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कोलकाता के होमगार्ड सिपाही अजीत कुमार गुहा की जितनी तारीफ की जाए, कम है। उसने आज के स्वार्थ और लालच भरे माहौल में ऐसी अद्भुत ईमानदारी दर्शायी है कि एकबारगी तो पुलिस विभाग को लेकर मन में घुमड़ते नकारात्मक विचारों को विराम देने को जी चाहता है।अभी 16 अक्तूबर की बात है। कोलकाता के एक व्यवसायी तेज प्रताप सिंह बहुत परेशान थे। उनके थैले में एक लाख से अधिक राशि और जरूरी कागजात थे और वह थैला कहीं गिर गया था। जगह-जगह ढूंढने के बाद भी जब उनके पैसे और कागज नहीं मिले तो वे अत्यंत निराश हुए। पर अचानक पुलिस मुख्यालय से फोन आया और उन्हें अपने कानों पर सहसा वि·श्वास ही नहीं हुआ कि जो उन्होंने सुना वह वास्तव में सच ही था!पुलिस मुख्यालय पहुंचने पर उन्हें सारी बात विस्तार से पता चली। होमगार्ड का वह ईमानदार सिपाही अजीत कुमार गुहा उत्तर कोलकाता में रविन्द्र सरणी मार्ग पर तैनात था। वहीं उसकी दृष्टि एक लावारिस पड़े थैले पर पड़ी। जब बहुत देर तक उसे कोई लेने नहीं आया तो वह उस थैले की ओर बढ़ा। इतने में ही दो युवक आए और थैला उठाकर चलने लगे। उसे शक हुआ। दौड़कर उन तक पहुंचा और पूछताछ की। उसे संदेह हुआ और उसने थैला ले लिया। खोलकर देखा तो उसमें कुछ कागज और नोटों के बंडल दिखे। तुरन्त थैला लेकर पुलिस मुख्यालय गया और उसे पुलिस आयुक्त को सौंप दिया। आयुक्त ने थैला जांचा तो पाया कि उसमें एक लाख सोलह हजार रु. नकद और कुछ कागज थे। आयुक्त भी अजीत गुहा की ईमानदारी देख आश्चर्यचकित हो उठे। तेज प्रताप सिंह को थैला सौंपते हुए उन्होंने गुहा की मुक्तकंठ से प्रशंसा की, पुरस्कार देने की घोषणा की। राज्य के नागरिक सुरक्षा मंत्री श्रीकुमार ने भी अजीत की पीठ थपथपाई। होमगार्ड के सिपाहियों को वेतन मिलता ही कितना है। घर भी मुश्किल से ही चल पाता है। इस सबके बावजूद अजीत ने जो मिसाल कायम की है, वह पुलिस के अन्य कर्मियों के साथ ही आम लोगों को भी कुछ सबक देती है। द प्रतिनिधि8
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