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थ् यह पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है कि राम-सेवकों पर हमला पूर्वनियोजित था।थ् यह भी स्पष्ट है कि हमले में स्थानीय मुसलमान ही शामिल थे।थ् इस हमले में गोधरा के नगर प्रमुख मोहम्मद हुसैन कलोटा, पालिका सदस्य बिलाल हाजी और फारुख भांड की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।थ् बिलाल हाजी ही वह आदमी है जो अग्निशमन वाहन (फायर बिग्रेड) के आगे लेट गया था, ताकि वह वाहन रेलगाड़ी में लगी आग बुझाने न जा सके। वाहन चालक प्रदीप ठाकुर ने पुलिस के समक्ष बयान दिया कि बिलाल हाजी ने ही ट्रक रोका था।थ् पंचमहल जिले के विश्व हिन्दू परिषद् के पूर्व अध्यक्ष श्री उमेश दत्त माथुर के साथ हम कुछ मुस्लिमबहुल क्षेत्रों में भी गए, वहां मौत का-सा सन्नाटा था। ऐसा लग रहा था कि यहां कोई रहता ही नहीं। जबकि एक दिन पूर्व ही हजारों लोगों ने लोमहर्षक घटना को अंजाम दिया था। श्री माथुर का कहना था कि यह सब योजनाबद्ध था, वे सब भाग चुके हैं।थ् रेलवे स्टेशन के निकट काला भाई का पेट्रोल पम्प है। लोगों ने आशंका जताई कि यहीं से आतताइयों को पेट्रोल व डीजल उपलब्ध कराया गया।थ् सूत्रों के अनुसार पुलिसकर्मियों को रेलवे लाइन के किनारे से गैलनों में भरा हुआ काफी मात्रा में पेट्रोल, डीजल और साल्वैंट मिला है, पर इसे छुपाया जा रहा है।थ् गोधरा से राज्यसभा सदस्य श्री गोपाल सिंह सोलंकी का कहना है कि इस जघन्य हत्याकांड में स्थानीय मुसलमानों का ही हाथ है, पर उनके पीछे दिमाग किसी और का है। थ् गोधरा रेलवे स्टेशन के अधीक्षक श्री जे.के. खतीजा भी घटना के समय वहीं थे, हालांकि उस समय स्टेशन प्रभारी थे श्री सैयद, पर कोई भी यह बताने को तैयार नहीं कि स्टेशन पर झगड़ा होने के बावजूद और उसकी संवेदनशीलता को देखते हुए रेलगाड़ी को क्यों चलाया गया? पुलिस को पहले क्यों नहीं बुलाया गया?थ् हालांकि स्टेशन अधीक्षक खतीजा ने लिजलिजी दलील पेश की कि सामान्य रैलियों की तरह कार्यकर्ताओं ने कुछ लूटपाट की होगी तभी झगड़ा हुआ होगा, पर कोई यह भी तो बताए कि इससे पूर्व की 500 कि.मी. की यात्रा में राम-सेवकों ने कहां कोई अशिष्टता की?थ् पश्चिम रेलवे की राजकीय रेलवे पुलिस (जी.आर.पी.) के अधीक्षक श्री जे.के. भट्ट कहते हैं कि उस समय जी.आर.पी. के 10 जवान ड्यूटी पर थे और वे घटनास्थल पर भागकर पहुंचे भी, 10 राउंड गोलियां (यानी मात्र 10 गोली) भी चलायीं। पर, यह सत्य नहीं है। जी.आर.पी. और रेलवे सुरक्षा बल (आर.पी.एफ.) के जवान पथराव के बीच मूकदर्शक बने स्टेशन पर ही खड़े रहे। उन्होंने कोई गोली नहीं चलाई। स्थानीय पुलिस के आने के बाद ही गोलियां चलायीं, वह भी हवा में।थ् जी.आर.पी. के स्टेशन पुलिस निरीक्षक एम.जे. झाला पूरी तरह नाकारा सिद्ध हुए और आर.पी.एफ. के निरीक्षक जे.के.जार्ज भी।थ् गोधरा के उप जिलाधिकारी श्री बी.एन. दामोर ने बातचीत में बताया कि पुलिस ने 22 राउंड फायरिंग की और 30 आंसू गैस के गोले भी छोड़े। पर वे इस बात का जवाब देने में असमर्थ रहे कि इसके बावजूद दंगाई देर तक पथराव कैसे करते रहे।थ् प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि घटना से 3 दिन पूर्व नगर के एक प्रतिष्ठित मुस्लिम नेता (सुरक्षा कारणों से नाम नहीं दिया जा रहा है) की पत्नी के अमदाबाद जाने का टिकट लिया गया, पर टिकट लेते ही किसी खोमचे वाले ने कहा कि माहौल खराब हो सकता है, टिकट वापस कर दो, और टिकट वापस करा दिया गया। इसके पीछे की सचाई जानने की जरूरत है। इससे भी लगता है कि हमले की योजना पहले से ही थी।12
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