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— भारत भूषण आर्यकिस अदा से उसने सब कर्जा चुका दियामोम पे मुझको सुला सूरज जगा दिया।इन किताबों से कहां दो रोटियां मिलींहां! कभी बस ठण्ड में इनको जला दिया।बाज का कोई न कुछ जब कर सका यहांइक कबूतर फिर वहीं सूली चढ़ा दिया।सच बताओ बिजलियां थक तो नहीं गर्इंआशियां
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