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वनवासी कल्याण आश्रम का स्वर्ण जयंती पूर्णाहुति समारोहजनजातीय सुगंध से महकेगी दिल्लीनई दिल्ली में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के स्वर्ण जयंती पूर्णाहुति समारोह की भव्य तैयारियां चल रही हैं। इस संदर्भ में गत 4 से 7 सितम्बर तक अ.भा. वनवासी कल्याण आश्रम के केन्द्रीय कार्यकारी मण्डल की एक महत्वपूर्ण बैठक दिल्ली के मण्डोली स्थित सेवाधाम में सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदेव राम उरांव ने की। बैठक में कल्याण आश्रम के केन्द्र जशपुर से विभिन्न प्रान्तों को भेजी गई आर्थिक सहायता तथा मुम्बई से विभिन्न सेवा प्रकल्पों को भेजे गए आर्थिक अनुदान की जानकारी महामंत्री श्री प्रसन्न सप्रे एवं अ.भा. संगठन मंत्री श्री गुणवन्त सिंह कोठारी ने दी। सह महामंत्री श्री कृपा प्रसाद सिंह ने विगत कार्यवाही का विवरण प्रस्तुत किया।पूर्णाहुति समारोह, दिल्ली : एक झलक6 से 10 अक्तूबर, 2004उद्घाटन- पूर्णाहुति समारोह का उद्घाटन 6 अक्तूबर को प्रात: 10 बजे सेवाधाम विद्या मन्दिर, मंडोली में होगा। उद्घाटन भारत माता मन्दिर (हरिद्वार) के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानंद के कर कमलों से होगा। समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदेव राम उरांव उपस्थित होंगे। इसी दिन देश के विभिन्न भागों के जनजातीय जीवन की परिचयात्मक प्रदर्शनी का उद्घाटन होगा। यह प्रदर्शनी पांचों दिन दर्शकों के लिए उपलब्ध होगी। प्रतिदिन शाम को इंद्रधनुषी जनजातीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा।समापन- स्वर्ण जयंती पूर्णाहुति समारोह का समापन 10 अक्तूबर को रामवाटिका से भव्य शोभा यात्रा के साथ होगा। वहां सायं 5 बजे रामवाटिका (अजमल खां पार्क) करोलबाग, नई दिल्ली में एक सार्वजनिक कार्यक्रम सम्पन्न होगा। बद्रिकाश्रम के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज (ज्योतिर्मठ) द्वीप प्रज्वलति कर इस कार्यक्रम का शुभारम्भ करेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी.सुदर्शन उपस्थितजन को संबोधित करेंगे।इस अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री रूप सिंह भील ने आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा मुसलमानों को मजहबी आधार पर नौकरियों में आरक्षण देने संबंधी निर्णय को असंवैधानिक एवं राष्ट्र के लिए खतरे की घंटी बताया। कार्यकारी मण्डल द्वारा इस संबंध में एक प्रस्ताव- “राष्ट्र के ऊ‚पर एक खतरा” के रूप में पारित हुआ। इस प्रस्ताव में केन्द्र एवं राज्य सरकारों का आह्वान किया गया है कि वे किसी भी स्थिति में ऐसे निर्णय को रोकें। (उल्लेखनीय है कि 21 सितम्बर को हैदराबाद में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की विशेष खंडपीठ ने सरकारी नौकरियों में मुस्लिम आरक्षण देने के राज्य सरकार के फैसले को निरस्त कर दिया।) बैठक में सम्मिलित अन्य राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने जनजातीय परिवारों के विस्थापन को एक बड़ी समस्या के रूप में देखा। यह विस्थापन सरकार द्वारा अधिकृत विभिन्न खनिजों की खानों, बड़े बांध एवं बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना के कारण होता है। वर्ष में 6 महीने किसी प्रकार का रोजगार न होने के कारण भी छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उड़ीसा, महाराष्ट्र के धूले एवं नन्दूरवार जिलों तथा मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से वनवासियों का विस्थापन होता है। कार्यकारी मण्डल ने इन परिवारों की कठिनाइयों पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार व सामाजिक संगठनों से मांग की कि गांव में ही कोई न कोई रोजगार उपलब्ध कराएं। कार्यकारी मण्डल में यह प्रस्ताव वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री मोरेन सिंह पूर्ति ने रखा। कार्यकारी मण्डल ने दिल्लीवासियों का आह्वान करते हुए एक अन्य प्रस्ताव में जानकारी दी कि भारत के कुल 304 जनजातीयबहुल जिलों में से 264 जिलों में वनवासी कल्याण आश्रम के 11,530 सेवा प्रकल्प चल रहे हैं, जिनके माध्यम से जनजातीय समाज के समग्र विकास के लिए अनेक सेवाकार्य चल रहे हैं। इन कार्यों के लिए तन, मन, धन से सहयोग करें।उल्लेखनीय है कि आगामी 6 से 10 अक्तूबर तक इसी सेवाधाम में देशभर से वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता स्वर्ण जयन्ती वर्ष के समापन समारोह में भाग लेने दिल्ली आ रहे हैं। इस समारोह में विभिन्न जनजातियों के लगभग 2500 प्रतिनिधियों के सम्मिलित होने की संभावना है। सम्मेलन में विभिन्न जनजातीय समुदायों के सामाजिक एवं धार्मिक विद्वान अलग-अलग विषयों पर प्रतिनिधियों को सम्बोधित करेंगे। समारोह में जनजातीय क्षेत्र में विकास एवं सांस्कृतिक रक्षा के लिए प्रयासरत समाजसेवियों-नागालैण्ड के श्री एन.सी.जेलियांग, महाराष्ट्र के श्री चेतराम पंवार, झारखण्ड के श्री बाबूलाल मुर्मू, गुजरात की दीवाली बेन भील एवं असम के श्री मंगल सिंह बोड़ो को सम्मानित किया जाएगा। प्रतिनिधि33
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