब्दुल लतीफ अब्बास मंसूरी के नाम से पंजीकृत थी। उससे यह कार नूरुद्दीन अकबर अली ने खरीदी। वर्तमान में इस कार का मालिक पुणे निवासी फैजल महबूब खान बताया जा रहा है। फैजल ने यह कार गत चार जून को ही खरीदी थी। यह कार फैजल से जावेद व अन्य आतंकवादियों के पास कैसे पहुंची, इसकी जांच की जा रही है। पुलिस इस संभावना की भी जांच कर रही है कि यह कार गलत नाम व पते से इन आतंकवादियों में से ही किसी ने खरीदी थी। पुलिस आतंकवादियों से प्राप्त अन्य दस्तावेजों के माध्यम से राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके संबंधों का पता कर रही है।मारे गए आतंकवादियों से मिले हथियार और दस्तावेज साफ बता रहे हैं कि उनके इरादे क्या थे। पर गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता अमरसिंह चौधरी ने इस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र भेजकर इस मुठभेड़ की केन्द्रीय गुप्तचर ब्यूरो से जांच की मांग की। उधर तथाकथित मानवाधिकारवादी भी इन आतंकवादियों के बचाव में आ गये। अमरसिंह चौधरी ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी चारों तरफ से संकट में घिर गए हैं, इसलिए इस फर्जी मुठभेड़ की साजिश रची गई। पर आश्चर्य इस बात का है कि जिस दिन अमदाबाद में पुलिस ने इन चार आतंकवादियों को मार गिराया, उसके दूसरे ही दिन मुम्बई में पुलिस से हुई मुठभेड़ में अन्य दो आतंकवादी मारे गए, किन्तु अमरसिंह चौधरी और अन्य सभी मानवाधिकारवादी चुप हैं, क्योंकि वहां कांग्रेस की सरकार है, भाजपा की नहीं। प्रदेश के विधि मंत्री अशोक भट्ट ने ऐसे आरोपों के बारे में कहा कि यह आतंकवाद का विरोध नहीं, उसकी वकालत है।पुलिस को प्राप्त इशरत की “डायरी” से पता चला है कि वह जावेद के सचिव के रूप में भी काम कर चुकी थी। जावेद कब, कहां जाता था, इसकी पूरी जानकारी वह “डायरी” में लिखती थी। इसके अलावा वह जावेद के अन्य कार्यक्रमों और खर्चों का भी हिसाब-किताब रखती थी। “डायरी” के अनुसार उसने एक पाकिस्तानी आतंकवादी को एक लाख रुपए भी दिए गए थे। अन्य चार लाख रुपयों का भी हिसाब उसकी “डायरी” में दर्ज है। “डायरी” में यह भी दर्ज है कि वह शनिवार को घर से निकलकर किस तरह सूरत आई और वहां से किस तरह अमदाबाद एवं गांधीनगर पहुंची थी। गुप्तचर विभाग की रपट के अनुसार इशरत कम से कम तीन बार अमदाबाद आई थी और मुख्यमंत्री के निवास स्थान का मुआयना कर चुकी थी।”डायरी” के अनुसार वे नेताओं के नाम के लिए कूट शब्दों का प्रयोग करते थे। इसके अनुसार लालकृष्ण आडवाणी के लिए “लाला”, नरेन्द्र मोदी के लिए “मुबारक”, प्रवीण तोगड़िया के लिए “पिंकू” तथा उमा भारती के लिए “बहन जी” जैसे नामों का प्रयोग करते थे। पुलिस तथा खुफिया विभाग की रपट से स्पष्ट है कि ये आतंकवादी मुख्यमंत्री को मारने और यह संभव न हो तो कोई बड़ी वारदात के इरादे से आये थे।6
टिप्पणियाँ