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दिल्ली में भी बिखरी त्रिनिदादकी छटा
पं. मणिदेव प्रसाद
30मई का दिन त्रिनिदाद-टोबैगो में बसे भारतवंशियों के लिए एक यादगार दिन होता है। यादगार इसलिए क्योंकि वहां बसे भारतवंशियों के पूर्वज 1845 में इसी दिन जहाज से त्रिनिदाद के तट पर उतरे थे। भारत से वे गिरमिटिया मजदूर के रूप में त्रिनिदाद गए थे।
त्रिनिदाद में तो इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता ही है, जगह-जगह उत्सव, समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करके अपने पूर्वजों का पुण्य स्मरण किया जाता है। लेकिन इस वर्ष से भारत में कार्यरत त्रिनिदाद-टोबैगो उच्चायोग ने भी इस अवसर पर भारतवासियों के साथ मिलकर उत्सव मनाने का निश्चय किया। त्रिनिदाद के युवा उच्चायुक्त पं. मणिदेव प्रसाद काफी अर्से से इस उत्सव की तैयारियों में जुटे थे। त्रिनिदाद और भारत में आपसी सांस्कृतिक संबंध प्रगाढ़ करने की दृष्टि से नई दिल्ली में त्रिनिदाद की सांस्कृतिक झलक प्रस्तुत की गई इस 15 दिवसीय उत्सव में। अनेक कार्यक्रम हुए, जिनमें विचार गोष्ठियां, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, स्थानीय खाद्यान्न, चित्र प्रदर्शनी के जरिए त्रिनिदाद में बसे भारवंशियों के जीवन की झलक आदि कार्यक्रम प्रमुख थे। त्रिनिदाद उच्चायोग ने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद्, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् व अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर यह आयोजन किया। ये कार्यक्रम दिल्ली के अलावा वाराणसी, पटना और लखनऊ में भी आयोजित किए गए। त्रिनिदाद-टोबैगो में कार्यरत विभिन्न भारतीय सांस्कृतिक संगठनों के 15 प्रतिनिधियों का एक दल भी इस उत्सव में भाग लेने विशेष रूप से भारत आया था।
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