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दीनानाथ मिश्र
बेटिकटों की चांदी
एक खबर के अनुसार उस दिन मंत्रिमण्डल की पहली बैठक में पहली बार कुल्हड़-प्रवेश हुआ। वैसे संसद परिसर में चाय, नाश्ते और भोजन का प्रबंध रेल मंत्रालय का ढाबा विभाग करता है। सो बड़े-बड़े मंत्री चकित भाव से देख रहे थे। कुछ मन ही मन दु:खी हो रहे थे। कुछ राजनीतिबाज मंत्री एक झटके में देशभर के कुम्हार वोटों का “दिल जीत लिया सनम” वाली मुद्रा में लालू जी को निहार रहे थे। एक बात की जानकारी दे दूं आपको। मैं मंत्री नहीं हूं। सो मुझे उस समय तक कुल्हड़ देव के दर्शन नहीं हुए थे, जब तक दिल्ली से नागपुर की यात्रा के लिए नहीं निकल गया था। वातानुकूलित यान में रेलवे ढाबा की चाय सेवा प्रकट हुई। कुल्हड़ देव पट मुद्रा में प्रकट हुए। दिल बाग-बाग हो गया। मगर पास में ही कप भी पड़ा था। मतलब यह कि जो कप में पीना चाहे वो कप में पीए, जो कुल्हड़ में पीना चाहे वो कुल्हड़ में पीए। रात हुई, मैं इंतजार करने लगा। सोचा, लालटेन भी आएगी। लालटेन लालू जी का चुनाव चिन्ह है। मैंने ढाबा सेवा के कार्यकर्ता से इसका कारण पूछा। जवाब था- लालटेन अगले रेल बजट में आएगी। तब तक आप लालटेन का लुफ्त नहीं उठा सकते।
कुम्हारों जैसी दूसरी एक बड़ी जाति है-बेरोजगार। मालूम नहीं इस बिरादरी के 5 करोड़ मतदाता हैं या 8 करोड़। लालू जी ने इनका भी दिल जीत लिया। इनकी नौकरी के लिए साक्षात्कार-रेलयात्रा का मुफ्त में रेल टिकट मिल जाएगा। अपने देश में एक मुश्किल यह है कि जो रोजगार में लगा है, उसके पास कोई न कोई प्रमाणपत्र होता ही है। जैसे पहचान पत्र, नियुक्ति पत्र, वेतन दस्तावेज इत्यादि। लेकिन बेरोजगारी का कोई प्रमाणपत्र नहीं होता। टिकट खिड़की पर जो कोई अपने को बेरोजगार कह देगा, उसे बेरोजगार मान लेना पड़ेगा। जहां तक साक्षात्कार पत्र का सवाल है, उसे प्राप्त करना तो कोई समस्या है ही नहीं। जिस देश में लोग नकली स्टाम्प पेपर बना लेते हों, फर्जी प्रमाणपत्र का चलन हो, उस देश में साक्षात्कार पत्र कोई समस्या हो ही नहीं सकती। हमारे जुगाड़ू लोग फर्जी साक्षात्कार पत्रों की दुकान खोल लेंगे। हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। जिसे रेल में मुफ्त यात्रा करनी होगी, वह दुकान पर जाएगा। दुकानदार पूछेगा किस कम्पनी के साक्षात्कार पत्र की जरूरत है आपको- एयर इण्डिया, एन.टी.पी.सी., टाटा, रिलायंस, विप्रो? ग्राहक कहेगा कि मुझे तो कोलकाता जाना है। दुकानदार तत्काल हिन्दुस्तान मोटर्स का साक्षात्कार पत्र देगा। 15 रुपए लेगा। उस पत्र को लेकर टिकट खिड़की से उसे मुफ्त टिकट मिल जाएगा। बेरोजगार आदमी किसी भी उम्र का हो सकता है। 60 की उम्र के बाद भी बेरोजगार होने पर कोई संवैधानिक पाबंदी नहीं है। कोई 14 साल का बच्चा भी बेरोजगार हो सकता है। उसे भी भदोही कालीन उद्योग का साक्षात्कार पत्र मिल सकता है।
एक वोट बैंक है कुलियों का। लालू जी की मेहरबानी उन पर भी हुई है। मेरा अनुमान है कि रेलवे स्टेशनों पर लाइसेंसधारी कुलियों की संख्या भी लाखों में है। इस अनुमान का एक आधार है। देश में कुल मिलाकर 13-14 लाख रेल कर्मचारी हैं। स्टेशनों पर रेल कर्मचारियों से कम से कम 3-4 कुली कम दिखाई पड़ते हैं। अब ये कुली इस बजट के बाद मय बीवी के मुफ्त रेल यात्रा कर सकेंगे। टिकट खिड़की पर बाबू, कुली का लाइसेंस तो देख सकता है, मगर विवाह प्रमाणपत्र नहीं मांग सकता। वह स्वकीया के साथ भी यात्रा कर सकता है और परकीया के साथ भी। अथवा किसी तीसरे के साथ भी। कुली अगर मुसलमान है तो तीन-चार पत्नियों के साथ भी यात्रा कर सकता है। वैसे भी बिहार में जैसे-जैसे लोग भारत की स्वतंत्रता मिलने का अहसास करते गए, वैसे-वैसे बेटिकट यात्रा करने के लिए स्वतंत्र होते गए। अब बेटिकट यात्रा का कानूनी प्रावधान लालू प्रसाद यादव ने सार्वदेशिक स्तर पर बढ़ा दिया है। मुझे वह दिन दूर नहीं लगता जब टिकट खरीदना एक शर्मिन्दगी की बात होगी। इसमें कम से कम एक अच्छी बात जरूर है। रेलों में बेटिकट यात्री चाहे किसी संख्या में बढ़ जाएं, लेकिन वैध यात्रियों की संख्या दो से कम नहीं हो सकती। एक गार्ड और एक ड्राइवर।
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